Tuesday 24 March 2015

बदल गए हैं सौगंध के मायने

बदल गए हैं सौगंध के मायने
अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनवाने के लिए भाजपा के नेताओं ने देशभर में नारा दिया था कि 'सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे।Ó यह नारा आज भी देशवासियों के कानों में गूंज रहा है। लोगों को उम्मीद है कि भगवान राम की सौगंध खाने वाले जल्द से जल्द अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण करवाएंगे और अब तो केन्द्र में भी सौगंध खाने वालों की सरकार है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार में आने के बाद सौगंध के मायने बदल गए हैं। 23 मार्च को दिल्ली में देशभर के राज्य अल्पसंख्यक आयोगों के अध्यक्षों की एक बैठक हुई। इस बैठक में केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं भगवान की सौगंध खाकर कहता हंू कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के हर संभव प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए मुझे किसी भी सीमा तक जाना पड़ेगा तो मैं जाऊंगा और अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा की भावना को नहीं आने दूंंगा। राजनाथ सिंह जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और देश में कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी, तब इन्हीं राजनाथ सिंह ने बार-बार कहा कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीतियों की वजह से हिन्दुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। जिस तरह अल्पसंख्यकों के एक वर्ग में कट्टरवाद पनप रहा है, उससे देश की एकता और अखंडता को खतरा हो गया है। स्वयं राजनाथ सिंह ने विपक्ष में रहते हुए ऐसे कई उदाहरण दिए जिनमें जाहिर हुआ कि हिन्दुओं का अपने ही देश में रहना मुश्किल हो गया है। कांग्रेस नीति यूपीए सरकार ने जब धर्मांतरण से संबंधित धर्म स्वतंत्र्य बिल लाने की कोशिश की तो भाजपा ने इस विधेयक को हिन्दू विरोधी करार दिया। तब भाजपा ने इस बात को प्रदर्शित किया कि हिन्दुओं की रक्षा सिर्फ भाजपा की कर सकती है। देश के उसी माहौल में नरेन्द्र मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया, जिस समय मोदी को पीएम का उम्मीदवार घोषित किया, उस समय भी राजनाथ सिंह ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। जब मोदी पीएम बन गए तब राजनाथ सिंह ने कहा कि उनका काम अब पूरा हो गया है, लेकिन अब वो ही राजनाथ सिंह भगवान की सौगंध खाकर कह रहे हैं कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए वे किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। जो राजनाथ सिंह कांग्रेस के शासन में हिन्दुओं को असुरक्षित मान रहे थे, वो राजनाथ सिंह अब अपनी पार्टी के शासन में अल्पसंख्यकों को असुरक्षित मान रहे हैं। यही फर्क सरकार और विपक्ष में रहने का है। अब देखना है कि भगवान की सौगंध खाने के बाद राजनाथ सिंह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए किस सीमा तक जाते हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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