Friday 20 February 2015

जेटली ने खाया हलवा और मोदी ने चखा मिट्टी का स्वाद

जेटली ने खाया हलवा और मोदी ने चखा मिट्टी का स्वाद
देश में राजनैतिक दृष्टि से 19 फरवरी को दो महत्वपूर्ण घटनाएं हुई। पहली घटना नई दिल्ली के नार्थ ब्लॉक में बजट दस्तावेजों के प्रकाशन पर हलवा बनाने और खाने की रस्म हुई। सरकार के इस हलवे को सबसे पहले केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने खाया। वहीं दूसरी ओर राजस्थान के सूरतगढ़ कस्बे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सॉइल हेल्थ कार्ड जारी किए। इस समारोह में मोदी ने कहा कि वे पुरानी आदतों को बदल रहे हैं। पहले दिल्ली के विज्ञान भवन में बैठकर देश की योजना की शुरूआत होती थी लेकिन आज मैंने मिट्टी के स्वास्थ्य की देशव्यापी जांच की योजना सूरतगढ़ से शुरू की है। यहीं फर्क है मेरी और कांग्रेस की सरकार में। इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी ने पीएम बनने के बाद विभिन्न योजनाओं को दूरदराज के गांवों में जाकर ही शुरू किया है, लेकिन मोदी शायद सरकार के हलवा खाने पर रोक लगाने मेें अभी तक भी सफल नहीं हुए है इसलिए जेटली ने 19 फरवरी को पिछली कांग्रेस सरकार की हलवा खाऊ परम्परा का ही निर्वाह किया। सब जानते है कि देश की सत्ता का सबसे ताकतवर स्थान दिल्ली का नार्थ ब्लॉक है। नार्थ ब्लॉक में बैठे लोगों की मेहरबानी हो जाए तो हलवे के साथ खीर-पूड़ी भी खाने को मिल जाती है। अच्छा होता कि पीएम मोदी सूरतगढ़ में मिट्टी का स्वाद चखने के बजाए नार्थ ब्लॉक में खाए जा रहे हलवे पर रोक लगाते। यदि नार्थ ब्लॉक में बैठे लोग पहले की तरह बजट का हलवा खाते रहे तो फिर मोदी पिछली आदतों को कैसे बदल पाएंगे? ऐसा नहीं होना चाहिए कि अरूण जेटली सरीखे नेता कांग्रेस शासन की तरह हलवा खाते रहे और नरेन्द्र मोदी सूरतगढ़ में मिट्टी का स्वाद चखते रहे। मोदी ने यदि नार्थ ब्लॉक में हलवा खाने की आदतों पर रोक लगा दी तो फिर इस देश की मिट्टी में अपने आप सुगंध भी आने लग जाएगी। आज किसान की भूमि और मिट्टी इसलिए दम तोड़ रही है क्योंकि नार्थ ब्लॉक में बैठे लोग भाजपा के शासन में भी हलवे की रस्म निभा रहे हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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