राजस्थान में असंतुष्ट नेता सचिन पायलट और उनके समर्थक आरोप लगा रहे थे कि जिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने संघर्ष कर कांग्रेस का शासन स्थापित किया, उन्हें दरकिनार कर रिटायर्ड नौकरशाहों को राजनीतिक नियुक्तियां दी जा रही हैं। इन्हीं आरोपों के बीच 17 जून को रिटायर्ड आईएएस जीएस संधू को अशोक गहलोत की सरकार का सलाहकार नियुक्त कर दिया है। संधु को नगरीय विकास विभाग का ही सलाहकार नियुक्त नहीं किया, बल्कि मुख्यमंत्री के विभागों से संबंधित बजट घोषणाओं को पूरा करने की भी जिम्मेदारी दी है। मुख्यमंत्री के पास 20 से भी ज्यादा विभाग है। हालांकि संधू की उम्र 71 वर्ष है, लेकिन वे सरकार का बोझ उठाने को तैयार है। संधू की नियुक्ति का मतलब है, असंतुष्ट नेता सचिन पायलट के जले पर नमक छिड़कना। संधू की नियुक्ति के साथ ही सीएम गहलोत ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि अब राजस्थान में वो ही होगा, जो वे चाहेंगे। अब यह बात कोई मायने नहीं रखती है कि भाजपा शासन में पायलट ने जो संघर्ष किया, उसी की बदौलत प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है। पायलट अब प्रदेश में कांग्रेस के कुछ विधायकों को लेकर कितना भी विरोध करवाए, लेकिन ऐसे विरोध की दिल्ली तक कोई सुनवाई नहीं होगी। सीएम गहलोत अब पायलट के मुद्दे पर कांग्रेस के किसी भी नेता से बात करने के इच्छुक भी नहीं है। वैसे भी कोरोना संक्रमण से बचने के लिए गहलोत ने स्वयं को 15 अगस्त तक के लिए सरकारी आवास में क्वारंटीन कर लिया है। गहलोत अब सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों पर ही संवाद करेंगे। अब देखना है कि सचिन पायलट क्या रुख अख्तियार करते हैं।
संधू को तोहफा मिला:
जानकार सूत्रों के अनुसार राजस्थान के बहुचर्चित एकल पट्टा प्रकरण का जीएस संधू को तोहफा मिला है। वर्ष 2008 से 2013 के बीच जब प्रदेश में अशोक गहलोत के नेतृत्व में ही कांग्रेस की सरकार थी, तब भी शांति धारीवाल ही नगरीय विकास विभाग के मंत्री थे। तब जीएस संधू इस विभाग के प्रमुख शासन सचिव थे, तभी एकल पट्टा प्रकरण हुआ। भाजपा के शासन में दर्ज हुए मुकदमे में अनेक आरएएस के साथ-साथ जीएस संधू और शांति धारीवाल को भी आरोपी बनाया गया। लेकिन तब संधू ने सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली, इससे धारीवाल आरोप मुक्त हो गए। हालांकि बाद में यह प्रकरण भी समाप्त हो गया, लेकिन विभाग का प्रमुख शासन सचिव होने के नाते संधू ने जिस प्रकार मुसीबत झेली, उसी का परिणाम है कि अब संधू को नगरीय विकास विभाग का सबसे ताकतवर व्यक्ति बना कर सम्मानित किया है। गहलोत मंत्रिमंडल में धारीवाल की स्थिति दूसरे नम्बर की है। सीएम के पास वित्त और गृह भी है और कई मौकों पर इन विभागों का काम सीएम की ओर से धारीवाल ही करते हैं। कहा जा सकता है कि संधू का गृह और वित्त विभाग में भी दखल रहेगा।
अब अनेक आईएएस आतुर:
राज्य सरकार ने जीएस संधू को एक रुपया मासिक वेतन पर सलाहकार के पद पर नियुक्ति दी है, लेकिन संधु को मुख्य सचिव के समकक्ष सभी सुविधाएं उपलब्ध होगी। जिन शर्तों पर संधु को नियुक्त किया गया है, उनसे भी कम सुविधाओं पर रिटायर आईएएस सरकार में किसी भी पद पर नियुक्ति के लिए आतुर हैं। ऐसे रिटायर अधिकारियों का मानना है कि सरकारी वाहन की सुविधा पर ही कोई भी काम करने को तैयार हैं। सरकार ने भले ही एक रुपया मासिक वेतन पर संधू की नियुक्ति की हो, लेकिन सब जानते हैं कि मुख्य सचिव को कितनी सुविधाएं मिलती हैं। संधू की नियुक्ति तो नगरीय विकास विभाग में की है। यह विभाग किसी भी सरकार में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। संधु न केवल शांति धारीवाल के भरोसे के हैं, बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वास पात्र भी हैं।
संधू को तोहफा मिला:
जानकार सूत्रों के अनुसार राजस्थान के बहुचर्चित एकल पट्टा प्रकरण का जीएस संधू को तोहफा मिला है। वर्ष 2008 से 2013 के बीच जब प्रदेश में अशोक गहलोत के नेतृत्व में ही कांग्रेस की सरकार थी, तब भी शांति धारीवाल ही नगरीय विकास विभाग के मंत्री थे। तब जीएस संधू इस विभाग के प्रमुख शासन सचिव थे, तभी एकल पट्टा प्रकरण हुआ। भाजपा के शासन में दर्ज हुए मुकदमे में अनेक आरएएस के साथ-साथ जीएस संधू और शांति धारीवाल को भी आरोपी बनाया गया। लेकिन तब संधू ने सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली, इससे धारीवाल आरोप मुक्त हो गए। हालांकि बाद में यह प्रकरण भी समाप्त हो गया, लेकिन विभाग का प्रमुख शासन सचिव होने के नाते संधू ने जिस प्रकार मुसीबत झेली, उसी का परिणाम है कि अब संधू को नगरीय विकास विभाग का सबसे ताकतवर व्यक्ति बना कर सम्मानित किया है। गहलोत मंत्रिमंडल में धारीवाल की स्थिति दूसरे नम्बर की है। सीएम के पास वित्त और गृह भी है और कई मौकों पर इन विभागों का काम सीएम की ओर से धारीवाल ही करते हैं। कहा जा सकता है कि संधू का गृह और वित्त विभाग में भी दखल रहेगा।
अब अनेक आईएएस आतुर:
राज्य सरकार ने जीएस संधू को एक रुपया मासिक वेतन पर सलाहकार के पद पर नियुक्ति दी है, लेकिन संधु को मुख्य सचिव के समकक्ष सभी सुविधाएं उपलब्ध होगी। जिन शर्तों पर संधु को नियुक्त किया गया है, उनसे भी कम सुविधाओं पर रिटायर आईएएस सरकार में किसी भी पद पर नियुक्ति के लिए आतुर हैं। ऐसे रिटायर अधिकारियों का मानना है कि सरकारी वाहन की सुविधा पर ही कोई भी काम करने को तैयार हैं। सरकार ने भले ही एक रुपया मासिक वेतन पर संधू की नियुक्ति की हो, लेकिन सब जानते हैं कि मुख्य सचिव को कितनी सुविधाएं मिलती हैं। संधू की नियुक्ति तो नगरीय विकास विभाग में की है। यह विभाग किसी भी सरकार में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। संधु न केवल शांति धारीवाल के भरोसे के हैं, बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वास पात्र भी हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (18-06-2021)
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