Thursday, 21 November 2024

परिणाम के बाद महाराष्ट्र में विधायकों की खरीद फरोख्त की आशंका।हरियाणा में हुई दुर्गति के बाद अनुमान लगाने वाले भी डरे।

हालांकि महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के चुनाव परिणाम 23 नवंबर को आएंगे, लेकिन 20 नवंबर को मतदान समाप्ति के तुरंत बाद मीडिया घरानों और अन्य संस्थाओं ने अनुमानित परिणाम घोषित कर दिए। ऐसे में परिणाम हरियाणा में भी घोषित किए गए थे, लेकिन परिणाम अनुमानों के उलट आए। सभी मीडिया घराने और अनुमान लगाने वाली संस्थाएं हरियाणा में कांग्रेस की जीत मान रही थी, लेकिन परिणाम में भाजपा की जीत हुई। इस दुर्गति के बाद अनुमान लगाने वाले भी डरे हुए हैं। इसलिए महाराष्ट्र के बारे में आधा अधूरा अनुमान लगाया गया है। अनुमान लगाने वाली संस्थाओं के आंकड़ों का औसत निकाला जाए तो महाराष्ट्र में भाजपा के गठबंधन वाले महायुति को न्यूनतम 137 सीटें दी गई है जबकि कांग्रेस के गठबंधन वाले महाअघाड़ी को न्यूनतम 120 सीटें दी है। महाराष्ट्र में 288 में से सरकार बनाने के लिए 145 सीट चाहिए। यानी औसत में भी किसी भी दल को बहुमत नहीं बताया जा रहा। वही जानकारों की माने तो महाराष्ट्र में परिणाम के बाद विधायकों की खरीद फरोख्त का दौर चलेगा। असल में इस बार शिवसेना और एनसीपी के दो दो गुट होने के साथ साथ भाजपा और कांग्रेस के बागी उम्मीदवारों की भी संख्या ज्यादा है। बागी उम्मीदवारों ने कई सीटों पर प्रमुख दलों के उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ रहे हैं। अनेक सीटों पर बागी उम्मीदवार अपने दल के अधिकृत उम्मीदवार से ज्यादा मजबूत है। कांग्रेस, भाजपा और शिवसेना व एनसीपी के दोनों गुटों के नेता अभी भी सतर्कता बरत रहे हैं। कुछ दलों ने तो अपने सभी उम्मीदवारों को एक स्थान पर एकत्रित कर लिया है। इसके साथ्ज्ञ ही भाजपा ने कई बागी उम्मीदवारों से संपर्क साधा लिया है। ताकि जरूरत पड़ने पर सहयोग लिया जा सके। इस बीच महाराष्ट्र के बड़े उद्योगपति चिंतित हैं क्योंकि यदि कांग्रेस के गठबंधन वाले महा अघाड़ी की सरकार बनती है तो सबसे ज्यादा असर उद्योग की रफ्तार पर पड़ेगा। यहां तक कि झुग्गी झोपड़ी वाला धारावी प्रोजेक्ट भी बंद हो ाजएगा। इसके दो लाख लाख गरीब लोग पक्के मकान से वंचित हो जाएंगे। झारखंड में सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों की जरूरत है, जबकि अनुमानों का औसत भाजपा को न्यूनतम 38 तथा जेएमएम को न्यूनतम 34 सीटें बता रहा है। झारखंड में भी खरीद फरोख्त की आशंका बनी हुई है। महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना रहमान सज्जाद नोमानी भले ही भाजपा को हराने का फवा जारी करे, लेकिन महाराष्ट्र की भाजपा गठबंधन वाली सरकार ही अभिनेता सलमान खान को सुरक्षा दे रही है। मुसलमानों के जो नेता भाजपा के खिलाफ जहर उगलते हैं उन्हें कट्टरपंथ से सावधान रहना चाहिए। ऐसे नेता यह अच्छी तरह समझ लें कि मुसलमान जब तक हिंदुओं के साथ रह रहे है, तब तक ही सुरक्षित है। जिस दिन मुसलमानों को मुसलमानों के साथ रहना पड़ेगा उस दिन आम मुसलमान सुरक्षित नहीं रहेगा। भारत में रहने वाले मुसलमान अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हालात देख सकते हैं। कट्टरपंथी मुस्लिम नेता चाहे कुछ भी कहे, लेकिन भारत की सनातन संस्कृति एकमात्र ऐसी संस्कृति है, जिसमें दूसरे धर्मों की परंपराओं का भी सम्मान होता है। यही वजह है कि अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह पर आम दिनों में मुसलमानों से ज्यादा हिंदू जियारत के लिए आते हंै। कट्टरपंथी नेताओं को भारत की सनातन संस्कृति के इस महत्व को समझना चाहिए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (21-11-2024)
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