राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दैनिक भास्कर में छपी खबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पढ़कर सुनाते हैं, इसलिए भास्कर में छपी खबर को झूठा या गलत नहीं माना जा सकता है। 25 अप्रैल को भास्कर में पूरे आठ कॉलम में एक खबर छपी है। इस खबर में प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को लापता बताया है। भास्कर ने मंत्री जी का हुलिया बताते हुए प्रदेश की जनता से तलाशने की अपील की है। जो लोग रघु शर्मा को शक्ल सूरत से नहीं जानते हैं उन्हें भास्कर ने बताया है कि मंत्री की उम्र 62 वर्ष कद 5 फिट 8 इंच, रंग गेहुआ, चेहरा गोल बड़ा दरम्याना है। मंत्री जी हमेशा सफेद कुर्ता पायजामा और काले रंग की सफारी (जाकैट) में अक्सर दिखते हैं। वे काले रंगे के स्पोर्ट्स शूज पहनते हैं। भास्कर ने लिखा है कि मंत्री को अंतिम बार भीलवाड़ा के सहाड़ा उपचुनाव में देखा गया था। गुमशुदगी की खबर के साथ भास्कर ने रघु शर्मा का एक फोटो अभिनेता सलमान खान के बॉडीगार्ड शेरा के साथ प्रकाशित किया है। यानी जरुरत होने पर रघु शर्मा को किसी सुरक्षाकर्मी के साथ मुलाकात करने और फोटो खिंचवाने पर भी एतराज नहीं है। चिकित्सा मंत्री की तब तलाश हो रही है, जब कोरोना संक्रमण में सरकारी अस्पतालों में मरीज ऑक्सीजन, रेमडेसिवीर इंजेक्शन और अन्य सुविधाओं के अभाव में तड़प रहे हैं। हालात इतने खराब है कि सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। ऐसे में प्रदेश के चिकित्सा मंत्री को तलाशा जाए तो इससे शर्मनाक बात और कोई नहीं हो सकती। और जब भास्कर जैसा अखबार तलाश करें तो अन्य मीडिया कर्मियों की स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जब कोरोना के कारण लोग परेशान हो तब चिकित्सा मंत्री को अपने प्रदेश की जनता के साथ खड़ा होना चाहिए। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि ऐसे नाजुक मौके पर भी चिकित्सा मंत्री साथ नहीं है। गत वर्ष कोरोना काल में रघु शर्मा तब विवाद में आए थे, जब कोरोना संक्रमित होते हुए भी जयपुर स्थित आरयूएचएस अस्पताल का निरीक्षण किया। तब सीएम गहलोत ने रघु शर्मा का बचाव किया था, लेकिन भास्कर की 25 अप्रैल वाली खबर पर अभी तक भी सीएम गहलोत की प्रतिक्रिया नहीं आई है। चिकित्सा मंत्री के लापता होने से प्रदेश सरकार की छवि भी प्रतिकूल असर पड़ता है। रघु शर्मा अजमेर जिले के केकड़ी उपखंड से कांग्रेस के विधायक हैं। केकड़ी और अजमेर जिले के सरकारी अस्पतालों में भी मरीजों की दुर्दशा है। सवाल उठता है कि जब गत वर्ष संक्रमित होने के बाद भी सरकारी अस्पताल का निरीक्षण किया जा सकता है, तब इस बार स्वास्थ्य होने के बाद भी अस्पतालों का आकस्मिक निरीक्षण क्यों नहीं किया जा रहा है?
S.P.MITTAL BLOGGER (26-04-2021)
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