Sunday, 16 February 2025

पुराने मुकदमों को प्राथमिकता से निपटाने से न्यायिक अधिकारियों का पारिवारिक जीवन प्रभावित। यह व्यवस्था लम्बे समय तक उचित नहीं-- जस्टिस उमाशंकर व्यास । - पत्नी, बेटी, दामाद और बेटा भी न्यायिक अधिकारी है।

राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस उमाशंकर व्यास ने कहा है कि पुराने मुकदमों को शीघ्रता से निपटाने की वजह से न्यायिक अधिकारियों का पारिवारिक जीवन प्रभावित हो रहा है। 15 फरवरी को दौसा बार एसोसिएशन की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह मे में न्यायिक अधिकारियों की पर्सनल लाइफ और वर्क लाइफ के बैलेंस के मुद्दे पर बोलते हुए जस्टिस व्यास ने कहा कि वह स्वयं अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायिक अधिकारी रह चुके है इसलिए उन्हें न्यायिक अधिकारियों की समस्याओं का पता है। अब जब अधीनस्थ अदालतों के न्यायिक अधिकारियों को पुराने मुकदमों को प्राथमिकता के साथ निपटाने के निर्देश दिए गए है तो न्यायिक अधिकारियों को अतिरिक्त समय तक काम करना पड़ रहा है। इसे उनका पारिवारिक जीवन प्रभावित दो रहा है। उन्होनें माना कि इससे 5-10 प्रतिशत मुकदमों में कमी हो जाएगी, लेकिन यह व्यवस्था लम्बे समय तक उचित नहीं है। मुकदमों को जल्द निपाने की वजह से वकीलों पर भी दबाव पड़ रहा है। यहां उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट के निर्देश पर सभी अधीनस्थ अदालतों में 10 वर्ष पुराने मुकदमों की सूची बनायी गई है और ऐसे मुकदमों पर प्रतिदिन सुनवाई कर निपटारा करने को कहा गया है। इन निदेर्शाे की वजह से ही न्यायिक अधिकारियों को शाम 5 बजे बाद भी अदालतों में बैठना पड़ रहा है। हर अदालत में ऐसे सौ मुकदमे चिंहित किए गए जिन्हें अदालती भाषा में टारगेटेड केस कहा जा रहा है। - परिवार के सदस्य न्यायिक अधिकारी:- यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जस्टिस उमाशंकर व्यास की पत्नी श्रीमति नंदिनी व्यास जयपुर मेट्रो प्रथम की जिला न्यायाधीश के पद पर कार्यरत है। जस्टिस व्यास की बेटी सोनल व्यास (मिश्रा) व दामाद पुरुषोत्तम मिश्रा भी वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी है। इसी प्रकार उनके पुत्र आदित्य व्यास का गत वर्ष ही राज्य न्यायिक सेवा में चयन हुआ है।

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