Saturday 17 January 2015

रसोई गैस सिलेण्डर पर भी सरकार को फायदा

रसोई गैस सिलेण्डर पर भी सरकार को फायदा
पीएम नरेन्द्र मोदी की सरकार सिर्फ पेट्रोल-डीजल में ही नहीं कमा रही बल्कि रसोई गैस सिलेण्डर पर भी सरकार को मुनाफा हो रहा है। सब लोग जानते है कि गत कांग्रेस के शासन में बिना सब्सिडी वाला सिलेण्डर 950/- रुपए का मिलता था लेकिन वर्तमान में यही सिलेण्डर 670/- का मिल रहा है। सरकार उपभोक्ताओं को एक वर्ष में 12 सिलेण्डर 400/- प्रति सिलेण्डर के हिसाब से देती है। यानि सरकार सिलेण्डर पर मात्र 270 रुपए सब्सिडी दे रही है जबकि यही सब्सिडी कांग्रेस सरकार को 450/- देनी पड़ रही थी। इसे पीएम मोदी की तकदीर ही कहा जाएगा कि कांग्रेस के मुकाबले प्रति सिलेण्डर 180/- की भरपाई हुई है। अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के जो दाम लगातार घट रहे है उसमें सरकार तो फायदा उठा रही है लेकिन उपभोक्ताओं को कोई खास राहत नहीं मिल पा रही है। सरकार ने अभी भी सब्सिडी वाले सिलेण्डर का मूल्य 400/- रखा हुआ है। मोदी ने गत लोकसभा के चुनाव में बार-बार कहा था कि कांग्रेस लुटेरी है जो फायदा जनता को मिलना चाहिए वह कांग्रेस के नेता उठा रहे है। देश की जनता के सामने अब पेट्रोलियम पदार्थो के मूल्य का हिसाब सामने है। पीएम मोदी को यह बताना चाहिए कि आखिर सब्सिडी वाले सिलेण्डर की कीमत को कम क्यों नहीं किया जा रहा। क्या एक लोकतांत्रिक सरकार का मकसद सिर्फ राज करना ही है? सरकार के आय के स्त्रोत अनेक प्रकार के होते है लेकिन जो वस्तु आम उपभोक्ता के काम आती है। उसके बारे में सरकार का नजरिया कमाने का नहीं होना चाहिए। सरकार को अब पेट्रोल और डीजल पर भी किसी भी प्रकार की सब्सिडी नहीं देनी पड़ रही है। उल्टे लगातार टैक्स लगाकर सरकार पेट्रोल डीजल के दाम कम नहीं होने दे रही है। मोदी के समर्थक बार-बार चिल्लाते है कि पेट्रोल और डीजल के दाम 15 रुपए तक कम हो गए है लेकिन यह भी बताना चाहिए कि कच्चे तेल के जो दाम जो गिरे उसके अनुपात में क्या देश में पेट्रोल डीजल के मूल्य कम हुए है? कांग्रेस के शासन में जब अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में एक बैरल कच्चा तेल 120 डालर का था तब देश में पेट्रोल का मूल्य 72 रुपए प्रति लीटर था। आज भी बैरल कच्चा तेल मात्र 47 डालर में खरीदा जा रहा है। जबकि भारत में पेट्रोल 64 रुपए प्रति लीटर हो जाएगा तो यह बताना चाहिए कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में गिर रहे दामों का लाभ देश के उपभोक्ताओं को क्यों नहीं मिल पा रहा है। सब जानते है कि देश में पेट्रोलियम पदार्थो का कारोबार उद्योगपति मुकेश अम्बानी द्वारा किया जा रहा है और मुकेश अम्बानी जी पीएम मोदी के परम मित्रों में से है। इसमें कोई दोराय नहीं कि मोदी की ईमानदारी पर शक नहीं किया जा सकता लेकिन पेट्रोलियम पदार्थो के मूल्यों को निर्धारित करने में पारदर्शिता तो होनी ही चाहिए। भले ही मुकेश अम्बानी पीएम मोदी के दोस्त हो। कांग्रेस अपनी तकदीर को कोस सकती है कि उसके शासन में कच्चे तेल का भाव 120 रुपए डॉलर तक पहुंच गया। असल में इस महत्वपूर्ण मुद्दे को कांग्रेस भी प्रभावी तरीके से नहीं उठा रही है। जानकारों की माने तो वर्तमान में सरकार को एक लीटर पेट्रोल मात्र 25 रुपए का खरीदना पड़ रहा है लेकिन उपभोक्ताओं को 64 रुपए में मिल रहा है। सरकार यह कहकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है कि पेट्रोल डीजल के दाम तेल कंपनियां निर्धारित करती है। यदि सरकारी नियंत्रण वाली तेल कंपनियां बेइमानी कर रही है तो सरकार कार्यवाही क्यों नहीं करती।
-(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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