Monday 23 March 2015

कहां गए पुष्कर के राजनेता

कहां गए पुष्कर के राजनेता
सवाल यह नहीं है कि पुष्कर तीर्थ के पत्रकार कुमावत समाज के उपद्रवियों से पिट गए। पत्रकारों के साथ आए दिन ऐसी घटनाएं होती रहती है और इन घटनाओं से निपटने में पत्रकार वर्ग सक्षम भी है। कुमावत समाज के साथ जो विवाद हुआ है, उसमें भी पत्रकार अपने बलबूते पर अपना सम्मान बरकरार रख लेंगे, लेकिन सवाल उठता है कि जिन राजनेताओं की खबरे और फोटो रोजाना प्रकाशित होती हैं, वे राजनेता पत्रकारों के सकंट के समय कहां चले जाते हैं? पुष्कर के पत्रकार भी अपने क्षेत्रीय विधायक सुरेश सिंह रावत, पुष्कर नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक आदि की आए दिन फोटो और खबरें लगवाते हैं। राजनेताओं के लिए पत्रकार मेहनत करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है, लेकिन 22 मार्च को जब पुष्कर के पत्रकार कुमावत समाज के उपद्रवियों से संघर्ष कर रहे थे, तब किसी भी राजनेता ने पत्रकारों के हाल जानने की कोशिश नहीं की। ऐसे राजनेताओं को भी पता है कि पत्रकारों को दो दिन बाद आसानी से पटा लिया जाएगा, लेकिन अब पुष्कर के पत्रकारों को यह देखना है कि सकंट के समय दूर रहे राजनेताओं को कितनी तवज्जो देनी है। जहां तक कुमावत समाज के साथ संघर्ष का सवाल है, तो पत्रकारों को यह समझना चाहिए कि जाति के आधार पर किसी समाज से मुकाबला करना बेहद मुश्किल होता है। कुमावत समाज प्रतिवर्ष पुष्कर में चवांलिसा पंचायत करता है। 22 मार्च को चवांलीस गांव की महापंचायत हुई थी। इस पंचायत में समाज से जुड़े विवादों का निपटारा पंचायत के प्रतिनिधि ही करते हैं। पंचायत में युवक प्रेमचंद पर 6 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। प्रेमचंद पर आरोप है कि उसने दो पत्नियों के बाद तीसरी पत्नी को भी रख लिया है। 6 लाख की वसूली पंचायत के लोग तत्काल करना चहाते थे, लेकिन प्रेमचंद के पास 2 लाख रुपए ही थे, ऐसे में जब प्रेमचंद को पंचायत स्थल पर ही बंधक बनाने का प्रयास किया गया तो प्रेमचंद मौके से भाग निकला और जब ईटीवी के संवाददाता अनिल शर्मा और केमरामैन लोकेश शर्मा को पंचायत में विवाद की जानकारी लगी तो दोनों पत्रकार पंचायत स्थल पर पहुंच गए। पत्रकारों को देख समाज के लोग नाराज हो गए और दोनों पत्रकारों की पिटाई कर दी जाती है। दोनों पत्रकार बड़ी मुश्किल से अपनी जानबचाकर भागे। यहां अहम सवाल यह है कि क्या 6 लाख रुपए का जुर्माना अदा कर देने से प्रेमचंद का गुनाह भी कम हो जाएगा? कुमावत समाज को यदि समाज में वाकई सुधार करना है तो बहुपत्नी प्रथा को रोकना होगा। पंचायत को जुर्माना करने की बजाए ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे समाज का व्यक्ति भारतीय संस्कृति के अनुरूप एक पत्नी ही रखे। यदि जुर्माना लगाकर एक से अधिक पत्नियों को रखने की छूट दी जाएगी तो फिर समाज में सुधार होना मुश्किल है।

अजमेर में भी कैमरा छीना

22 मार्च को पुष्कर में पत्रकारों का संघर्ष अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि 23 मार्च को अजमेर में दैनिक भास्कर के फोटोग्राफर मोहन ठाडा का कैमरा अलवरगेट पुलिस थाने के हैडकांस्टेबल विनोद ने छीन लिया। नसीराबाद रोड स्थित रिलायन्स फ्रेश के शो रूम में हुई चोरी की वारदात के फोटो खींचने के लिए ही मोहन ठाडा मौके पर गए थे, लेकिन हैडकांस्टेबल ने ठाडा का कैमरा ही छीन लिया। कोई दो घंटे तक पुलिस ने कैमरा अपने पास रखा। बाद में जब पत्रकार एकजुट हुए, तब कैमरा वापस मिला। इससे पुलिस की हिमाकत का पता चलता है। अजमेर के एसपी महेन्द्र चौधरी को चाहिए कि पुष्कर और अजमेर के पत्रकारों को न्याय दिलवावें, लेकिन सबसे बड़ी समस्या ये है कि खुद एसपी न्याय प्राप्त करने की आस लगाए हुए है। भाजपा सरकार ने चौधरी को डीआईजी के पद पर पदोन्नत तो कर दिया है, लेकिन डीआईजी के पद पर नियुक्ति नहीं दी। चौधरी पिछले चार माह से एसपी के पद पर ही काम कर रहे हैं, ऐसे में महेन्द्र सिंह चौधरी एसपी के पद पर कितनी प्रभावी भूमिका निभा पा रहे होंगे, यह वे स्वयं ही बता सकते हैं। (एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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