Sunday 1 February 2015

क्या मोदी के नसीब का फायदा देश को मिलेगा

क्या मोदी के नसीब का फायदा देश को मिलेगा
पीएम नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 1 फरवरी को लगातार दूसरे दिन दिल्ली में चुनाव रैली को संबोधित किया। द्वारका में हुई रैली में मोदी ने कहा कि यह उनका नसीब है कि पेट्रोल, डीजल सस्ता हो रहा है। अब यह दिल्ली वालों को तय करना है कि नसीब वाला नेतृत्व चाहिए या बदनसीब वालों का। इसमें कोई दोराय नहीं कि नरेन्द्र मोदी नसीब वाले व्यक्ति है, तभी तो प्लेटफार्म पर चाय बेचते-बेचते देश के प्रधानमंत्री बन गए। नसीब भी ऐसा कि पहले सीधे गुजरात के सीएम बने और फिर सीधे देश के पीएम। ऐसा नसीब शायद ही किसी को मिलता है, लेकिन सवाल यह है कि मोदी के नसीब का फायदा भारत  को मिलेगा? मोदी ने पेट्रोल, डीजल की कीमतों में कमी को अपने नसीब से जोड़ा है, लेकिन यह देश की जनता का नसीब है कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में जिस अनुपात में कच्चे तेल की कीमतेें गिरी, उस अनुपात में देश में पेट्रोल व डीजल के दाम कम नहीं हुए। कांग्रेस के शासन में जब अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में एक बैरल कच्चा तेल 120 डॉलर में मिल रहा था, तब भारत में पेट्रोल का मूल्य 72 रुपए प्रति लीटर था। आज एक बैरल कच्चा तेल मात्र 40-45 डॉलर में मिल रहा है। इस लिहाज से भारत में पेट्रोल अधिकतम 40 रूपए लीटर मिलना चाहिए। लेकिन इसे जनता का नसीब ही कहा जाएगा कि देशवासियों को 65 रुपए प्रति लीटर के भाव से पेट्रोल खरीदना पड़ रहा है। अच्छा होता,मोदी अपने और देशवासियों के इस नसीब के अंतर को भी समझाते। यह माना कि जो व्यक्ति नेतृत्व करता है उसके नसीब का फायदा संबंधित संस्थान को मिलता है लेकिन यह तभी संभव है जब नेतृत्व करने वाला ईमानदारी के साथ अपने नसीब से मिलने वाले परिणामों का फायदा अपने साथियों को भी दे। नसीब तो पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का भी शानदार था। डॉ.सिंह पूर्व में रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे और देश के वित्त मंत्री और पीएम बने। मोदी ने तो पीएम बनने के लिए लोकसभा का चुनाव भी लड़ा और देश भर में रैलियां भी की, लेकिन डॉ.सिंह ने वार्ड पार्षद का चुनाव तक नहीं लड़ा और दस वर्ष तक दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के पीएम बने रहे। राजनीति में आने वाली समस्याओं का सामना सोनिया गांधी ने किया और पीएम की सुविधा मनमोहन सिंह ने भोगी। अल्पमत सरकार के दौर में 10 वर्ष तक देश का पीएम रहना मोदी के नसीब से ज्यादा है। जो नसीब मोदी से ज्यादा रहा उसी की वजह से मोदी देश के पीएम बने। असल में व्यक्तिगत सफलता पाने और देश चलाने में फर्क है। भगवत् गीता में लिखा है कि जो जैसा कर्म करेगा उसे वैसा ही फल मिलेगा। हर व्यक्ति को अपने कर्म के ही फल मिलते है। ऐसा नहीं हो सकता कि कोई व्यक्ति गलत काम करे और उसे नरेन्द्र मोदी के नसीब का फल मिल जाए। मोदी तो भारतीय संस्कृति को समझने वाले इंसान है। इसलिए उनके नसीब का फायदा देश को कैसे मिलेगा? यह आने वाला समय ही बताएगा। मोदी कोई ऐसी साधना करें कि जिससे कि उनके नसीब का फल देशवासियों को मिल सके।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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