20 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी वाले महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव में मुसलमानों का मुद्दा अहम हो गया है। महाराष्ट्र की 288 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होना है। 10 नवंबर को महाविकास अघाड़ी और महायुति ने अपने अपने घोषणा पत्र भी जारी कर दिए है। इस बीच पूरे महाराष्ट्र में सक्रिय ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने भी अपना मांग पत्र जारी किया है। इ पत्र में मांग की गई है कि मुसलमानों को 10 प्रतिशत विशेष आरक्षण दिया जाए तथा मस्जिदों के मौलवियों को प्रतिमाह 15 हजार रुपए का वेतन दिया जाए। इसके साथ ही दंगों में गिरफ्तार सभी मुसलमानों की रिहाई की जाए। महाराष्ट्र में जो सरकार बने वह यह भी भरोसा दिलाए कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर प्रतिबंध लगाया जाए। उलेमा बोर्ड के इस मांग पत्र को भाजपा के गठबंधन वाले महायुति ने खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने उलेमा बोर्ड की ऐसी मांगों पर चिंता भी जताई है। जबकि कांग्रेस के गठबंधन वाले महाविकास अघाड़ी ने उलेमा बोर्ड के मांग पत्र पर मौन साथ रखा है। सवाल उठता है कि क्या महाअघाड़ी में शामिल दल उलेमा बोर्ड की शर्तों पर सहमत हो जाएंगे? महाअघाड़ी में बाल ठाकरे द्वारा स्थापित उद्धव ठोर वाली शिवसेना भी शामिल है। सब जानते हैं कि कांग्रेस और शरद पंवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को मुसलमानों का प्रतिनिधि माना जाता है। उलेमा बोर्ड का मांग पत्र इसलिए भी महत्व रखता है कि महाराष्ट्र की 38 सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक हें। जबकि अधिकांश सीटों पर मुस्लिम वोट चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं। इसलिए कांग्रेस के गठबंधन वाले महाअघाड़ी पर उलेमा बोर्ड का जबरदस्त दबाव है। कांग्रेस और एनसीपी यदि मुस्लिम वोटों के खातिर उलेमा बोर्ड की मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाती है तो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को भी कोई ऐतराज नहीं होगा, क्योंकि महाराष्ट्र की सत्ता हासिल करने के लिए उद्धव ठाकरे ही सबसे ज्यादा उतावले हैं। पहले भी कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने एक बयान से उद्धव ठाकरे को उलझा दिया है। शाह ने कहा कि उद्धव ठाकरे कांग्रेस के राहुल गांधी से कह कर एक बार उनके पिता स्वर्गीय बाला साहेब ठाकरे और महाराष्ट्र के प्रेरणास्त्रोत वीर सावरकर की प्रशंसा करवा दें। मालूम हो कि राहुल गांधी और कांग्रेस इन दोनों ही महापुरुषों की आलोचक रही हैं।
मंदिरों को जलाने के फतवे:
एक और शांत भारत में महाराष्ट्र के चुनावों में उलेमा बोर्ड ने अपना मांग पत्र जारी किया है तो दूसरी ओर पड़ोसी बांग्लादेश में मस्जिदों से फतवे जारी हो रहे है कि सभी हिंदू मंदिरों को जला दिया जाए। इन फतवों की वजह से बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं में दहशत का माहौल है। बांग्लादेश में बड़ी संख्या में इस्कॉन के मंदिर है। मालूम हो कि शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद से ही बांग्लादेश में कट्टरपंथी हावी हो गए हैं। ऐसे कट्टरपंथी मुसलमान हिंदुओं पर भी अत्याचार कर रहे है। गंभीर बात तो यह है कि कट्टरपंथियों को पुलिस का भी संरक्षण है। ऐसे में हिंदू जब शिकायत के लिए थाने पर जाता है तो उसकी कोई सुनवाई नहीं होती। उल्टे जो लोग विरोध करते हैं उन्हें सुरक्षा बल पकड़ कर ले जाते हैं। सैकड़ों हिंदू युवकों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
S.P.MITTAL BLOGGER (11-11-2024)
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