Thursday 11 October 2018

पुष्कर से मंहत सेवानंदगिरि की दावेदारी बिगाड़ सकती है सुरेश सिंह रावत का गणित।

पुष्कर से मंहत सेवानंदगिरि की दावेदारी बिगाड़ सकती है सुरेश सिंह रावत का गणित।
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अजमेर जिले के पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत भी उन विधायकों में शामिल हैं जो किसी भी स्थिति में दोबारा से टिकिट चाहते हैं। रावत ने तो संसदीय सचिव का पद हासिल कर सत्ता का स्वाद भी चख लिया है, इसलिए लालसा कुछ ज्यादा ही है। रावत के समर्थकों का मानना है कि पीसांगन के पंचायत समिति के प्रधान राजेन्द्र सिंह रावत की दावेदारी तो खास मायने रखती है, क्योंकि राजेन्द्र सिंह तो सुरेश सिंह के समर्थन से हाल ही में प्रधान बने हैं। प्रधान के चुनाव के समय राजेन्द्र सिंह ने पंचों के सामने सुरेश सिंह से वायदा किया था कि वे विधानसभा चुनाव में दावेदारी नहीं करेंगे। समर्थकों को भरोसा हैं कि राजेन्द्र सिंह वायदा खिलाफी नहीं करेंगे। लेकिन सुरेश सिंह का गणित पुष्कर के कपालेश्वर महादेव मंदिर के महंत सेवानंदगिरि बिगाड़ सकते हैं। सेवानंद अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय मंत्री भी हैं। इस समिति में ऐसे साधु संत शामिल हैं जो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह से सीधे संवाद कर सकते हैं। सेवानंदगिरि ने भाजपा के राज्यसभा सदस्य डाॅ. किरोड़ीलाल मीणा के माध्यम से भाजपा के बड़े नेताओं को अपनी भावनाओं से अवगत करा दिया है। सुरेश सिंह के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि सेवानंदगिरि रावत समुदाय के ही हैं। नसीराबाद के चैनपुरा गांव में जन्मे सेवानंदगिरि के पिता का नाम घासी सिंह रावत है। हालांकि 13 वर्ष में ही सेवानंद ने संन्यास ग्रहण कर लिया था, लेकिन पिछले 20 वर्षों से पुष्कर में रहते हुए उन्होंने रावत समाज में सक्रियता बनाए रखी। यही वजह है कि पुष्कर स्थित रावत महासभा में सेवानंदगिरि का पूरा दखल है। यह महासभा अनेक मुद्दों पर विधायक सुरेश रावत को भी तलब कर लेती है। सुरेश सिंह को भी पता है कि गत चुनावों में 41 हजार मतों की जीत में सेवानंदगिरि का भी योगदान है, हालांकि अब दोनों आमने-सामने हो गए हैं। विवाद इतना बढ़ गया है कि सेवानंदगिरि खुद मैदान में कूद पड़े हैं। माहौल बनाने के लिए पुष्कर में साधु संतों का एक बड़ा सम्मेलन होने जा रहा है। इस सम्मेलन का उद्देश्य पुष्कर की धार्मिक आस्था और श्रद्धालुओं की भावनाओं का ख्याल करना है। इसी क्रम में विधानसभा चुनाव में साधु संतों की भूमिका भी होगी। संत समाज चाहेगा कि पुष्कर तीर्थ नाम के अनुरूप विधायक भी चुना जाए। सीकर से सुभेगानंद महाराज भाजपा के सांसद हैं तथा मंत्री राजकुमार रिंणवा भी धार्मिक पीठ से जुड़े हुए हैं। सेवानंदगिरि की उम्मीदवारी भाजपा की मंशा के अनुरूप है। पुष्कर के ऐतिहासिक बूढ़ा पुष्कर सरोवर पर रावत घाट के निर्माण में भी सेवानंदगिरि की भूमिका रही। हालांकि विधायक सुरेश सिंह रावत का प्रदेश की सीएम वसुंधरा राजे से अच्छा तालमेल हैं, लेकिन सीएम राजे सेवानंदगिरि से भी समय समय पर आशीर्वाद लेती रही हैं। भाजपा के कई दिग्गज नेताओं भी सेवानंदगिरि की दावेदारी का समर्थन कर रहे है। यानि सुरेश रावत को अब अपने ही जमात में चुनौती मिल रही है। वहीं सुरेश सिंह के समर्थकों का कहना है कि सेवानंदगिरि का अब रावत समाज से कोई सरोकार नहीं है क्योंकि साधु बनने के बाद उस साधु की कोई जात नहीं होती है। रावत समाज तो सभी साधु संतों का आदर करता है।
एस.पी.मित्तल) (11-10-18)
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