Sunday 6 June 2021

राजस्थान में सचिन पायलट के डर से अशोक गहलोत का गुट एकजुट हुआ।अब कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल को एक दूसरे से कोई शिकायत नहीं।मैं गहलोत की बात तो नहीं करता, लेकिन राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रहेगी। पायलट के साथ था और रहूंगा-पीआर मीणा।

राजनेता अपने स्वार्थ और अहम के कारण पहले झगड़ा करते हैं और मीडिया में खबरें प्रकाशित हो जाने के बाद स्वार्थ पूरे हो जाते हैं तो झगड़े का ठीकरा मीडिया के सिर फोड़ देते हैं। ऐसा ही कुछ राजस्थान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और मंत्रिमंडल में नम्बर दो की हैसियत रखने वाले नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के झगड़े में हुआ। बदली हुई परिस्थितियों में अब दोनों को एक दूसरे से कोई शिकायत नहीं है। झगड़ा दो जून को मंत्रिमंडल की बैठक में हुआ था, लेकिन 5 जून को झगड़ा खत्म हो गया। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि दो ताकतवर राजनेताओं का झगड़ा मात्र दो दिन में खत्म हो गया? असल में यह झगड़ा पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के डर की वजह से खत्म हुआ है। राजस्थान में कांग्रेस में दो गुट बने हुए हैं। एक गुट सचिन पायलट का है तो दूसरा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का। सचिन पायलट के गुट को सत्ता से बाहर खदेड़ने के लिए ही गहलोत का गुट बना था। डोटासरा और धारीवाल दोनों ही गहलोत गुट के हैं। यदि गहलोत गुट के दो ताकतवर व्यक्ति आपस में लड़ते हैं तो इसका फायदा पायलट गुट को ही होता है। सचिन पायलट के सत्ता से बाहर खदेड़ने में गहलोत के साथ साथ धारीवाल और डोटासरा की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पाठकों को याद होगा कि गत वर्ष एक माह दिल्ली में रहने के बाद जब पायलट गुट वाले 19 कांग्रेसी विधायकों ने दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की थी, तब जैसलमेर के होटल में बंद 100 विधायकों के बीच धारीवाल ने प्रस्ताव रखा था कि पायलट और उनके समर्थक विधायकों को कांग्रेस में दोबारा से शामिल नहीं किया जाए। उस समय के बयानों को पढ़ा जाए तो पता चल जाएगा कि धारीवाल सचिन पायलट से कितने खफा है। जहां तक डोटासरा का सवाल है तो सचिन पायलट को बर्खास्त कर डोटासरा को ही कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है। ऐसे में धारीवाल और डोटासरा कभी नहीं चाहेंगे कि उनके आपसी झगड़े से सचिन पायलट गुट को फायदा हो और फिर दोनों ही सत्ता की मलाई बड़े स्वाद से खा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भी डोटासरा का स्कूली शिक्षा मंत्री का पद बरकरार है। अच्छी पोस्टिंग के लिए आईएएस, आईपीएस, आरएएस आरपीएस वर्ग के अधिकारी डोटासरा के जयपुर और सीकर के बंगलों के बाहर लाइन में खड़े रहते हैं। वहीं धारीवाल चाहे जिस आईएस को हटवा देते हैं। नगरीय विकास विभाग में धारीवाल की एक छत्र चलती है। धारीवाल अपने अंदाज में ही नौकरशाही से बात करते हैं। डोटासरा और धारीवाल को भी लगता है कि अशोक गहलोत की सरकार उन्हीं के कंधों पर टिकी है। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सचिन पायलट का गुट एकजुट है। भले ही पायलट सत्ता और संगठन से बाहर रखा हुआ हो, लेकिन पायलट के साथ दिल्ली जाने वाले सभी 18 कांग्रेसी विधायक पायलट को ही अपना नेता मानते हैं। ट्वीटर पर पायलट को नेता मानने वाली पोस्ट डालते हैं। पायलट समर्थक विधायक हेमाराम चौधरी ने तो विधायक पद से इस्तीफा भी दे रखा है।
पायलट के साथ था और रहूंगा-मीणा:
6 जून को राजस्थान के एक न्यूज चैनल से संवाद करते हुए कांग्रेस के विधायक पीआर मीणा ने स्पष्ट किया कि वे सचिन पायलट के समर्थक थे और रहेंगे। मीणा ने कहा कि गत वर्ष सचिन पायलट के नेतृत्व में मेरे सहित 19 विधायकों ने कोई बगावत नहीं की। हम लोग दिल्ली में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से मुलाकात करने गए थे। दिल्ली पहुंचने के बाद कोरोना का संक्रमण बढ़ गया, इसलिए हमें मुलाकात के लिए इंतजार करना पड़ा। जैसे ही सोनिया गांधी से मुलाकात हुई वैसे ही हम लोग जयपुर लौट आए। मीणा ने कहा कि अशोक गहलोत हो या सचिन पायलट सभी कांग्रेस के नेता हैं। मैं गहलोत की तो बात नहीं करता, लेकिन राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र टोडाभीम के विकास कार्यों को लेकर मैंने 5 जून को बयान दिया था उसका मीडिया में गलत अर्थ लगाया गया है। यदि मुख्यमंत्री ने विकास के कार्य स्वीकृत किए हैं, तो सरकार की प्रशंसा भी होनी चाहिए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (06-06-2021)
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