Friday 16 April 2021

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अब भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा के एक्शन का इंतजार।असम के कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवारों से मुलाकात कर मुख्यमंत्री गहलोत ने स्वयं कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई।

राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रतिद्वंदी माने जाने वाले पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के लगातार आ रहे बयानों से जाहिर है कि कांग्रेस में असंतोष व्याप्त है। सचिन पायलट जब भी सरकार और संगठन को लेकर प्रतिकूल बयान देते हैं, तब माहौल को संतुलित करने के लिए भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की ओर से भाजपा में असंतोष होने की बात उजागर करवा दी जाती है। पिछले दिनों वसुंधरा समर्थक 20 भाजपा विधायकों द्वारा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को लिखा पत्र इसी दायरे में माना जा रहा है। इसी प्रकार वसुंधरा राजे के जन्मदिन पर गिर्राज जी में भाजपा के 30 विधायकों के जुटने को भी भाजपा के असंतोष से जोड़कर देखा गया। वसुंधरा खेमे की ओर से जब भी ऐसी गतिविधियां होती है तो कांग्रेस के नेता भाजपा को अपना घर संभालने की सलाह देते हैं। सचिन पायलट के असंतोष को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भाजपा का खेल बताते हैं। इसको लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भी कटघरे में खड़ा किया जाता है। हालांकि वसुंधरा राजे के समर्थकों के असंतोष को भाजपा के किसी भी नेता ने सीएम गहलोत से नहीं जोड़ा है, लेकिन सब जानते हैं कि गहलोत की मेहरबानी से ही वसुंधरा राजे जयपुर में सिविल लाइन स्थित सरकारी बंगला संख्या 13 में रह रही हैं। राजे को यह बंगला पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर आवंटित हुआ था, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला आवंटन करने पर रोक लगा दी, लेकिन गहलोत ने नियमों में हेरफेर कर राजे को सरकारी बंगले में जमाएं रखा है। इसलिए अब सचिन पायलट के ताजा असंतोष के बाद गहलोत को वसुंधरा राजे के एक्शन का इंतजार है। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रदेश के राजसमंद, सुजानगढ़ और सहाड़ा उपचुनाव में वसुंधरा राजे की कोई सक्रियता नहीं है। माना जा रहा है इसी को मुद्दा बना कर राजे समर्थक भाजपा में असंतोष की बात को उजागर करेंगे।
सरकार के नियमों की उड़ी धज्जियां:
16 अप्रैल को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जयपुर स्थित सरकारी आवास पर असम के कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। सभी उम्मीदवारों को गहलोत ने सुबह का नाश्ता भी करवाया। लेकिन इस मुलाकात में कोविड-19 के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई। स्वयं मुख्यमंत्री ने दो गज की दूरी के नियम की अवहेलना कर कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात की। सभी कांग्रेसी समूह में गहलोत से मिले। हाथ भी मिलाया। सीएम आवास पर किसी को भी कोरोना वायरस का डर नहीं था। सीएम गहलोत रोजाना उपदेश देते हैं कि जरूरी होने पर ही घर से निकला जाए। बाहर निकलने पर दो गज की दूरी रखी जाए। मुंह पर मास्क लगाया जाए। अब तो गहलोत ने 16 अप्रैल को सायं 6 बजे से 60 घंटे का लॉकडाउन भी घोषित कर दिया है। सामान्य  दिनों में भी प्रतिदिन 12 घंटे का कर्फ्यू लगा रखा है। सवाल उठता है कि क्या असम के उम्मीदवारों से मिलना जरूरी था? यदि सीएम बाहर से आए लोगों से शिष्टाचार मुलाकात कर सकते हैं तो फिर आम आदमी को अपने परिवार के सदस्यों से मुलाकात करने से क्यों रोका जा रहा है? यहां यह उल्लेखनीय है कि जिन पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं, उनमें असम भी शामिल है। असम में चुनाव हो चुके हैं, लेकिन कांग्रेस गठबंधन को अपने उम्मीदवारों के पाला बदलने की आशंका है। इसलिए कांग्रेस के उम्मीदवार राजस्थान आए। 16 अप्रैल को वापस असम जाने से पहले उम्मीदवारों ने सीएम गहलोत से मुलाकात की। असल में सभी उम्मीदवारों ने शानदार मेहमान नवाजी के लिए गहलोत का आभार जताया। असम के उम्मीदवारों को भी जयपुर की उसी फेयरमोंट होटल में सुरक्षित रखा गया, जिसमें गत वर्ष गहलोत ने कांग्रेस और अन्य दलों के 100 विधायकों को रखा था। 
S.P.MITTAL BLOGGER (16-04-2021)
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