Tuesday 27 March 2018

कुल की रस्म में दीवान और खादिमों के विवाद को सरकार ने गंभीर माना।

कुल की रस्म में दीवान और खादिमों के विवाद को सरकार ने गंभीर माना। केन्द्र सरकार ने भी ली जानकारी।
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अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में 24 मार्च की रात को जब सालना उर्स में कुल की रस्म के लिए हजारों जायरीन मौजूद थे। तब दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन और खादिमों के बीच जो विवाद हुआ उसे राज्य सरकार ने गंभीरता के साथ लिया है। केन्द्र सरकार ने भी अल्पसंख्यक मंत्रालय के माध्यम से रिपोर्ट तलब की है। मालूम हो कि खादिमों ने दीवान आबेदीन को उनके बेटे नसीरुद्दीन चिश्ती के साथ आस्ताना शरीफ में प्रवेश नहीं दिया था, इसके विरोध में दीवान आबेदीन अपने बेटे के साथ दरगाह परिसर में ही धरने पर बैठे गए थे। चूंकि दीवान आबेदीन के द्वारा गुस्ल की रस्म करने पर ही जायरीन कुल की रस्म शुरू करते हैं इसलिए 24 मार्च की रात को कोई एक घंटे तक दरगाह परिसर में हालात बेहद ही नाजुक हो गए। जिला प्रशासन को ये चिंता थी कि यदि भीड़ में भगदड़ मच गई तो हालात बेकाबू हो जाएंगे। इन हालातों से निपटने के लिए कलेक्टर गौरव गोयल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दरगाह के इतिहास में यह पहला अवसर रहा, जब दीवान के बगैर ही आस्ताना शरीफ में गुस्ल हो गया। खादिमों के द्वारा रोक लगा देने से दीवान आबेदीन भी बेहद खफा हैं। दीवान ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी ध्यान आकर्षित किया है। जहां राज्य सरकार ने जिला प्रशासन के माध्यम से रिपोर्ट तलब की है, वहीं केन्द्र सरकार ने अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय के माध्यम से जानकारी मांगी है। दोनों सरकारों के अधिकारियों ने दरगाह कमेटी के नाजिम आईबी पीरजादा से भी रिपोर्ट तलब की है। वहीं दीवान आबेदीन और उनके पुत्र नसीरुद्दीन के कृत को लेकर खादिम समुदाय में भारी रोष व्याप्त है। खादिमों ने आबेदीन के द्वारा अपने पुत्र को उत्तराधिकारी घोषित किए जाने का विरोध जताया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि उर्स के दौरान अकसर दीवान और खादिमों के बीच विवाद हो जाता है। एक बार तो दीवान आबेदीन ने खादिमों पर गोली चलाने का आरोप भी लगाया था।

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