Wednesday 18 March 2015

गंदगी पर जुर्माना: अवैध वसूली का एक और हथियार

गंदगी पर जुर्माना: अवैध वसूली का एक और हथियार
राज्य सरकार अब गन्दगी करने वालों पर जुर्माना वसूलने जा रही है। जुर्माना वसूलने का अधिकार स्थानीय निकायों को दिया जाएगा। यानि अजमेर में नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी जुर्माना वसूलेंगे। सरकार के इस नए कानून से निगम के कर्मचारियों को अवैध वसूली का एक और हथियार मिल जाएगा। कर्मचारियों के पास पहले भी अवैध निर्माण रोकने आदि के अधिकार है, लेकिन निगम के कर्मचारी अपनी देखरेख में ही अवैध निर्माण करवाते हैं। शहरभर में अवैध निर्माणों की बाढ़ आई हुई है। सवाल उठता है कि जब अपने संरक्षण में ही अवैध निर्माण निगम के कर्मचारी करवाते हैं, तो फिर गन्दगी करने वालों से जुर्माना कैसे वसूला जाएगा? जाहिर है कि जुर्माने का डर दिखाकर निगम के कर्मचारी नागरिकों, व्यापारियों, दुकानदारों, उद्योगपतियों आदि से अवैध वसूली करेंगे। आज भी अनेक व्यापारिक प्रतिष्ठानों से सड़क पर गन्दगी करने की एवज में अवैध वसूली की जाती है। सिनेमाघरों, बड़े बड़े मॉल आदि से प्रतिमाह अवैध वसूली हो रही है। ऐसे प्रतिष्ठानों के मालिक बिना किसी झिझक के कचरे को या तो किसी नाले में या फिर अवैध कचरा डिपो में डालते हैं। सरकार जब जुर्माने का अधिकार दे देगी तो अवैध वसूली भी दादागिरी से की जाएगी। जो व्यापारी प्रतिष्ठान गन्दगी नहीं करते हैं उनसे भी जुर्माने का डर दिखाकर मंथली हिसाब-किताब कर लिया जाएगा। सफाई के नाम पर सरकार आए दिन नए-नए प्रयोग कर रही है। अजमेर में तो वार्ड स्तर पर सफाई के ठेके दे दिए गए हैं। ठेकेदार के कर्मचारी कचरे का संग्रहण करें या नहीं, लेकिन बेचारे दुकानदार को तो हर महीने शुल्क देना ही पड़ता है। एक ओर वार्ड स्तर पर सफाई के ठेके दिए गए हैं, तो दूसरी और शहरभर की सफाई का भी ठेका दे रखा है। निगम के अधिकारियों से यह पूछने वाला कोई नहीं है कि आखिर एक सफाई के दो ठेके कैसे दे रखे हैं?
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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