Wednesday 3 October 2018

किन हालातों में संविधान बना और आपातकाल में कैसे बदला, इसे भी समझना चाहिए।

किन हालातों में संविधान बना और आपातकाल में कैसे बदला, इसे भी समझना चाहिए। क्या थी पिछड़ों को आरक्षण की मंशा। अजमेर में हुआ हम और हमारा संविधान पुस्तक का विमोचन।
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2 अक्टूबर को अजमेर के इंडोर स्टेडियम में हम और हमारा संविधान नामक पुस्तक का विमोचन हुआ। इस पुस्तक को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय समरसता सम्पर्क प्रमुख रमेश पतंगे ने लिखा है। पतंगे वर्तमान में सेंसर बोर्ड के सदस्य भी हैं। पतंगे को राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। अजयमेरू महानगर द्वारा आयोजित विमोचन समारोह में पतंगे ने कहा कि संविधान को पढ़ लेने और फिर अदालत में बहस कर लेने से कोई व्यक्ति संविधान का ज्ञाता नहीं हो जाता। वकील समुदाय डिग्री लेकर स्वयं को संविधान का जानकार मानते हैं। लेकिन भारत का संविधान कई मायने में अलग हैं। इसलिए हमें यह समझना होगा कि हमारा संविधान किन हालातों में बना और किन लोगों ने बनाया। 1976 में आपात के दौरान संविधान के साथ किस तरह छेड़छाड़ की गई। इंग्लैंड का संविधान परमपिता परमेश्वर को समर्पित है तो पाकिस्तान का अल्लाह को। लेकिन भारत का संविधान देश की जनता के लिए है, इसलिए समाज के हर वर्ग का ख्याल रखा गया है। धर्म के आधार पर देश का विभाजन हो जाने के बाद भी भारत के संविधान में धर्म निरपेक्षता को शामिल किया। यह हमारे संविधान की सुंदरता है, लेकिन सबने देखा कि आपातकाल के दौरान इसी संविधान की क्या हालत की गई। मीसा कानून लागू कर आम लोगों के अधिकार ही छीन लिए गए। कहा गया कि जिस व्यक्ति को मीसा में गिरफ्तार किया है, उसे अदालत से जमानत का अधिकार भी नहीं है। जब इस कानून को कुछ लोगों ने राज्यों के हाईकोर्ट में चुनौती दी तो ऐसे मामलों को सुप्रीम कोर्ट में मंगवा लिया गया। उस समय चीफ जस्टिस के पद पर एएन रे विरामजान थे। जबकि पांच सदस्यी संविधान की पीठ में पीएन भगवती, वाई वी चन्द्रचूंड, एमएच बेग तथा एचआर खन्ना शामिल थे। जस्टिस खन्ना ने अपना फैसला अलग से पढ़ा। फैसला लिखित में था, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में जाने से पहले जस्टिस खन्ना ने घर पर अपनी बहन से कहा कि फैसला सुनाने के बाद वे चीफ जस्टिस नहीं बन सकेंगे। असल में जस्टिस खन्ना को पता था कि उनके चार साथी जज क्या चाहते हैं। फैसला 4-1 के बहुमत से हुआ। फैसला सरकार के पक्ष में था यानि पुलिस ने मीसा में जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया है वह हमेशा के लिए जेल में ही रहेगा। कोई जमानत कोई सुनवाई नहीं। जबकि जस्टिस खन्ना ने अपने फैसले में लिखा कि किसी भी नागरिक को संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। फैसले के बाद जो आशंका थी, वही हुआ। एएन रे की सेवा निवृत्ति के बाद सबसे जूनियर न्यायाधीश एमएच बेग को मुख्य न्यायाधीश बना दिया, जबकि न्यायाधीश खन्ना सबसे वरिष्ठ थे। जूनियर को मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने पर खन्ना को न्यायाधीश का पद भी छोड़ना पड़ा। पुस्तक के लेखक रमेश पतंगे ने कहा कि आज बार-बार कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा मिलकर संविधान बदलना चाहते हैं, जबकि आरोप लगाने वालों ने संविधान के साथ क्या किया, इसे देश ने देखा है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को मेरी पुस्तक जरूरी पढ़नी चाहिए ताकि सच्चाई का पता चल सके। पुस्तक में संविधान के निर्माण में बीआर अम्बेडर की भूमिका और आरक्षण के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई है। इस पुस्तक की खासियत यह है कि संविधान के अनुच्छेदों का उल्लेख किए बिना ही घटनाओं के आधार पर बात समझाई गई है। केशवानंद  भारती के मामले से लेकर संवैधानिक राष्ट्रवाद बनाम अराजकता विषय पर लेखक ने अपने विचार रखे हैं। पुस्तक का प्रकाशन मुम्बई स्थित हिन्दी विवेक (हिन्दुस्तान प्रकाशन संस्था) बोरीबली की ओर किया गया है। पुस्तक के लिए टेलीफोन नम्बर 022-28703640 व 022-28703641 पर सम्पर्क किया जा सकता है। लेखक रमेश पतंगे के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9828171560 पर निरंजन शर्मा से ली जा सकती है। पुस्तक के विमोचन समारोह में संघ के क्षेत्रीय कार्यवाह हनुमान सिंह राठौड, प्रांत संघ चालक जगदीश राणा, विभाग संघ चालक बसंत विजयवर्गीय, क्षेत्रीय सम्पर्क प्रमुख जसवंत खत्री, प्रांत सम्पर्क प्रमुख चन्द्रदेव प्रसाद, क्षेत्रीय सेवादल प्रमुख शिव लहरी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सम्पर्क विभाग के निरंजन शर्मा ने किया।
एस.पी.मित्तल) (03-10-18)
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