Friday, 7 February 2025
सदस्यों के मूल सवाल का जवाब लोकसभा में नहीं पढ़ा जाता। तो फिर राजस्थान विधानसभा में मंत्री सरकार का जवाब पढ़ने की जिद क्यों कर रहे हैं? मंत्रियों की जिद की वजह से विपक्ष को सरकार पर हमला करने का अवसर मिला। कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा अब सचिन पायलट की राह पर।
लोकसभा में भी अध्यक्ष ओम बिरला ने व्यवस्था कर रखी है कि सांसदों के सवालों का जवाब जब सरकार की ओर से लिखित में टेबल पर रख दिया है, तब संबंधित मंत्री को जवाब पढ़ने की जरूरत नहीं है, लेकिन यदि कोई सांसद सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं होता है और पूरक सवाल पूछता है तो फिर संबंधित मंत्री को पूरक सवाल का जवाब देने की छूट है। कई बार लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा भी कि संबंधित मंत्री सिर्फ पूरक सवाल का ही जवाब दें। लोकसभा में यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि प्रश्नकाल के एक घंटे में ज्यादा से ज्यादा सवालों के जवाब सदन में आ सके। लोकसभा की व्यवस्था को ही राजस्थान विधानसभा में अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने लागू किया है। देवनानी ने अपनी इस व्यवस्था से सदन के नेता भजन लाल शमा्र और प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली को भी अवगत करा रखा है। मुख्यमंत्री और प्रतिपक्ष के नेता भी अध्यक्ष देवनानी की व्यवस्था से संतुष्ट है, लेकिन सरकार के मंत्री जोगाराम पटेल और सुमित गोदारा की जिद है कि विधायकों के मूल सवाल का सरकारी जवाब सदन में पढ़ा जाए। इसको लेकर इन मंत्रियों का अध्यक्ष देवनानी के साथ टकराव भी हो रहा है, लेकिन देवनानी ने मंत्रियों को स्पष्ट कर दिया है कि मूल सवाल का सरकारी जवाब सदन में पढ़ने की अनुमति नहीं होगी। लोकसभा की तरह विधानसभा में भी संबंधित मंत्री सिर्फ पूरक प्रश्न का जवाब ही देंगे। सरकार के मंत्री जिस तरह जवाब पढ़ने की जिद कर रहे हैं उससे विपक्ष को भी सरकार पर हमला करने का अवसर मिल गया है। जो विपक्ष अध्यक्ष पर भेदभाव का आरोप लगता रहा वहीं विपक्ष अब इस मुद्दे पर अध्यक्ष देवनानी के साथ खड़ा है।
पायलट की राह पर:
राजस्थान के कृषि और आपदा राहत मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि जिन मुद्दों को लेकर भाजपा सत्ता में आई है उन्हें अब सरकार बनने के बाद भुला दिया गया है। किरोड़ी ने ऐसे मुद्दे गिनाते हुए आरोप लगाया कि सरकार उनकी जासूसी करवा रही है और मोबाइल फोन भी टैप करवाया जा रहा है। किरोड़ी का यहां तक कहना है कि अपनी ही सरकार में उन्हें अपमानित किया जा रहा है। यह उल्लेखनीय है कि पिछले कांग्रेस के शासन में डिप्टी सीएम रहते हुए ही सचिन पायलट ने ऐसे ही आरोप लगाए थे। ऐसा प्रतीत होता है कि किरोड़ी लाल मीणा भी अब सचिन पायलट की राह पर चल रहे हैं। यह बात अलग है कि भाजपा का प्रादेशिक नेतृत्व किरोड़ी ही हर जिद को पूरा कर रहा है। जिद के चलते ही हाल ही के उपचुनाव में किरोड़ी के भाई को दौसा से भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया। पूरी ताकत लगाने के बाद भी किरोड़ी अपने भाई को विधानसभा का चुनाव नहीं जितवा सके। उम्मीद थी कि भाई की हार से किरोड़ी कोई सबक लेंगे, लेकिन ऐसा लगता नहीं है। किरोड़ी ने मंत्री पद से इस्तीफा भी दे रखा है, लेकिन किरोड़ी का सम्मान करते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। खुली बगावत के बाद भी इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाना दर्शाता है कि भाजपा का नेतृत्व खासकर सीएम शर्मा अभी भी किरोड़ी को मनाने की कोशिश कर रहे हैं। देखना होगा कि किरोड़ी की बगावत को भाजपा किस सीमा तक बर्दाश्त करती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (07-02-2025)
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