Wednesday 3 October 2018

पानी के मुद्दे पर आंदोलन के लिए भाजपा की विचारधारा वाले वकीलों का एतराज।

पानी के मुद्दे पर आंदोलन के लिए भाजपा की विचारधारा वाले वकीलों का एतराज। कलेक्टर के सुझाव पर भी नहीं बनी सहमति।
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अजमेर की भीषण पेयजल किल्लत को लेकर जिला बार ऐसोसिएशन के बैनर तले वकील समुदाय ने जो आंदोलन शुरू किया था, उस पर अब भाजपा की विचारधारा वाले वकीलों ने एतराज कर दिया है। भाजपा की विचारधारा वाले वकील नहीं चाहते कि 6 अक्टूबर को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अजमेर आए, तब वकील समुदाय कोई हंगामा या अजमेर बंद जैसा कृत्य करे। 3 अक्टूबर को एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय त्रिपाठी के नेतृत्व में वकीलों के प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर आरती डोगरा से मुलाकात की। कलेक्टर ने कहा कि 5 अथवा 6 अक्टूबर को वकीलों की मुलाकात सीएम वसुंधरा राजे से करवा दी जाएगी। इस संबंध में मैंने सीएम के सचिव तन्यम कुमार से भी बात कर ली है। इस पर वकीलों का कहना था कि मुलाकात की क्या गारंटी है। कलेक्टर ने कहा कि मैं प्रशासन की मुखिया हंू। इसलिए मेरी बात पर तो भरोसा करना पड़ेगा। इसी बीच एक वकील ने कलेक्टर से लिखित में अश्वासन देने की मांग रखी। इस पर भाजपा विचारधारा वाले वकील देवेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि हमें कलेक्टर की बात पर भरोसा करना चाहिए। कलेक्टर के कक्ष में ही थोड़ा वाद-विवाद होने पर वकील समुदाय वापस बार एसोसिएशन के कार्यालय आ गया। यहां भी विवाद जारी रहा। कुछ वकीलों का कहना रहा कि कुछ वर्ष पूर्व जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अजमेर आए थे, तब वकीलों ने एकजुट होकर विरोध किया था। तब प्रशासन को पाक पीएम का मार्ग भी बदलना पड़ा। अब पेयजल की समस्या शहर भर से जुड़ गई है। इसलिए वकील समुदाय को एकता दिखानी चाहिए। वकीलों के बीच राजनीति नहीं आनी चाहिए। वहीं कुछ वकीलों का कहना रहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और भारत के प्रधानमंत्री के विरोध में बहुत अंतर है। पाक पीएम का विरोध किया, इसलिए भारत के पीएम का विरोध हो ये उचित तर्क नहीं है। पानी की समस्या से निजात मिले यह अच्छी  बात है, लेकिन आंदोलन पर सर्वसम्मति होनी चाहिए। बार एसोसिएान सभी वकीलों का प्रतिनिधित्व करती है। ऐसे में सर्वसम्मति का होना जरूरी है। असल में पिछले कुछ दिनों से विरोध एकतरफा हो रहा था। इससे भाजपा को राजनीतिक नुकसान पहुंच रहा था, वकीलों के आंदोलन को शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन ने हाथों हाथ समर्थन दे दिया था। वकीलों का यह विरोध अब प्रधानमंत्री तक पहुंच रहा था, इसलिए तीन अक्टूबर को भाजपा विचारधारा वाले वकील भी सक्रिय हो गए। ऐसे वकीलों की सक्रियता से ही आंदोलन को लेकर कोई रणनीति नहीं बन पा रही है। हालांकि कुछ वकील अभी भी चाहते हैं कि पानी का आंदोलन राजनीति की भेंट न चढ़े, क्योंकि पानी को लेकर जिले भर में त्राहि त्राहि मची हुई है। तीन व चार दिन में एक बार मात्र एक घंटे के लिए पेयजल की सप्लाई होने से लोगों की परेशानियों का अंदाजा लगाया जा सकता है। चूंकि इस बार मुख्य स्त्रोत बीसलपुर में पानी की आवक कम हुई है। इसलिए जलदाय विभाग ने बीस प्रतिशत पानी की कटौती कर रखी है। अजमेर जिले में पहले ही दो-तीन दिन में सप्लाई हो रही थी।
एस.पी.मित्तल) (03-10-18)
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