Wednesday 13 April 2022

ईस्टर्न कैनाल योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने के लिए कांग्रेस का लाभार्थी जिलों में प्रदर्शन।भाजपा पर राजनीतिक हमला। तो क्या प्रदेश में पेयजल की समस्या नहीं है।क्या डॉक्टर मनमोहन सिंह ने इस मामले को कभी राज्यसभा में उठाया?

पूर्वी राजस्थान में छह नदियों को जोड़ने वाली ईस्टर्न कैनाल योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने की मांग को लेकर 13 अप्रैल को प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की ओर से लाभार्थी 13 जिलों में धरना प्रदर्शन किया गया। कांग्रेस का कहना है कि वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईस्टर्न कैनाल को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने का आश्वासन दिया था। लेकिन साढ़े तीन वर्ष गुजर जाने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आश्वासन को पूरा नहीं किया है। यह तब है जब जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत केंद्रीय जल शक्ति मंत्री हैं। शेखावत की भी जिम्मेदार बनती है कि वे अपने गृह प्रदेश की एक योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाए। 13 अप्रैल को कांग्रेस ने अजमेर, जयपुर, सवाई माधोपुर, कोटा, बारा, बूंदी, टोंक, धौलपुर, करौली, दौसा आदि में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया। मालूम हो कि पूर्वी राजस्थान में बहने वाली पार्वती, कालीसिंध, बना आदि छह नदियों को जोड़ना ही ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट है। यदि इन नदियों को आपस में जोड़ दिया जाए तो 13 जिलों में न केवल पेयजल की समस्या का समाधान होगा बल्कि चालीस प्रतिशत क्षेत्र में सिंचाई भी हो सकेगी। इस योजना पर 7 हजार करोड़ रुपए खर्च होने हैं। यदि यह योजना राष्ट्रीय परियोजना घोषित होती है तो कुल खर्च का 90 प्रतिशत केंद्र सरकार को देना होगा। लेकिन यदि यह योजना राज्य सरकार की ही होती है तो अधिकांश राशि राज्य सरकार को ही वहन करनी होगी। यही वजह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी चाहते हैं कि इस योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाए। कांग्रेस ने अब इसे राजनीतिक हथियार बना लिया है। बार बार 2018 में पीएम मोदी के आश्वासन को आगे रखकर भाजपा पर राजनीतिक हमला किया जाता है। सवाल यह भी है कि जब भाजपा भी इस योजना को प्रदेश के हित में मानती है तो फिर इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित क्यों नहीं किया जा रहा? केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की भी इसमें सकारात्मक भूमिका होनी चाहिए। यदि इस मामले में मध्यप्रदेश से कोई सहमति ली जानी है तो भी शेखावत को केंद्रीय मंत्री होने के नाते सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए।

शेष प्रदेश की स्थिति:
एक राजनीतिक दल होने के नाते कांग्रेस ने 13 अप्रैल को लाभार्थी जिलों में जो प्रदर्शन किया उसे गलत नहीं ठहराया जा सकता। भले ही कांग्रेस प्रदेश में सत्ता में हो, लेकिन उसे केंद्र के समक्ष अपनी बात रखने का अधिकार है। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि क्या शेष प्रदेश में पेयजल की कोई समस्या नहीं है? सब जानते हैं कि पाली, क्षेत्र में पेयजल की भीषण समस्या है। यहां पेयजल का कोई स्रोत नहीं होने के कारण सरकार को वाटर ट्रेन चलानी पड़ रही है। राजस्थान में ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां कुए से पानी निकालने के लिए घंटों जद्दोजहद करनी पड़ती है। अजमेर जैसे जिले में भी तीन दिन में एक बार मात्र एक घंटे के लिए पेयजल की सप्लाई हो रही है। जबकि अजमेर तो बीसलपुर बांध से जुड़ा हुआ है। बांध से लेकर अजमेर शहर तक पाइप लाइन बिछी हुई है, लेकिन इसके बावजूद भी अजमेर में पेयजल की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। यह माना कि ईस्टर्न कैनाल योजना में केंद्र सरकार को सहयोग करना चाहिए। लेकिन शेष प्रदेश में पेयजल की समस्या के समाधान की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। सरकार को ऐसे प्रबंधन करने चाहिए जिसमें लोगों को कम से कम पीने का पानी तो उपलब्ध हो। राजस्थान में चंबल जैसी बारहमासी नदी है। यदि चंबल के पानी का उपयोग सही प्रकार से किया जाए तो प्रदेशवासियों की प्यास को बुझाया जा सकता है।

डॉ. मनमोहन सिंह की भूमिका:
कांग्रेस का यह आरोप सही है कि राजस्थान से लोकसभा में भाजपा के 24 सांसद है, लेकिन वे ईस्टर्न कैनाल को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने का कोई प्रयास नहीं करते हैं। लेकिन इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल पर भी सवाल उठते हैं। मनमोहन सिंह और वेणुगोपाल राजस्थान से ही राज्यसभा में कांग्रेस के सांसद है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मनमोहन सिंह ने कभी ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट का मामला राज्यसभा में उठाया? यदि डॉ. मनमोहन सिंह राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाते तो केंद्र सरकार पर खास दबाव बनता। 

S.P.MITTAL BLOGGER (13-04-2022)
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1 comment:

  1. बना कोई नदी नहीं है, वरन बनास नदी है। इस नदी के केचमेंट में 27000 एनिकट बन हुए हैं, क्यों बनाए इसकी भी जांच जरूरी है !

    चंबल कोई बारहमासी नदी नहीं है, ये बरसती नदी है परंतु इस नदी पर बने गांधी सागर में पानी का पर्याप्त भंडारण है, जिस पर दूरगामी योजनाएं बनाई जा सकती हैं !

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