Thursday 4 October 2018

वसुंधरा सरकार की वजह से अजमेर में प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करेंगे हड़ताली कर्मचारी।

वसुंधरा सरकार की वजह से अजमेर में प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करेंगे हड़ताली कर्मचारी। रोडवेज कर्मी तो काले झंडे दिखाएंगे।
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6 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अजमेर आ रहे हैं। तय कार्यक्रम के अनुसार निकटवर्ती कायण विश्राम स्थली पर मोदी एक जनसभा को संबोधित करेंगे। यह जनसभा सीएम वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा के समापन पर हो रही है। लेकिन वहीं वसुंधरा सरकार की वजह से प्रधानमंत्री का विरोध भी हो रहा है। पिछले 15 दिनों से हड़ताल पर चल रहे, रोडवेज के कर्मचारियों ने चार अक्टूबर को ऐलान किया कि अजमेर की सभा में पीएम मोदी को काले झंडे दिखाए जाएंगे। प्रदेश भर के 52 डिपो के कर्मचारी अजमेर में एकत्रित होंगे और फिर योजनाबद्ध तरीके से काले झंडे दिखाए जाएंगे। इन दिनों प्रदेशभर में हर तरफ हड़ताल का माहौल है। शायद ही कोई सरकारी महकमा होगा, जहां हड़ताल न हो। यह बात सही है कि अगले माह होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए हर कोई हड़ताल का सहारा लेकर अपनी मांगों को मनवाना चाहता है। कोई भी सरकार कर्मचारियों के बगैर नहीं चल सकती है। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पंचायती राज विभाग के कर्मचारी पिछले एक माह से हड़ताल पर हैं, लेकिन सरकार ने ऐसा कोई उपाय नहीं किया। जिससे हड़ताल को खत्म करवाया जा सके। हो सकता है कि कर्मचारियों की कुछ मांगें गैर वाजिब हो, लेकिन कर्मचारियों को उकसाने में राज्य सरकार का रवैय्या भी कम दोषी नहीं है। जनता के वोट से चुनी सरकार जब संवादहीनता करे तो फिर माहौल तो खराब होगा ही। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह जिला स्तर पर जाकर भाजपा के कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कर रहे हैं। वहीं चुनाव से डेढ़ माह पहले और प्रधानमंत्री के आगमन पर राजस्थान में चैतरफा हड़ताल का माहौल है। सरकार को लगता है कि पुलिस के डंडे के बल पर काले झंडे दिखाने और विरोध करने वालों को खदेड़ दिया जाएगा। लेकिन वसुंधरा सरकार को यह भी समझना चाहिए कि राजस्थान में पुलिस कर्मी भी बेहद खफा हैं। अनुशासन की वजह से पुलिस कर्मी हड़ताल नहीं कर सकते, लेकिन सरकार पर दबाव डालने के लिए अपनी वर्दी के डंडे को नरम कर सकते हैं। पुलिस कर्मियों ने पुलिस थानों और पुलिस लाइन की मैस का बहिष्कार कर अपनी मांगों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया था। लेकिन सरकार ने बड़े अधिकारियों के दम पर पुलिस कर्मियों के विरोध को दबा दिया। सरकार की संवेदनशीलता का पता इससे चलता है कि तीन दिन मंत्रीमंडलीय समूह का गठन गया है जो हड़ताली कर्मचारियों से वार्ता करेगा। जबकि 6 अक्टूबर के बाद कभी भी चुनाव आचार संहिता लग सकती है। हालांकि प्रधानमंत्री की सुरक्षा कई स्तरों पर होती है, लेकिन फिर भी चैतरफा हड़ताल के माहौल में सतर्कता तो बरतनी होगी ही।
निजी सचिव और स्टेनोग्राफर भी अवकाश परः
स्टेनोग्राफर और निजी सचिव महासंघ के प्रतिनिधि चांदमल बंजारा ने बताया कि चार अक्टूबर से निजी सचिव और स्टेनोग्राफर भी सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं।
वार्ता भी शुरूः
मंत्री समूह ने चार अक्टूबर को शाम से विभिन्न कर्मचारी संगठनों से वार्ता भी शुरू कर दी है। मंत्री समूह ने कर्मचारी संयुक्त महासंघ, पंचायतीराज, बीएमएस कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए आमंत्रित कर लिया है। मंत्री समूह में यूनुस खान, डाॅ. रामप्रताप, बाबूलाल वर्मा और राजपाल सिंह शेखावत शामिल हैं। 
पायलट ने दिया समर्थनः
4 अक्टूबर को जयपुर में रोडवेज कर्मचारियों के धरना स्थल पर जाकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने समर्थन दिया। पायलट ने कहा कि कांग्रेस पार्टी रोडवेज के कर्मचारियों के साथ खड़ी है।
एस.पी.मित्तल) (04-10-18)
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