Tuesday 27 March 2018

राजस्थान भाजपा अध्यक्ष को लेकर सीएम राजे और हाईकमान में रार।

राजस्थान भाजपा अध्यक्ष को लेकर सीएम राजे और हाईकमान में रार। परनामी का हटना तय। जनसुनवाई का तरीका बदला।
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हाल ही में लोकसभा उपचुनाव में भाजपा की करारी हार को देखते हुए राजस्थान में प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद से अशोक परनामी को हटाने का अंतिम निर्णय हो गया है। चूंकि परनामी सीएम वसुंधरा राजे की वजह से ही अध्यक्ष बने थे, इसलिए अब भी सीएम अपना समर्थक ही अध्यक्ष पद पर चाहती हैं। सीएम को भी पता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चयन में प्रदेशाध्यक्ष की भी भूमिका होगी। यदि परनामी ही अध्यक्ष रहे तो सीएम के लिए चिंता की कोई बात नहीं, क्योंकि परनामी तो अपनी नाक की मक्खी भी सीएम से पूछ कर हटाते हैं। जानकारों की माने तो सीएम राजे परनामी को राज्यसभा में भेजना चाहती थीं, लेकिन भाजपा हाईकमान ने यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया। उपचुनाव के परिणामों को देखते हुए ही हाईकमान ने किसी एससी वर्ग का नाम आगे किया है, लेकिन मेघवाल के नाम पर सीएम सहमत नहीं हैं, लेकिन मेघवाल की घोषणा रूकी हुई है। अब कहा जा रहा है कि कोटा के सांसद ओम बिड़ला भी अध्यक्ष हो सकते हैं। बिड़ला का नाम सीएम कैम्प की ओर से चलाया गया है। सूत्रों के अनुसार नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भले ही वसुंधरा राजे को सीएम के पद से नहीं हटाया जाए, लेकिन हाईकमान छूट भी देने के पक्ष में नहीं है। इस समय भाजपा के 162 विधायक हैं, लेकिन माना जा रहा है कि आधे से ज्यादा विधायकों के टिकिट कट जाएंगे। भाजपा ने जो विधायक मंत्री और संसदीय सचिन बने हैं, उनकी स्थिति भी खराब हैं। अजमेर संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव में दोनों मंत्रियों वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल तथा दोनों संसदीय सचिवों सुरेश रावत और शत्रुघ्न गौतम के निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। गौतम के केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार सर्वाधिक 34 हजार मतों से पिछड़े है। अजमेर शहर में दोनों विधानसभा क्षेत्रों में हार भाजपा के लिए निराशाजनक है। कमोबेश यही हाल पूरे प्रदेश में हैं।
जसुनवाई का तरीका बदलाः
सीएम वसुंधरा राजे 27 मार्च से तीन दिवसीय गंगानगर जिले के दौरे पर हैं। सीएम ने इस बार जनसंवाद कर तरीका बदल दिया है। पूर्व में उपचुनाव के दौरान सीएम ने जाति के आधार पर जनसंवाद किया था, लेकिन अब समाज के विभिन्न वर्गों के अनुरूप लोगों को आमंत्रित किया गया है। इसमें श्रमिक, पेंशनर्स, सामाजिक कार्यकर्ता, धार्मिक संस्थान जैसे वर्ग शामिल हैं।

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