Monday 26 March 2018

तो देवनारायण भगवान के मंदिर में सीएम राजे के साथ हुआ चमत्कार।

तो देवनारायण भगवान के मंदिर में सीएम राजे के साथ हुआ चमत्कार। गुर्जर तो मेरे रिश्तेदार। मृगनयनी की कहानी भी सुनाई।
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26 मार्च को भीलवाड़ा के मालासेरी गावं में आयोजित 108 कुंडीय लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के समापन समारोह में राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने अपने ही अंदाज में उपस्थिति दर्ज करवाई। मालासेरी का धार्मिक महत्व इसलिए भी है कि यहां गुर्जर समुदाय के अराध्य देवनारायण का जन्म हुआ था। सीएम ने यहां 4 करोड़ की लागत से तैयार होने वाले भगवान देवनारायण के पैनोरमा का शिलान्यास भी किया। इस मौके पर गुर्जर समुदाय को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि उन्हें अभी अभी भगवान देव नारायण के चमत्कार का अहसास हुआ है। 125 सीढ़ियां चढ़कर जब वे भगवान की प्रतिमा के सामने पहुंची तो उनका सांस फूल हुआ नहीं था। यह चमत्कार ही तो है। सीएम राजे ने कहा कि उनके बेटे की पत्नी गुर्जर जाति की है इसलिए गुजरों से रिश्ता है। उन्होंने राजा मानसिंह की कहानी सुनाई। सीएम ने बताया कि राजा मानसिंह जंगल में शिकार पर थे, तब गुर्जर समुदाय की युवती मृगनयनी पर नजर पड़ी। राजा ने जब मृगनयनी के सामने रानी बनने का प्रस्ताव रखा तो युवती ने कहा कि पहले मेरे गांव में पानी का इंतजाम किया जाए। सब जानते हैं कि राजा मानसिंह ने नहर का इंतजाम कर पानी पहुंचाया और मृगनयनी को अपनी रानी बनाया। यह मृगनयनी की सज्जनता थी कि दूसरी रानी बनाने की जिद नहीं की। सीएम ने कहा कि भगवान देव नारायण के जन्म स्थल मालासेरी में जल्द ही चम्बल का पानी आ जाएगा। मैंने हमेशा गुर्जर समुदाय को अपने परिवार का सदस्य माना है। मैं मानती हंू कि गुर्जर समुदाय में शिक्षा बेहद जरूरी है। इसलिए देवनारायण योजना में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए काम किया गया है। हमारे बच्चे पढ़ेंगे तो समाज खुशहाल होगा। समारोह में सीएम ने राजस्थान धरोहर संरक्षण प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत से कहा कि मालासेरी में आगामी छह माह में भगवान देवनारायण का पैनोरमा बन जाना चाहिए। सीएम ने जिस अंदाज में गुर्जर समुदाय से अपना रिश्ता जुड़ा उनकी सभी ने प्रशंसा की। यह बात अलग है कि गुर्जर समुदाय के पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण पर सीएम राजे ने एक शब्द भी नहीं कहा। इस मौके पर सीएम राजे को  जो ज्ञापन दिया गया उसमें बताया गया कि इतने बड़े धार्मिक स्थल पर एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है, जबकि यहां गुर्जर समुदाय के हजारों लोग दर्शन के आते हैं।

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