Saturday 21 February 2015

समाजवादियों की शाही सगाई : परिवार पहले या देश

समाजवादियों की शाही सगाई : परिवार पहले या देश
समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव के भतीजे तेजप्रताप सिंह और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी राजलक्ष्मी की शादी आगामी 26 फरवरी को दिल्ली में होनी है। शादी से पहले 21 फरवरी को उत्तर प्रदेश के सैफई में शादी सगाई का आयोजन हुआ। इस सगाई की खास बात यह रही कि पीएम नरेन्द्र मोदी भी शरीक हुए। विगत दिनों शादी का निमंत्रण देने के लिए स्वयं मुलायम सिंह पीएम मोदी से मिले थे। तब बताया गया कि शादी 26 फरवरी को दिल्ली में होगी। इससे पहले 21 फरवरी को सैफई में सगाई का कार्यक्रम है। मोदी चाहते तो 26 फरवरी को दिल्ली वाले कार्यक्रम में आसानी से शामिल हो सकते थे लेकिन मोदी ने 21 फरवरी को सगाई के कार्यक्रम पर अपनी सहमति दी। राजनीति के क्षेत्र में मुलायम और लालू दोनों ही मोदी के धुर विरोधी है। लालू-मुलायम स्वयं को अल्पसंख्यकों का हमदर्द मानते है और मोदी को विरोधी। इन  दोनों नेताओं ने कई बार कहा है कि मोदी की वजह से अल्पसंख्यक स्वयं को असुरक्षित महसूस करते हैं। राजनीति के क्षेत्र में लालू-मुलायम कुछ भी कहे लेकिन 21 फरवरी को सगाई के समारोह में मोदी की उपस्थिति में लालू-मुलायम स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। एक ही सोफे पर मोदी बैठे तो उनके दोनों तरफ लालू और मुलायम बैठे हुए थे। मुलायम के परिवार के सभी सदस्यों ने पूरी आत्मीयता के साथ मोदी का स्वागत सत्कार किया। मुलायम के पुत्र और यूपी के सीएम अखिलेश यादव की पुत्री को मोदी ने काफी देर तक अपनी गोदी में बैठाए रखा। सवाल उठता है कि जब परिवार के समारोह में लालू-मुलायम मोदी के प्रति आत्मीयता दिखा सकते हैं तो फिर देश के खातिर इस आत्मीयता को प्रकट क्यों नहीं किया जाता? यदि लालू मुलायम दोनों मिलकर मोदी के प्रति अल्पसंख्यकों की नाराजगी को मिटाएं तो फिर इस देश में साम्प्रदायिक सद्भावना प्रभावी तरीके से कायम हो सकती है। यह तर्क देना कि लालू-मुलायम और मोदी की 21 फरवरी की आत्मीयता पारिवारिक थी और राजनीति की बात अलग है, पूरी तरह बेमानी है। जब हम एक परिवार में आत्मीयता दिखा सकते हैं तो फिर हमें देश के खातिर भी आत्मीयता दिखानी ही चाहिए। ऐसा नहीं हो कि सैफई में मोदी की उपस्थिति से लालू-मुलायम स्वयं को गौरवान्वित समझे और राजनीति के मैदान में मोदी को अल्पसंख्यकों का विरोधी कहा जाए। यह माना जा सकता है कि लालू-मुलायम के सगाई समारोह मेें उपस्थिति पर मोदी ने अपने ही लोगों को दबाव हटाया हो और इसी प्रकार मोदी को आमंत्रित करने में लालू-मुलायम ने भी अपने लोगों का दबाव बर्दाश्त किया है। लालू-मुलायम के ऐसे बहुत से सहयोगी होंगे जो मोदी की उपस्थिति को अच्छा नहीं मानते। यदि परिवार से उत्पन्न हुई आत्मीयता राजनीति में भी घुलमिल जाए तो देश की अनेक समस्याओं का समाधान आसानी से हो सकता है। शाही सगाई की एक खास बात अमर सिंह की उपस्थिति और यूपी के प्रभावशाली मंत्री आजम खान की गैर मौजूदगी भी रही। कहने को लालू-मुलायम को समाजवादी माना जाता है लेकिन सगाई समारोह का आयोजन राजा महाराजाओं से कम नहीं था। अमिताभ बच्चन से लेकर यूपी और बिहार तक के गवर्नर मौजूद थे। कहा जा रहा है कि कोई एक लाख लोगों के भोजन का प्रबंध किया है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-0982907151

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