दिल्ली स्थित राजस्थान के बीकानेर हाउस को कुर्क करने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि 26 नवंबर को प्रदेश के कांग्रेस सांसदों से ब्रेकफास्ट का निमंत्रण वापस लेने का मामला हो गया। दोनों ही मामलों में अफसरशाही की लापरवाही ही सामने आई है। अफसरशाही की इस लापरवाही से प्रदेश की भजनलाल सरकार की जग हंसाई हो रही है। मुख्यमंत्री जब दिल्ली प्रवास पर होते हैं तो संसद सत्र के दौरान, प्रदेश के सांसदों को लंच, डिनर या ब्रेकफास्ट (सुबह का नाश्ता) पर आमंत्रित करते हैं। यह एक सामान्य शिष्टाचार है। चूंकि 25 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ इसलिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की ओर से 26 नवंबर को सुबह सांसदों को ब्रेकफास्ट का आयोजन रखा। संबंधित अधिकारियों ने प्रदेश के सभी सांसदों को ब्रेकफास्ट का निमंत्रण मोबाइल पर भिजवा दिया, लेकिन बाद में कांग्रेस सांसदों से यह निमंत्रण वापस ले लिया गया। कांग्रेस के सांसदों को 25 नवंबर की रात को सूचित किया गया कि मुख्यमंत्री के साथ ब्रेक फास्ट सिर्फ भाजपा सांसदों का है। कांग्रेस सांसदों से निमंत्रण वापस लेने से साफ जाहिर है कि संबंधित अधिकारियों ने लापरवाही बरती है। सवाल उठता है कि आखिर यह चूक किस स्तर पर हुई है? दिल्ली में एक वरिष्ठ आईएएस रेजिडेंस कमिश्नर की भूमिका निभाते हैं। क्या मुख्य सचिव सुधांश पंत लापरवाह अधिकारियों पर कोई कार्यवाही करेंगे? विगत दिनों दिल्ली की पटियाला कमर्शियल कोर्ट ने पचास लाख रुपए की बकाया राशि की वसूली के लिए बीकानेर हाउस को कुर्क करने का जो आदेश दिया उसमें भी अफसरशाही की लापरवाही सामने आई है। देश की राजधानी दिल्ली में बार बार भजनलाल सरकार की जग हंसाई हो रही है। गंभीर बात तो यह है कि कांग्रेस सांसद भजनलाल जाटव को ब्रेकफास्ट का निमंत्रण वापस लेने की सूचना ही नहीं मिली और वे 26 नवंबर को सुबह मुख्यमंत्री के साथ ब्रेकफास्ट करने के लिए बीकानेर हाउस पहुंच गए। जाटव को असहज होकर बिना ब्रेकफास्ट के वापस लौटना पड़ा। इस मामले में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भी गंभीरता दिखानी चाहिए। 25 से 30 लाख मतदाताओं का नेतृत्व करने वाले सांसदों के साथ सदव्यवहार की अपेक्षा तो की ही जाती है। सवाल यह भी है कि जब एक बार सभी सांसदों को ब्रेकफास्ट का निमंत्रण दे दिया गया था तो फिर वापस क्यों लिया गया? राजस्थान में कांग्रेस के 9 और आरएलपी व बीएपी का एक एक सांसद है। यदि 11 सांसद मुख्यमंत्री के साथ ब्रेकफास्ट कर भी लेते तो सरकारी खजाने पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ता। सांसदों से निमंत्रण वापस लेना भी गंभीर मामला है।
S.P.MITTAL BLOGGER (27-11-2024)
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