Wednesday, 12 February 2025
दिल्ली में केजरीवाल को हराने का फायदा कांग्रेस को नहीं। ममता बनर्जी ने कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेरा। अगले वर्ष विधानसभा का चुनाव अकेले ही लड़ेगी। केजरीवाल के पंजाब के मुख्यमंत्री बनने की बात आगे बढ़ी।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार के बाद कांग्रेस को उम्मीद थी कि इसका असर अन्य क्षेत्रीय दलों पर पड़ेगा। क्षेत्रीय दल विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस के साथ सम्मान जनक समझौता करेंगे। दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम बताते हैं कि भाजपा को आम से मात्र दो प्रतिशत वोट ज्यादा मिले, वहीं कांग्रेस ने 6 प्रतिशत वोट प्राप्त किए। ऐसे में यदि आप और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ते तो दिल्ली में भाजपा की जीत संभव नहीं थी। लेकिन 11 फरवरी को पश्मिच बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी ने कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। ममता ने कहा कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं किया जाएगा। टीएमसी अकेले ही विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। ममता ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं है। टीएमसी अकेले दम पर ही चुनाव जीतने की स्थिति में है। कांग्रेस को एक सिरे से नकारने की बात ममता ने इसलिए की गत बार 2021 के चुनाव में 292 सीटों में से टीएमसी ने 213 सीटें हासिल की। कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। ममता को लगता है कि बंगाल में कांग्रेस के साथ समझौता करने से कोई फायदा नहीं होने वाला है। ममता बंगाल में भाजपा को ही अपना प्रतिद्वंदी मानती है। भाजपा के 77 विधायक है। ममता बनर्जी के ताजा बयान से कांग्रेस के नेताओं को तगड़ा झटका लगा है।
बात आगे बढ़ी:
आम आदमी पार्टी शासित पंजाब के विधायकों की एक बैठक 11 फरवरी को दिल्ली में कपूरथला हाउस में हुई। इस बैठक में आप के 93 में से 90 विधायक उपस्थित थे। मात्र तीस मिनट चली इस बैठक में यह बताने का प्रयास किया गया कि पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सभी विधायक एकजुट है। हर वक्त मीडिया के सामने आने वाले केजरीवाल ने बैठक के बाद मीडिया से कोई बात नहीं की। केजरीवाल की जगह मुख्यमंत्री भगवत मान ने कहा कि दिल्ली में हार के बाद पंजाब में सब कुछ सामान्य है। मान ने कांग्रेस के उन दावों को झूठा बताया है जिनमें कहा जा रहा है कि आप के 30 विधायक कांग्रेस के संपर्क में है। जानकार सूत्रों के अनुसार बैठक में केजरीवाल ने भगवत मान को इस बात का अहसास करवाया कि पार्टी के अधिकांश विधायक उनका (केजरीवाल) का नेतृत्व स्वीकार करते है। इस बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता अमन वर्मा ने कहा कि यह जरूरी नहीं कि पंजाब में कोई सिख नेता ही मुख्यमंत्री हो। अमन वर्मा का बयान ऐसे समय में आया है, जब केजरीवाल के पंजाब का मुख्यमंत्री बनने की चर्चा हो रही है। सूत्रों के अनुसार 11 फरवरी की बैठक का उद्देश्य पार्टी के विधायकों की इच्छा को जानना था। केजरीवाल को इस बात का संतोष रहा कि अधिकांश विधायकों ने उनकी नेतृत्व में आस्था प्रकट की। कांग्रेस के नेताओं का भी कहना है कि केजरीवाल स्वयं पंजाब का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (12-02-2025)
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