Friday 13 February 2015

सोशल मीडिया ने कराया जिम्मेदारी का अहसास

सोशल मीडिया ने कराया जिम्मेदारी का अहसास
मैं पिछले 30 वर्षों से भी ज्यादा समय से सक्रिय तौर पर पत्रकारिता कर रहा हंू। देश के ख्यात नाम दैनिक समाचार पत्रों में जमकर काम भी किया है, लेकिन 13 फरवरी को सोशल मीडिया ने जिस जिम्मेदारी का मुझे अहसास कराया उसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकता हंू। सब जानते हैं कि  मुश्किल से तीन माह पहले मैंने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए अपने विचार डालना शुरू किया था। तब मुझे इस बात का अहसास नहीं था कि इतनी जल्दी मेरे लेखन को लेाग स्वीकार करेंगे। ब्लॉक, वाट्एप, फेसबुक आदि पर प्रतिक्रियाएं भी प्राप्त होती है। शुक्रवार को जब फेसबुक के माध्यम से मेरे चाहने वाले को यह पता चला कि 13 फरवरी को मेरा जन्म दिन है तो मेरे प्रति शुभकामनाएं देने में लोगों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसा सम्मान और शुभकामनाएं मुझे आज तक कभी भी नहीं मिली। आमतौर पर प्रभावशाली लोगों के जन्म दिन पर बहुत सारे जतन होते है, लेकिन आज जिस तरह से लोगों ने मेरे प्रति अपनी भावनाएं प्रकट की उससे मेरी आखों में आंसू है। चूंकि मैं अपने जीवन में बहुत ही संवेदनशील हंू, इसलिए मेरे यह समझ में नहीं आ रहा है कि यह आंसू किस लिए है, लेकिन मैंने इतना जरूर महसूस किया है कि मेरा लेखन बहुत ही जिम्मेदारी वाला हो गया है। जो लोग मुझे व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते है, उन्होंने भी मेरे लेखन को पढ़कर ही मेरे प्रति सद्भावना की धारणा बनाई है। मैं उन सब का आभारी हंू जिन्होंने किसी न किसी माध्यम से मुझे जन्मदिन की शुभकामनाएं दी। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हंू कि मेरे लेखन के प्रति जो भरोसा व्यक्त किया गया है, वह हमेशा बना रहे।  मैं बहुत ही साधारण परिवार से संबंध रखता हंू और मेरी ईश्वर से यह भी प्रार्थना है कि मेरा यह साधारण स्वरूप बना रहे। मेरे प्रति स्नेह रखने वाले जिन जागरुक पाठकों ने मेरे लेखन पर आलोचनात्मक टिप्पणी की है। उनसे भी मेरी प्रार्थना है कि वे समय-समय पर इसी प्रकार मेरा मार्ग दर्शन करते रहे। ऐसी टिप्पणियों से मुझे और जिम्मेदारी का अहसास होता है। मेरा मंशा यह प्रयास रहता है कि किसी पर भी व्यक्तिगत आक्षेप न करे, लेकिन फिर भी यदि किसी राजनेता अधिकारी या अन्य प्रभावशाली व्यक्ति को कभी दु:ख पहुंचा हो तो आज इस अवसर पर में उनसे भी क्षमा मांगना चाहता हंू। मुझे पता है कि व्यवसायिकता के इस दौर में प्रिंट मीडिया में वैसा नहीं लिखा जा सकता, जैसा सोशल मीडिया में लिखा जा सकता है। मैं चाहता हंू कि जो पत्रकार साथी मेरे समकक्ष है या मुझसे वरिष्ठ हैं वे सब भी सोशल मीडिया का उपयोग करें। सोशल मीडिया वाकई बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। एक बार फिर सभी का आभार, शुक्रिया।

(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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