बजट से आम व्यक्ति को राहत तो नहीं मिली
पीएम नरेन्द्र मोदी की नीतियों पर केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने 28 फरवरी को संसद में जो आम बजट प्रस्तुत किया उससे आम व्यक्ति को तो कोई राहत नहीं मिली है। उल्टे सर्विस टैक्स को 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर जो 14 प्रतिशत किया गया है। उससे दैनिक उपभोग की सभी वस्तुएं महंगी हो जाएगी। सब जानते हैं कि कांग्रेस सरकार ने सर्विस टैक्स का दायरा लगातार बढ़ाया तब भाजपा के नेताओं ने बार-बार निन्दा की। इस बार सर्विस टैक्स में और सेवाओं को शामिल तो नहीं किया लेकिन टैक्स में वृद्धि कर दी। यानि अब हम बाजार में जो भी वस्तुएं खरीदेंगे उन सब पर 14 प्रतिशत सर्विस टैक्स देना होगा। एक ओर पीएम मोदी बार-बार आईटी क्षेत्र की दुहाई दे रहे हैं लेकिन वहीं जेटली ने इन्टरनेट को महंगा करने की घोषणा कर दी है। हम सब जानते हैं कि देश का युवा इन्टरनेट तकनीक पर बहुत अधिक निर्भर हो गया है। अब कम्प्यूटर और लेपटॉप में ही इन्टरनेट नहीं बल्कि मोबाइल फोन में भी इन्टरनेट की जरूरत है। युवाओं को अपने स्मार्ट फोन पर फेसबुक, वाट्सएप आदि चलाने के लिए इन्टरनेट की सुविधा लेना जरूरी है। इन्टरनेट की सुविधा उपलब्ध करवाने वाली कम्पनियां इतनी बेइमान है कि 2जी, 3जी और 4जी स्पीड का फण्डा लागू कर रखा है। एक उपभोक्ता न्यूनतम अपने मोबाइल फोन का 300 रुपए प्रतिमाह का शुल्क तो देता ही है। इसके साथ ही इन्टरनेट सुविधा के लिए भी कम से कम 200 से लेकर 500 रुपए प्रतिमाह तक चुकाता है। यानि जो युवा अपने स्मार्ट फोन पर इन्टरनेट का उपयोग करता है उसे अब 800 रुपए से लेकर 1500 रुपए तक प्रतिमाह शुल्क देना होगा। यानि एयरटेल, वोडाफोन, रिलायन्स, एयरटेल, टाटा डोकोमो आदि कम्पनियां मालामाल हो जाएंगी। समझ में नहीं आता कि जब पीएम मोदी एक ओर देश को वाई-फाई युक्त बनाना चाहते हैं तो दूसरी ओर आम व्यक्ति के काम आने वाली इन्टरनेट तकनीक को महंगा कर दिया गया है। भाजपा जब विपक्ष में थी तो उसके नेता आयकर सीमा को बढ़ाने की मांग करते थे। लेकिन इस बार जब भाजपा की सरकार को बजट प्रस्तुत करने का अवसर मिला तो आयकर सीमा को नहीं बढ़ाया गया। इससे प्रतीत होता है कि राजनेता की कथनी और करनी में अन्तर रहता ही है। बजट में केबल टीवी को भी महंगा कर दिया गया है। अब लोकल केबल ऑपरेटर तो शुल्क बढ़ाएगा ही साथ ही टाटा स्काई, रिलायन्स डीटीएच, विडियोकॉन जैसी कम्पनियां भी अपने शुल्क में बेतहाशा वृद्धि करेंगी। जिन उपभोक्ताओं के घरों पर डायरेक्ट टू होम कनेक्शन लगे हुए हैं उन्हें पता है कि यह कम्पनियां किस तरह से लूटमार करती हैं। एक माह का प्रस्ताव देकर तीन माह का शुल्क वसूल लेती है इसी प्रकार मोबाइल फोन वाली कम्पनीज भी प्रीपेड में जमा राशि को बेवजह काट लेती है। शर्मनाक बात तो यह है कि उपभोक्ताओं की कोई सुनवाई ही नहीं होती है। कॉल सेन्टर के निर्धारित नम्बर पर शिकायत सुनने के बजाय उपभोक्ता टेप के रटे रटाये भाषण ही सुनता रहता है। लघु उद्यमियों को उम्मीद थी कि बजट से कुछ राहत मिलेगी लेकिन एक भी घोषणा ऐसी नहीं हुई जिससे छोटे उद्योगों को राहत देने का काम हो। इसके विपरीत अडाणी, अम्बानी, टाटा, बिड़ला आदि उद्योगपतियों को कमाने के लिए बजट में अनेक प्रावधान किए गए हैं। एक ओर जब पेट्रोल और डीजल पर किसी भी प्रकार की सब्सीडी नहीं दी जा रही है तो फिर आम उपभोक्ता को सर्विस टैक्स बढ़ाकर डंडा क्यों मारा गया। इसी प्रकार कोयले की खानों को नीलामी के जरिए देने के बाद सरकार को जो दो लाख करोड़ से भी ज्यादा की आय हुई है उसका लाभ भी आम ्व्यक्ति को नहीं मिला है। इससे कोई दो राय नहीं कि पीएम मोदी ने उच्च स्तर पर जो नीतियां बनाई है। उसमें भ्रष्टाचार तो रूका है। आने वाले दिनों में तो सरकार को कई लाख करोड़ रुपए की आमदनी होगी। जेटली ने अपने बजट में कहा कि देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा दिया जाएगा जिसमें परिणाम आने वाले वर्षो में सामने आएंगे। देश के लोगों को फिलहाल पीएम मोदी औ जेटली के कथनों पर भरोसा करना चाहिए। मोदी सरकार ने शाम होते होते पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाकर आम उपभोक्ताओं पर हथौड़ा चला दिया है। पेट्रोल में 3 रुपए 18 पैसे और डीजल में 3 रुपए 9 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि की गई है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511
Saturday 28 February 2015
बजट से आम व्यक्ति को राहत तो नहीं मिली
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