Friday 5 October 2018

संस्कारवान युवा बनाने वाली शिक्षा मिले। अजमेर के एमपीएस में हुआ काॅर्निवल फेस्टीवल।

संस्कारवान युवा बनाने वाली शिक्षा मिले। अजमेर के एमपीएस में हुआ काॅर्निवल फेस्टीवल।
बच्चों ने दिखाई प्रतिभा और आत्म विश्वास।
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अजमेर के वैशाली नगर स्थित माहेश्वरी पब्लिक स्कूल में कोई साढ़े तीन हजार छात्र-छात्राएं पढ़ती हैं। प्रतिवर्ष 2 हजार से ज्यादा अभिभावक इसलिए मायूस होते हैं कि उनके बच्चों का एडमिशन इस स्कूल में नहीं हुआ। स्कूल का संचालन अजमेर के माहेश्वरी समाज की महेश शिक्षण संस्था करती है। आज यह स्कूल अजमेर में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चूंकि इस समय अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के पद पर माहेश्वरी समाज के ही शिवशंकर हेड़ा बैठे हैं, इसलिए एक और स्कूल के लिए सरकार से भूमि ली जा रही है। एमपीएस में 5 अक्टूबर को प्राईमरी सेक्शन के विद्यार्थियों का काॅर्निवल फेस्टीवल हुआ। मुझे मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया। हालांकि अब जन्म के साथ ही बच्चे होशियार नजर आते हैं, लेकिन 5 अक्टूबर को 10 वर्ष तक के बच्चों ने जिस प्रतिभा और आत्म विश्वास का परिचय दिया, वह काबिले तारीफ रहा। फैशन के नए-नए स्टाइल प्रस्तुत कर बच्चों ने काॅर्निवल के नाम को सार्थक कर दिया। चैथी क्लास में पढ़ने वाले गौरांग ने जिस अंदाज में ड्रम बजाया, वह अजूबा ही था। मुझे पता है कि जब बच्चे स्कूल के किसी प्रोग्राम में भाग लेते हैं तो शिक्षकों और अभिभावकों को कितनी मशक्कत करनी होती है। 5 मिनट के प्रोग्राम के पांच दिन लग जाते है, लेकिन जब बच्चे मंच पर प्रदर्शन करते हैं तो शिक्षक और माता-पिता को ही सबसे ज्यादा आनंद की अनुभूति होती है। स्कूल प्राचार्य आरके श्रीवास्तव और उनकी टीम ने वाकई मेहनत की है। प्राचार्य श्रीवास्तव और उपाचार्य योजना शर्मा बधाई के पात्र हैं। कोई 7-8 प्रकार के प्रोग्राम में मैंने महसूस किया कि लड़कों के मुकाबले लड़कियां ज्यादा होशियार थीं। ईश्वर इन देवियों पर हमेशा कृपा बनाए रखे, क्योंकि एक लड़की को जीवन में कई भूमिका निभानी होती है। इस माता-पिता के 25 वर्ष तक रही, उन्हें एक झटके में छोड़ना पड़ता है। कुछ इन्हीं संवेदनशील भावनाओं के साथ मेरा संबोधन रहा। मंैने कहा कि हम चाहे कितनी भी शिक्षा ग्रहण कर लें, लेकिन ऐसी शिक्षा के तभी मायने हैं जब संस्कारवान हो। हमें ऐसी पीढ़ी तैयार करनी है जो हमारी संस्कृति के अनुरूप आचारण करें। हम देख रहे हैं कि समाज में व्याप्त विकृतियों की वजह से परिवार को कितना खामियाजा उठाना पड़ रहा है। यदि शिक्षक और माता-पिता मिलकर बचपन से ही बच्चों को संस्कारवान बनाएंगे तो युवा होने पर बिगड़ने का डर नहीं रहेगा। एमपीएस को चलाने वाली महेश शिक्षण संस्थान से मेरा कहना रहा कि एक परिवार में यदि लड़के का एडमिशन हो जाए तो लड़की का एडमिशन निश्चित तौर पर एमपीएस में करना चाहिए। समारोह में रीजनल काॅलेज के एसोसिएट प्रोफेसर आयुष्मान गोस्वामी ने कहा कि  एनसीआरटी भी चाहता है कि बच्चों पर पढ़ाई का दबाव नहीं हो। हमें बच्चों को उनकी रुचि के अनुरूप आगे बढ़ाना चाहिए। बच्चों पर अंक प्राप्त करने का दबाव न हो। समारोह के दौरान प्राचार्य आरके श्रीवास्तव ने बताया कि स्कूल में कोई नए प्रयोग किए जा रहे है। अभिभावक जिस डायरी में हस्ताक्षर करते हैं। उसमें साफ लिखा है कि विद्यार्थियों को ऐसा कोई होमवर्क नहीं दिया जाता, जिसमें इंटरनेट की जरुरत पड़े। श्रीवास्तव का मानना रहा कि युवा होते बच्चों का इंटरनेट का उपयोग नहीं करना चाहिए। यदि उपयोग जरूरी हो तो माता-पिता की उपस्थिति में करना चाहिए। यह माना कि अब इंटरनेट दैनिक क्रिया से जुड़ गया है, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल बहुत ही खतरनाक है। समारोह में संस्था के उपाध्यक्ष अशोक लखोटिया, सचिव प्रेमचंद मूंदड़ा, कोषाध्यक्ष राजकुमार हेड़ा, राजेन्द्र करबा आदि भी उपस्थित रहे। समारोह से संबंधित फोटो मेरे फेसबुक पेज पर देखे जा सकते हैं।
एस.पी.मित्तल) (05-10-18)
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