Thursday 20 September 2018

क्या हत्यारे पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना जरूरी है?

क्या हत्यारे पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना जरूरी है? आखिर कब सिखाया जाएगा सबक?
हमारे सैनिक के साथ बर्बरता।
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19 सितम्बर की शाम 6 बजे जब बीएसएफ के जवान नरेन्द्र सिंह का शव जला कटा मिला, तब दुबई में भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच हो रहा था। मैच के नाम पर सुनील गावस्कर से लेकर राजनेता शरद पंवार तक पैसा कमाने और आनंद लेने में लगे हुए थे, जबकि जम्मू सीमा पर हमारे सैनिक अपने साथी की हत्या का मातम बना रहे थे। इसे पाकिस्तान की करतूत ही कहा जाएगा कि नरेन्द्र सिंह को पहले जख्मी हालत में अगवा किया और पाक सैनिकों ने उसकी एक आंख निकाल कर टांग भी काट दी। इतना ही नहीं उसके शरीर में बिजली का करंट दौड़ाया गया। 9 घंटे तक तड़पाने के बाद दो गोली मार कर हत्या कर दी। जिस समय हमारे सैनिकों को तड़पाया जा रहा था, उसी समय हम इस पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेल रहे थे। हालांकि नरेन्द्र सिंह शहीद हो चुके हैं, लेकिन उनके शव को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान ने कितनी बर्बरता की होगी? समझ में नहीं आता कि हम हत्यारे पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलने को उतावले क्यों रहते हैं। नरेन्द्र मोदी और भाजपा जब विपक्ष में थे, तब पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच का विरोध सड़कों पर करते थे, लेकिन अब जब सत्ता में आ गए हैं तो पाकिस्तान के साथ क्रिकेट तब खेलते हैं जब सीमा पर पाकिस्तान हमारे सैनिक के साथ बर्बरता कर रहा होता है। बीएसएफ के जवान नरेन्द्र सिंह को जख्मी अवस्था में पाकिस्तान के सैनिकों ने सुबह ही अगवा कर लिया था, लेकिन टीवी चैनलों पर सैनिक से ज्यादा क्रिकेट मैच की चर्चा हो रही थी। किसी को भी अगवा सैनिक की चिंता नहीं थी। जो लोग यह समझते हैं कि क्रिकेट खेलने से पाकिस्तान के साथ संबंध सुधर जाएंगे, वे गलतफहमी में हैं। भारत कितनी भी विनम्रता दिखा ले, लेकिन पाकिस्तान सुधरने वाला नहीं है। कहने को तो हमने सर्जिकल स्ट्राइक भी की, लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान हमारे सैनिकों के साथ बर्बरता कर रहा है। अब समय आ गया है कि पूरे देश को एकजुट होकर पाकिस्तान का विरोध करना चाहिए, लेकिन पाकिस्तान भी यह हकीकत जानता है कि इस मुद्दे पर भारत में एकजुटता नहीं हो सकती। कश्मीर के अलगाववादी पाकिस्तान में शामिल होने की मांग करते हैं और वहीं पंजाब के मंत्री और कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल बाजवा की प्रशंसा कर रहे हैं। भारत के जो आतंरिक हालात है, उसे देखते हुए ही पाकिस्तान के सैनिक हमारे जवानों के साथ बर्बरता करते हैं। देश के लोगों को नरेन्द्र मोदी से बहुत उम्मीद थी और आज भी हैं, लेकिन मोदी शासन के चार साल बाद भी हमारे सैनिक बर्बरता के  शिकार होते रहेंगे, तो फिर लोगों की उम्मीद का क्या होगा? पाकिस्तान से क्रिकेट नहीं खेलने का निर्णय लेकर नरेन्द्र मोदी हमारे जख्मों पर कुछ तो मरहम लगा ही सकते हैं। वैसे तो नरेन्द्र सिंह वाली घटना नरेन्द्र मोदी के लिए युद्ध की घोषणा करने जैसी है। यह कुतर्क होगा कि युद्ध से कुछ नहीं होगा। अब पाकिस्तान को युद्ध से ही सबक सिखाया जा सकता है।
एस.पी.मित्तल) (20-09-18)
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