अजमेर में 14 अप्रैल को निकलने वाले महावीर जयंती के जुलूस की प्रशासनिक अनुमति में हो रहे विलंब को लेकर मैंने 10 अप्रैल को एक ब्लॉग लिखा था। प्रशासन ने शाम होते होते जैन समाज को जुलूस निकालने की अनुमति भिजवा दी। लेकिन यह अनुमति सशर्त दी गई है। एक भी शर्त का उल्लंघन होने पर अनुमति निरस्त कर दी जाएगी। शर्तों में जिन जिन गाइड लाइनों का उल्लेख किया गया है उनके मुताबिक कम से कम 100 पाबंदियां लगाई है। महावीर जयंती का जुलूस केसरगंज स्थित जैन मंदिर से प्रात: 8 बजे शुरू होगा, यह जुलूस स्टेशन रोड, मदार गेट, गांधी भवन, चूड़ी बाजार, नया बाजार, कड्क्का चौक, धानमंडी, दरगाह बाजार, नलाबाजार, मदार गेट, रेलवे स्टेशन के सामने से जैन नमकीन, पड़ाव, केसर गंज होते हुए पुन: जैन मंदिर पर ही समाप्त होगा। कोई पांच घंटे के इस जुलूस को निकालने के लिए जैन समाज को निर्देश दिए गए हैं कि राजकीय कार्यालय, शिक्षण संस्थान, न्यायालय, चिकित्सालय तथा राज्य सरकार द्वारा घोषित प्रतिबंधित क्षेत्र में सौ मीटर की परिधि से दूर ध्वनि प्रसारण यंत्रों का उपयोग किया जाए। ध्वनि प्रसारण यंत्रों की आवाज भी अधिकतम 55 डेसीबल ही होनी चाहिए। जुलूस की जो अवधि प्रातः 8 से दोपहर 1 बजे तक की बताई गई है, उसी समय अवधि में जुलूस को सम्पन्न कराया जाए। जुलूस के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइन की पालना किया जाना अनिवार्य है। यह सुनिश्चित किया जाए कि यातायात बाधित नहीं हो। जुलूस के दौरान किसी भी धर्म संप्रदाय के विरुद्ध नारे अथवा बयानबाजी नहीं की जाए। जुलूस के दौरान कानून व्यवस्था शांति सुरक्षा सौहार्द एवं यातायात व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन का पूर्ण सहयोग किया जाए। अजमेर के जिला कलेक्टर ने ध्वनि प्रसारण यंत्रों के उपयोग के लिए समय समय पर जो आदेश जारी किए हैं, उनकी पालना भी सुनिश्चित की जाए। राज्य सरकार के गृह विभाग ने 13 फरवरी 2022 को जो निर्देश दिए हैं, उसकी भी पालना होना जरूरी है। गृह विभाग ने 8 अप्रैल को भी जो गाइडलाइन जारी की है, उसकी पालना भी की जाए। यहां यह उल्लेखनीय है कि 8 अप्रैल की गाइड लाइन में सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक प्रतीक वाले झंडियां लगाने पर रोक लगाई है। प्रशासनिक स्वीकृति में स्पष्ट कहा गया है कि शर्तों का उल्लंघन करने पर आयोजकों के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही अमल में लाई जाएगी तथा यह स्वीकृति स्वत: निरस्त समझी जाएगी। इसके साथ ही अजमेर के क्लॉक टावर, कोतवाली, दरगाह, अलवर गेट, गंज के थाना अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जुलूस के दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्र के नियमानुसार उपयोग को सुनिश्चित करें।
पहली बार इतनी शर्तें:
आम तौर पर धार्मिक और सामाजिक जुलूसों की अनुमति को कुछ शर्तें लगाई जाती है, लेकिन यह पहला अवसर है जब धार्मिक और सामाजिक आयोजनों को लेकर इतनी शर्तें और पाबंदियां लगाई गई है। हालांकि महावीर जयंती के जुलूस के दौरान भी धार्मिक प्रतीक वाली झंडियों और भगवानों के चित्रों का प्रदर्शन होता है। देखना होगा कि नई शर्तों का जुलूस में कितना पालन हो पाता है। पार्श्वनाथ दिगम्बर जैसवाल जैन मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सुनील कुमार ढिलवारी ने कहा कि प्रशासन ने जो पाबंदियां लगाई है उनकी पालना करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि महावीर जयंती के जुलूस के बाद सायं चार बजे से होटल मेरवाड़ा एस्टेट में सामूहिक भोजन का आयोजन भी किया गया है। इस में करीब 8 हजार लोग भाग लेंगे। महावीर जयंती के जुलूस के बाद सामूहिक भोज की परंपरा रही है। कोरोना संक्रमण की वजह से गत दो वर्षों में न तो जुलूस निकल पाया और न ही सामूहिक भोज का आयोजन हुआ। इस बार दोनों कार्यक्रमों को लेकर जैन समुदाय में भारी उत्साह है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि महावीर जयंती के जुलूस में सुप्रसिद्ध सोनी जी की नसिया में रखे ऐतिहासिक रथों व अन्य सामग्री का भी प्रदर्शन होता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (11-04-2022)
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