Thursday 20 September 2018

एसीबी ने सटीक सूचना पर पकड़ा था इंजीनियर को सवा पांच लाख रुपए के साथ।

एसीबी ने सटीक सूचना पर पकड़ा था इंजीनियर को सवा पांच लाख रुपए के साथ। उलझ सकता है हमदर्द ठेकेदार भी। पीडब्ल्यूडी दफ्तर और बंैकों को खंगाला।
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यदि कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को सटीक सूचना दे तो एसीबी के ईमानदार अधिकारी तत्काल कार्यवाही करते हैं। ऐसे ही सटीक सूचना पर 18 सितम्बर को अजेर स्थित एसीबी के डीएसपी महिपाल सिंह च ौधरी ने कार्यवाही करते हुए पीडब्ल्यूडी के एडिशनल चीफ इंजीनियर एमके गुप्ता को सवा पांच लाख रुपए के साथ पकड़ा। हालांकि गुप्ता को रिश्वत लेते नहीं पकड़ा, इसलिए प्राथमिक पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया, लेकिन 20 सितम्बर को डीएसपी च ौधरी ने अजमेर स्थित पीडब्ल्यूडी के दफ्तर में उन फाइलों को देखा जो गुप्ता के निर्णयों से जुड़ी है। साथ ही गुप्ता के बैंक खातों से पता लगाया कि उन्होंने कब कब राशि निकाली है। पकड़े जाने के बाद गुप्ता का कहना था कि सवा पांच लाख रुपए की राशि बालाजी कंस्टेªशन के मालिक दिनेश च ौधरी की है। च ौधरी ने ही अजमेर से रवाना होते वक्त पांच लिफाफे दिए थे और कहा कि जयपुर में मेरा आदमी आकर ले जाएगा। चूंकि मैं अजमेर से जयपुर आ रहा था, इसलिए लिफाफों को कार में रख लिया। मेरा सवा पांच लाख रुपए की राशि से कोई सरोकार नहीं है। गुप्ता के इस बयान के बाद अब एसीबी के अधिकारियों ने बालाजी कंस्टेªक्शन के मालिक दिनेश च ौधरी को बुलाया है। अब ठेकेदार च ौधरी को बताना होगा कि यह राशि कहां से आई और अलग अलग लिफाफों में रख कर जयपुर क्यों भेजी जा रही थी? लिफाफे गुप्ता को ही क्यों दिए गए? ठेकेदार की बालाजी कंस्ट्रेशन कंपनी के खातों को भी देखा जाएगा कि इतनी बड़ी राशि की बैंक से निकासी कैसे हुई। भले ही इंजीनियर गुप्ता ने ठेकेदार का नाम ले लिया हो, लेकिन जानकारों की माने तो लिफाफे रिश्वत की राशि के थे। गुप्ता 18 सितम्बर को जिस लग्जरी कार से जयपुर जा रहे थे वो ही ठेकेदार च ौधरी की बताई जा रही है। च ौधरी डबल ए श्रेणी के ठेकेदार है और कई सरकारी योजनाओं में मकान, सड़क आदि बनाने का कार्य कर रहे हैं। एसीबी इन निर्माण कार्यों की जांच भी कर सकती है।
मुकदमे के लिए ली जाएगी अनुमतिः
उच्च स्तर पर जुड़े कथित भ्रष्टाचार के इस मामले की जांच कर रहे एसीबी के डीएसपी महिपाल सिंह ने बताया कि अभी सभी पहलुओं पर जांच हो रही है। जांच की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाएगी और अनुमति मिलने पर दोषी व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। उन्होंने जागरुक लोगों से अपील की कि सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार मिटाने के लिए एसीबी का सहयोग करें। एसीबी के अधिकारी सूचना मिलने पर प्रभावी कार्यवाही करते हैं। सूचना देने वाले का नाम भी गुप्त रखा जाता है। बडे़ से बड़े अधिकारी को भी पकड़ने में हिचक नहीं होती है। इसका ताजा उदाहरण पीडब्ल्यूडी के एडिशनल चीफ इंजीनियर का पकड़ा जाना है।
एस.पी.मित्तल) (20-09-18)
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