Saturday, 9 November 2024

वक्फ एक्ट में संशोधन का विरोध करने वाले भारतीय मुसलमान पाकिस्तान के क्वेटा में हुए आतंकी हमले से सबक लें।कट्टरपंथ की जकड़ में है पाकिस्तान जबकि भारत में सनातन को मानने वाले तो दरगाहों में जियारत भी करते है।

9 नवंबर को पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रांत के क्वेटा रेलवे स्टेशन पर एक आत्मघाती विस्फोट हुआ, जिसमें 14 सैनिकों के साथ 25 लोगों की मौत हो गइ्र। यह आतंकी हमला मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन ब्लूचिस्तान लिबरेशन आर्मी की ओर से किया गया। विस्फोट करने और मरने वाले दोनों लोग मुस्लिम समुदाय के थे। भारत में जो मुसलमान वक्फ एक्ट में संशोधन का विरोध कर रहे हैं उन्हें क्वेटा के आतंकी हमले से सबक लेना चाहिए। भारत में वक्फ एक्ट में संशोधन का विरोध करनेवाले माने या नहीं, लेकिन पाकिस्तान पूरी तरह कट्टरपंथियों की जकड़ में है। इन कट्टरपंथियों को अपने धर्म के मुसलमानों को भी मौत के घाट उतारने पर कोई ऐतराज नहीं है। पाकिस्तान एक मुस्लिम राष्ट्र है और यहां सरकार के बजाए कट्टरपंथियों का ही दबदबा है। इन कट्टरपंथियों की विचारधारा भी अलग अलग है। एक कट्टरपंथी संगठन अपनी विचारधारा को थोंपने के लिए दूसरे की जान ले लेता है। पाकिस्तान में आए दिन आतंकी विस्फोटों में मुसलमान मारे जा रहे है। इसके विपरीत भारत में सनातन संस्कृति को मानने वाले लोग मुस्लिम सूफी संतों की दरगाहों मे ंजाकर मजार पर जियारत भी करते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह है। दरगाह के खादिम खुद मानते हैं कि सामान्य दिनों में पचास प्रतिशत लोग हिंदू समुदाय के आते हैं। यानी सनातन संस्कृति मे ंसभी धर्मों के लोगों से प्रेम करने की शिक्षा दी जाती है। ऐसे में भारतीय मुसलमानों को वक्फ एक्ट में संशोधन का विरोध नहीं करना चाहिए। यदि संशोधन के बाद वक्फ कमेठियों में गैर मुस्लिम लोग भी शामिल होते हैं तो इससे भारत की एकता को और मजबूती मिलेगी। मौजूदा समय में वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग भी हो रहा है। भारत में रहकर जो मुसलमान अपने बच्चों को कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ा रहे है वह इस हकीकत को समझे कि देश की अनेक वक्फ संपत्तियों पर कट्टरपंथी विचारधारा वाले मुसलमानों का कब्जा है। यदि भारत में पाकिस्तान की तरह कट्टरपंथी सोच मजबूत होती है तो फिर बच्चों को कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ाने वाले मुसलमानों कोभी खतरा होगा। वैसे भी जब हम भारत को धर्म निरपेक्ष राष्ट्र मानते हैं तो फिर लाखों बीघा भूमि सिर्फ एक समुदाय के लिए आरक्षित कैसे हो सकती है। कांग्रेस ने भले ही राजनीतिक कारणों से वक्फ एक्ट बनाया हो, लेकिन मौजूदा हालातों में भारत में वक्फ संपत्तियों पर किसी एक समुदाय का हक नहीं होना चाहिए। अब समय आ गया है जब वक्फ की संपत्तियां सार्वजनिक उपयोग में लाई जाए। यदि कुछ मुसलमान वक्फ की संपतितयों पर एकाधिकार मानेंगे तो फिर भारत में रहने वाले मुसलमानों को पड़ौसी देशों के हालात भी समझने चाहिए। पाकिस्तान के बाद बांग्लादेश में भी सरकार पर कट्टरपंथियां का कब्जा हो गया है। अफगानिस्तान में तो पहले ही कट्टरपंथी संगठन तालिबान का कब्जा है। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि भारत में रक्षा औररेलवे के बाद सबसे ज्यादा भूमि वक्फ कमेटियों के पास है। कई बड़े शहरों में तो प्राइम लोकेशन पर कई बीघा भूमि वक्फ की है। 25 नवंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। वक्फ एक्ट में संशोधन के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट भी पेश होगी। अच्छा हो कि इसी सत्र में संशोधन प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया जाए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (10-11-2024)
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