कोरोना की वैक्सीन खरीदने का अधिकार राज्यों को मिलना चाहिए, यह मुद्दा मैंने 8 अप्रैल को ब्लॉक संख्या 7785 में पुरजोर तरीके से उठाया था। मेरा यह भी तर्क था कि वैक्सीन पर केन्द्र का एकाधिकार खत्म होना चाहिए। मैं यह तो दावा नहीं करता कि मेरा ब्लॉग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने पढ़ा, लेकिन यह सही है कि 19 अप्रैल को देशभर के चिकित्सकों से संवाद करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैक्सीन खरीदने का अधिकार राज्यों को भी दे दिया है। अब कोई भी राज्य सीधे निर्माता कंपनियों से अपनी शर्तों पर वैक्सीन खरीद सकती है। अब किसी भी राज्य सरकार को यह शिकायत नहीं रहेगी कि केन्द्र सरकार वैक्सीन उपलब्ध करवाने में विलम्ब या भेदभाव कर रही है। यानी वैक्सीन पर केन्द्र ने अपना एकाधिकार भी समाप्त कर दिया है। इसके साथ ही एक मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को भी वैक्सीन लग सकेगी। अभी 45 वर्ष से अधिक उम्र वालों को ही वैक्सीन लग रही है। दूसरे चरण में जब 45 वर्ष वालों को वैक्सीन लगाने की घोषणा की गई, तब अनेक मुख्यमंत्रियों ने 18 वर्ष वालों को भी वैक्सीन लगाने की मांग की। तर्क दिया गया कि दूसरी लहर में वायरस ज्यादा प्रभावी है, इसलिए सभी को वैक्सीन लगवाई जाए। केन्द्र सरकार ने अब राज्यों की सभी मांग पूरी कर दी है। अब तक राज्य, केन्द्र से मुफ्त में मिलने वाली वैक्सीन लगा रहे थे। सप्लाई में एक दिन का विलंब होने पर संबंधित राज्य वैक्सीनेशन के काम को बंद कर केन्द्र पर दोषारोपण करने में कोई कसर नहीं छोड़ता था, लेकिन अब जब एक मई से 18 वर्ष वालों को भी वैक्सीन लगेगी, तो वैक्सीन के प्रबंधन की जिम्मेदारी भी राज्यों की होगी। राज्यों को विदेश से भी वैक्सीन मंगाने की छूट दे दी गई है। यानी अब राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा चाहे तो अमरीका से भी वैक्सीन खरीद सकते हैं। सप्लाई कम होने की आड़ लेकर प्रदेश में कई बार वैक्सीनेशन का काम बंद किया गया है। केन्द्र का एकाधिकार खत्म होने से अब रघु शर्मा को भी राहत मिलेगी।
S.P.MITTAL BLOGGER (20-04-2021)
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