Friday 20 February 2015

क्या मुफ्ती मोहम्मद इलियास की पहल से हो सकती है सद्भावना!

क्या मुफ्ती मोहम्मद इलियास की पहल से हो सकती है सद्भावना!
जमीयत उलेमा के मुफ्ती मोहम्मद इलियास का मानना है कि भगवान शंकर मुस्लिमों के पहले पैगम्बर हैं। मुफ्ती ने यह भी कहा कि भारत के मुसलमानों को भगवान शंकर को अपना पैगम्बर मानने में कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए। मुफ्ती ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा का समर्थन करते हुए कहा कि जब चीन में रहने वाले चीनी और अमरीका में रहने वाले अमरिकी कहलाते हैं तो हिन्दुस्तान में रहने वाले सभी नागरिकों को हिन्दुस्तानी मानने में कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए। जब हमारे मां-बाप, खून और मुल्क एक है तो हमारा धर्म भी एक ही है। अपने इस विचार को आगे बढ़ाने के लिए मुफ्ती मोहम्मद 27 फरवरी को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में कौमी एकता का एक प्रोग्राम भी कर रहे है। इस प्रोग्राम में हिन्दुओं के साधु-संतों के साथ मुस्लिम धर्म गुरुओं को भी बुलाया गया है। मुफ्ती के इस बयान का महत्त्व इसलिए भी है कि उन्होंने यह बयान भगवान राम की जन्मभूमि माने जाने वाले अयोध्या में दिया है। आने वाले दिनों में यह पता चलेगा कि मुफ्ती  के इस बयान को मुस्लिम धर्म गुरु किस तरीके से लेते हैं। लेकिन यदि मुफ्ती के बयान को आम मुसलमानों से समर्थन मिलता है तो फिर भारत सही में विश्व गुरु बन सकता है। यदि भारत में रहने वाले हिन्दू मुसलमान भगवान शंकर को मानकर अपना जीवन व्यतीत करें, तो दुनिया की कोई ताकत हमें कमजोर नहीं कर सकती है। अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को भी धर्म के बंटवारे की बात इसलिए कहनी पड़ी क्योंकि वर्तमान परिस्थितियों में हिन्दू और मुसलमानों के बीच खाई है। आमतौर पर यह देखा गया है कि मंदिर में आने वाला हिन्दू दरगाहों में जाकर सिर झुकाकर जियारत भी करता है। संभवत: यह पहला अवसर रहा जब किसी मुस्लिम प्रतिनिधि ने हिन्दुओं के देवता भगवान शंकर की भी तुलना अपने पैगम्बर से की है। इतिहास बताता है कि सातवीं सदी में अरब देशों से आए लुटेरों से पहले भारत को आर्यवृत्त ही कहा जाता था और यहां सम्पूर्ण भूमि पर हिन्दू संस्कृति ही थी। आज के भारत के आसपास के देशों में भी हिन्दू और सिंधु संस्कृति रही। लेकिन फिर अत्याचारों का जो दौर चला तो उससे हिन्दू संस्कृति को जबर्दस्त नुकसान हुआ। फिर मुसलमानों की आबादी भी धीरे-धीरे बढऩे लगी। हिन्दू संस्कृति वाले इस उपमहाद्वीप पर आठ सौ साल मुगल बादशाहों ने राज किया। फिर हिन्दू और मुसलमानों की आपसी फूट का फायदा उठाकर दो सौ साल तक अंग्रेजों ने राज किया। हालांकि आजादी के समय धर्म के नाम पर पाकिस्तान बन गया, लेकिन आजादी के 68 साल बाद भी भारत में रहने वाले हिन्दू और मुसलमानों के बीच सद्भावना कायम नहीं हो सकी। आज भी छोटी-छोटी बातों पर साम्प्रदायिक तनाव हो जाता है। देश के हालात सुधरने के बजाए लगातार बिगड़ रहे हैं। पाकिस्तान, ईरान, इराक, सीरिया, अफगानिस्तान, बांग्लादेश आदि मुस्लिम देशों में जब आतंककारी अपने ही मुसलमान लोगों की हत्या कर रहे हैं तब भारत में हिन्दू और मुसलमानों का एकजुट होना बेहद जरूरी है। मुफ्ती मोहम्मद इलियास की ताजा पहल को आशा की एक किरण माना जाना चाहिए। आम हिन्दू और मुसलमान के बीच विवाद का कोई कारण नहीं होता है, लेकिन नेताओं की वजह से विवाद खड़ा हो जाता है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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