Thursday 15 January 2015

सीएम वसुंधरा क्या सादगी में भी आनंदी बेन से सीख लेंगी

सीएम वसुंधरा क्या सादगी में भी आनंदी बेन से सीख लेंगी
राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे कौन से स्टाइल में बालों पर चश्मा लगाएं और किस पर्व पर  कौन सा लिबास पहने, यह उनका अपना फैसला है। इसमें शायद  किसी को दखल भी नहीं देना चाहिए, लेकिन जब सीएम की हैसियत से राजे यह कहती हैं कि राजस्थान का विकास गुजरात  की तर्ज पर किया जाएगा, तब यह सवाल उठता है कि क्या सादगी के क्षेत्र में भी राजे गुजरात की सीएम आनंदी बेन से सीख लेंगी? सब जानते हैं कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में आनंदी बेन को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बना कर सीएम बनाया। आनंदी बेन मोदी की अपेक्षाओं पर खरा भी उतर रही हैं। सीएम बनने के बाद भी आनंदी बेन ने अपनी सादगी को कायम रखा है। हाल ही में गांधीनगर में हुए गुजरात बाइब्रेंट सम्मेलन में विदेशियों के बीच भी आनंदी बेन की सादगी चर्चा का विषय रही। आनंदी बेन ने संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून,अमरीका के विदेशी मंत्री जॉन केरी जैसे दुनिया के ताकतवर लोगों से हाथ मिलाया, तब भी वे एक साधारण साड़ी में भारतीय संस्कृति वाली महिला ही नजर आ रही थीं। इतने बड़े गुजरात बाइब्रेंट सम्मेलन  को शांतिपूर्ण निपटा लिया। कहीं कोई डांट-डपट नहीं और न ही सीएम की कुर्सी का रौब। जो सादगी आनंदी बेन प्रदर्शित करती हैं,क्या ऐसी ही सादगी वसुंधरा भी दिखा सकती हैं। प्रदेश की जनता ने न्यूज चैनलों और अखबारों में मकर संक्रांति पर्व वाला वसुंधरा राजे का फोटो देखा होगा। इस फोटो में वसुंधरा राजे भारतीय संस्कृति के अनुरूप गाय माता की पूजा के बाद उसे दुलार रही हैं, जबकि स्वयं राजे ने अपने खुले और बिखरे बालों में कीमती चश्मा फंसा रखा है। शरारा-कुर्ता और फिर शॉल के लिबास में राजे की अपनी चमक दिख रही है। यादि एक ओर ताकतवर विदेशियों के बीच आनंदी बेन की सादगी है तो दूसरी भारतीय संस्कृति पर्व पर सीएम राजे की चमक। आनंदी बेन से सीख लेने में कोई एतराज भी नहीं है, क्योंकि आनंदी बेन भी उसी भाजपा की है, जिसकी राजे। आनंदी भी महिला हैं और राजे भी वैसे भी राजे को देवी-देवताओं पर पूरा भरोसा है। अपना हर काम शुरू  करने से पहले राजे मंदिर में जाकर पूजा पाठ करती हैं। अपनी राजनीतिक सफलता का श्रेय भी राजे ईश्वर को ही देती हैं।
-(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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