Sunday 8 February 2015

क्या आरएसएस से भी मजबूत है केजरीवाल का संगठन

क्या आरएसएस से भी मजबूत है केजरीवाल का संगठन
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान के बाद टीवी चैनलों के जो सर्वे आए है उनमें अधिकांश में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को बहुमत मिलने की बात कही गई है। इन सर्वे की सच्चाई का पता तो दस फरवरी को ही लगेगा, लेकिन यहां सवाल उठता है कि क्या केजरीवाल ने दिल्ली में आरएसएस से भी मजबूत संगठन बना लिया है? आमतौर पर माना जाता है कि भाजपा की जीत में आरएसएस की संगठन क्षमता सहायक होती है। संघ में कार्यकर्ता अपने खर्चे पर पूरी निष्ठा के साथ भाजपा को वोट डलवाने का काम करते है। दिल्ली चुनाव से पहले भी पीएम नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने संघ में सहयोग करने की अपील की थी। संघ की सक्रियता के बाद भी चुनावी सर्वे में केजरीवाल की पार्टी को आगे बताया जा रहा है तो क्या केजरीवाल ने संघ से भी मजबूत संगठन बना लिया? चुनाव में राजनीतिक मुद्दे अपनी जगह है, लेकिन केजरीवाल ने अपने कार्यकर्ताओं का जो संगठन खड़ा किया। उसने दिल्ली के एक-एक मतदाता से तीन-चार बार सम्पर्क किया। भाजपा संघ और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भले ही गली-कूचे के मतदाता से सम्पर्क न साधा हो, लेकिन केजरीवाल के कार्यकर्ताओं ने एक बार नहीं तीन-तीन बार सम्पर्क किया। मतदाताओं को घर से निकालकर मतदान केन्द्र तक ले जाने में केजरीवाल के कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यदि केजरीवाल की जीत होती है तो उसके पीछे सिर्फ संगठन क्षमता ही नजर आ रही है। इसे केजरीवाल और उनके समर्थकों का दमखम ही कहा जाएगा कि लोकसभा चुनाव में बूरी तरह मात खाने के बाद विधानसभा चुनाव में एक बार फिर स्वयं को मजबूत कर लिया। सब जानते है कि राष्ट्रीय राजधानी होने की वजह से दिल्ली विधानसभा और उसके मुख्यमंत्री के पास कोई ज्यादा अधिकार नहीं है। दिल्ली में अधिकांश अधिकार केन्द्र सरकार के पास है। पीएम मोदी ने अपनी जन सभाओं में कहा भी कि दिल्ली का विकास केन्द्र सरकार ही कर सकती है। मोदी ने लोगों को देश की राजधानी के महत्व के बारे में भी समझाया, लेकिन इसके बावजूद भी दिल्ली में भाजपा की स्थिति मजबूत नहर नहीं आ रही है। भाजपा ने दिल्ली का चुनाव जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन इसके बावजूद भी केजरीवाल के संगठन ने मतदाताओं को अपने हाथ से निकलने नहीं दिया। केजरीवाल ने देश की राजनीति में परिवर्तन के भी संकेत दिए है। यदि मजबूत संगठन के जरिए चुनाव लड़ा जाए तो भाजपा और कांग्रेस दोनों को हराया जा सकता है, वह भी तब जब पीएम नरेन्द्र मोदी जैसा लोकप्रिय नेता भाजपा का प्रचार कर रहा हो। केजरीवाल ने उस चुनाव के दौरान जो वायदे किए उन्हें पीएम बनने के बाद किस प्रकार पूरा करेंगे यह आने वाला समय ही बताएगा।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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