Sunday 22 March 2015

130 नमाजियों की मौत और मौलाना रिजवी का बयान भारत के लिए चेतावनी

130 नमाजियों की मौत और मौलाना रिजवी का बयान भारत के लिए चेतावनी
यमन की राजधानी सना की दो मस्जिदों में हुए आत्मघाती हमले में 130 की मौत और राजस्थान के जयपुर में 21 मार्च को मुिस्लम पर्सनल लॉ-बोर्ड के सदस्य मौलाना कलबे रुशेद रिजवी का बयान भारत के लिए खुली चेतावनी है। शिया समुदाय से जुड़ी दोनों मस्जिदों में 130 नमाजियों को मौत के घाट उतारने की जिम्मेदारी आतंककारी संगठन आईएस ने ले ली है। यह वही आईएस है, जिसने ईराक सीरिया देशों के बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया है और अब आईएस की गतिविधियां पाकिस्तान में शुरू हो गई है। पाकिस्तान में आईएस से जुड़े आतंककारी आए दिन मस्जिदों और सार्वजनिक स्थलों पर बम धमाके कर रहे हैं। भारत में कश्मीर में आईएस के झंडे लहराए गए हैं और खुफिया एजेंसियां भी मान रही है कि आईएस भारत में भी सक्रिय हैं। एक ओर आईएस जैसे खूंखार आतंकवादी संगठन की सक्रियता भारत में बढ़ रही है, वहीं मौलाना कलबे रुशेद रिजवी का यह बयान बहुत मायने रखता है कि कट्टरता का लाभ उठाकर आईएस भारत में सक्रिय है। मुस्लिम युवाओं को नौकरी का झांसा देकर आईएस भारत में अपना नेटवर्क खड़ा कर रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मौलाना रिजवी का बयान वर्तमान परिदृश्य में भारत के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है। आईएस की गतिविधियां भारत की अखंडता को तोडऩे वाली तो है ही, लेकिन मौलाना रिजवी की चिन्ता मुस्लिम युवकों को पथभ्रष्ट होने की भी है। सवाल उठता है कि जब धर्म निरपेक्षता का नारा देकर भारत को चलाने का दावा किया जाता है, तब मुस्लिम युवा आईएस जैसे संगठन की ओर आकर्षित क्यों हो रहे हैं? भारत में रहने वाले जो मुस्लिम युवक आईएस की ओर आकर्षित हो रहे हैं क्या वे भारत की एकता को खंडित करना चाहते हैं? ऐसे युवाओं को यमन की मस्जिदों में हुए आत्मघाती हमलों से सबक लेना चाहिए। जो लोग मस्जिद में नमाज पढ़ते हुए लोगों को मौत के घाट उतार सकते हैं वे भारत में किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। मौलाना रिजवी जैसे मुस्लिम विद्वानों और धर्म गुरुओं की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने ही समाज में उन युवाओं को रोके जो आईएस की ओर आकर्षित हो रहे हैं। अन्यथा आज जो हाल पाकिस्तान का हो रहा है, वह भारत का भी हो सकता है। जब नमाजियों को मौत के घाट उतारा जा सकता है तो फिर भारत में रहने वाले लोगों पर दया की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। भारत में तो अजमेर में ख्वाजा साहब की ऐसी दरगाह है, जहां मुसलमानों के साथ-साथ हिन्दू भी बड़ी संख्या में जियारत के लिए आते हंै। आईएस जैसे संगठनों के हमले से बचने के लिए भारत में रहने वाले सभी धर्मों के लोगों को एकजुट होना होगा। यदि अब भी धर्म के नाम पर दंगे-फंसाद होते रहे तो फिर आईएस को सफलता मिल ही जाएगी।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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