Thursday, 6 February 2025
पीएम मोदी ने श्रद्धाभाव से महाकुंभ में संगम स्नान किया। भारत में सनातन संस्कृति के ये सुनहरे दिन हैं।
5 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम स्थल पर स्नान किया। कहा जा रहा है कि यह महाकुंभ 144 वर्ष बाद हो रहा है। इसी धार्मिक मान्यता के चलते महाकुंभ में अब तक चालीस करोड़ से भी ज्यादा सनातनी संगम स्नान कर चुके हैं। पीएम मोदी ने भी सनातन संस्कृति के अनुरूप पांच फरवरी को महाकुंभ में स्नान किया। उन्होंने श्रद्धा भाव से न केवल डुबकी लगाई बल्कि अपने हाथों में गंगाजल को सूर्य को अर्पित किया। इतना ही नहीं रुद्राक्ष की माला हाथ में लेकर मंत्र भी पढ़े। पीएम मोदी ने अपनी संस्कृति के अनुरूप ही साड़ी भी गंगा मैया को अर्पित की। अपने हाथों से जलता हुआ दीया भी नदी में प्रवाहित किया। 5 वेदपाठी विद्वानों ने मोदी को पूजा करवाई। यानी महाकुंभ स्नान के लिए सनातन संस्कृति में जो भी नियम रहे, उन सबका पालन पीएम मोदी ने किया। देश भर के नागरिक पीएम मोदी के महाकुंभ स्नान को टीवी चैनलों पर देख रहे थे। सनातन संस्कृति को मानने वाले भारतीयों के लिए ये सुनहरे दिन हैं। सनातनियों ने 600 वर्ष मुगल काल और फिर 200 वर्ष अंग्रेजों के शासन में भी सनातन की स्थिति को देखा है। आजादी के साठ साल बाद भी सनातन की स्थिति देशवासियों ने देखी है, लेकिन आज देश के प्रधानमंत्री के पद पर ऐसा व्यक्ति बैठा है जो सनातन संस्कृति के अनुरूप व्यवहार भी करता है। सनातन के प्रति अपने प्रभाव को दिखाने में देश के प्रधानमंत्री कोई कसर नहीं छोड़ते। इसका यह मतलब नहीं है कि मोदी दूसरे धर्म का सम्मान नहीं करते है। पीएम मोदी को दूसरे धर्म का सम्मान करने की शिक्षा सनातन धर्म से ही मिली है, इसलिए प्रतिवर्ष अजमेर स्थित ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में नरेंद्र मोदी अपनी ओर से सूफी परंपरा के अनुरूप चादर भेजते हैं। इतना ही नहीं उर्स में आने वाले जायरीन को शुभकामनाएं भी देते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (06-02-2025)
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