Wednesday 16 June 2021

राजस्थान के मौजूदा राजनीतिक हालात में सचिन पायलट अपने मकसद में सफल रहे। अब कांग्रेस में रह कर ही अशोक गहलोत सरकार की सांसे फुलाते रहेंगे।

राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार जन अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर रही है, इस बात का संदेश आखिर कर कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों ने दे ही दिया। पिछले एक सप्ताह में जो असंतुष्ट गतिविधियां हुई उसकी वजह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दो माह के लिए एकांतवास में चले गए। असंतुष्टों का मुकाबला करने के लिए बसपा से आए विधायकों का सहयोग भी गहलोत सरकार को लेना पड़ा। यानी प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट मौजूदा हालातों में अपने राजनीतिक मकसद में सफल रहे हैं। गहलोत की सरकार गिरना मुश्किल है, इसका अंदाजा सचिन पायलट को भी है। इसलिए अब कांग्रेस में रह कर ही गहलोत सरकार के लिए असहज स्थितियां उत्पन्न की जा रही है। पायलट ने पिछले एक सप्ताह में जयपुर और दिल्ली में जो मोर्चा खोला उसकी वजह से राजस्थान में गहलोत सरकार को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। जो सरकार कोरोना काल में अपनी उपलब्धियों को गिना रही थी, उसी सरकार से विधायकों में आरोप लगाया कि सरकार जन अपेक्षाओं पर खराब नहीं उतर रही है। यानी जो काम विपक्ष का था, उसे सचिन पायलट के समर्थकों ने किया। इसमें कोई दो राय नहीं कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनाने में पायलट और उनके समर्थकों ने लंबा संघर्ष किया। लेकिन अब उन्हीं नेताओं को सरकार में उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है। भले ही सीएम गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ताजा हालातों पर कोई टिप्पणी न की हो, लेकिन बसपा से आए विधायकों को आगे कर पायलट को जवाब दिलवाने की कोशिश की गई है। पायलट और उनके समर्थक विधायकों को गद्दार तक कहा जा रहा है। सब जानते हैं कि गत वर्ष जुलाई अगस्त में जब सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायक दिल्ली चले गए थे, तब गद्दार जैसे शब्दों का इस्तेमाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही किया था। तब पायलट को नकारा, मक्कार और गद्दार तक कहा गया। 
S.P.MITTAL BLOGGER (16-06-2021)
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