22 जून को दिल्ली में एनसीपी नेता शरद पवार के निवास पर देशभर के क्षेत्रीय दलों की एक बैठक में विपक्ष की एकता पर मंथन हुआ। राष्ट्रीय राजनीतिक माने जाने वाले कांग्रेस को दरकिनार कर यह बैठक हो रही है। यह बैठक राजनीति के पेशेवर मैनेजर प्रशांत किशोर की पहल पर हो रही है। सब जानते हैं कि प्रशांत की कंपनी मोटी रकम लेकर राजनीतिक दलों का प्रचार प्रसार और चुनाव मैनेजमेंट का काम करती है। हाल ही में संपन्न हुए पश्चिम बंगाल के चुनाव में भी ममता बनर्जी का प्रबंधन प्रशांत के पास ही था। चूंकि 22 जून को बैठक में भी प्रशांत का पेशेवर दिमाग है, इसलिए यह बैठक पूर्व केन्द्रीय मंत्री और मोदी सरकार की नीतियों के घोर आलोचक यशवंत सिन्हा के राष्ट्रमंच के बैनर तले हुई। शरद पवार के घर पर बैठक करवाने से भी प्रतीत होता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने की कई मायने हैं। कहा जा सकता है कि विपक्षी की एकता भी अब प्रशांत किशोर जैसे मैनेजर ठेके पर कर रहे हैं। फिलहाल इस बैठक में उन क्षेत्रीय दलों को शामिल किया गया है, जो अपने प्रदेश में भाजपा और मोदी को टक्कर दे सकते हैं। इसे पेशेवर रणनीति ही कहा जाएगा कि विपक्ष की एकता की इस पहल से कांग्रेस को दूर रखा गया है। क्या प्रशांत की यह रणनीति कांग्रेस को अलग रख कर विपक्ष की एकजुट करने की है? जबकि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार कांग्रेस के समर्थन से ही चल रही है। यदि आज कांग्रेस अपना समर्थन वापस ले ले तो ठाकरे की सरकार गिर जाएगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रशांत को चुनाव मैनेजमेंट का काफी अनुभव हो गया है, इसलिए वे अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियां अभी से कर रहे हैं। विपक्ष की यह एकता अगले वर्ष पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में भी काम आएगी। शरद पवार के निवास पर बैठक होना राजनीतिक दृष्टि से बहुम मायने रखती है। हो सकता है कि राहुल गांधी के मुकाबले में शरद पवार को विपक्ष का सबसे बड़ा नेता भी बनाया जा रहा है। शरद के नाम पर पश्चिम बंगाल की सीएम मता बनर्जी भी सहमत बताई जा रही है।
S.P.MITTAL BLOGGER (22-06-2021)
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