Friday 20 March 2015

आखिर कश्मीर में आतंकी अब क्या चाहते हैं

आखिर कश्मीर में आतंकी अब क्या चाहते हैं
20 मार्च को सुबह कश्मीर के कठुआ स्थित राजबाग पुलिस थाने पर आतंकियों ने जोरदार हमला किया। इस हमले में सीआरपीएफ के दो और कश्मीर पुलिस का एक जवान शहीद हो गया। हमले में एक कश्मीरी भी मारा गया। जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की गठबंधन सरकार बनने के बाद 20 मार्च को यह पहला अवसर रहा, जब कश्मीर में किसी पुलिस स्टेशन पर आतंकी हमला हुआ। गठबंधन सरकार का सीएम बनने के बाद मुफ्ती मोहम्मद सईद ने आतंकवादियों और पाकिस्तान के समर्थन में जो बयान दिए, उससे यही उम्मीद की जा रही थी कि फिलहाल कश्मीर में आतंकी हमले बंद हो जाएंगे, लेकिन 20 मार्च को जिस तरह आतंकियों ने पुलिस थाने पर हमला किया, उससे आतंकियों और सीएम सईद के इरादों पर प्रश्न चिह्न लगता है। क्या आतंकियों ने यह हमला गठबंधन सरकार पर दबाव बनाने के लिए किया है? इस सवाल का जवाब तो आने वाले दिनों में मिल सकता है, लेकिन सईद ने आतंकियों का जो समर्थन किया, उसके मद्देनजर सईद को अपनी स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए। सीएम पद की शपथ लेते ही सईद ने कहा था कि यदि आतंकवादी चाहते तो विधानसभा चुनाव में हिंसक वारदात कर सकते थे, लेकिन आतंकियों ने शांतिपूर्ण चुनाव करवाने में मदद की है। इतना ही नहीं सईद के दबाव से ही केन्द्र सरकार ने कश्मीर मुद्दे पर बातचीत करने के लिए विदेश सचिव को पाकिस्तान भेजा और इधर, 100 से भी ज्यादा निर्दोष लोगों की हत्या के आरोपी आतंकी मसरत आलम को जेल से रिहा कर दिया। यानि कश्मीर की आजादी के लिए आतंकवादी जो गतिविधियां कर रहे थे उससे मुफ्ती मोहम्मद सईद ने सकारात्मक भूमिका निभाई। सवाल उठता है कि जब सईद ही कश्मीर को आजाद करने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, तब आतंकियों को निर्दोष लोगों को मारने की जरुरत क्या है? सईद अब यह बताए कि क्या आतंकवादियों को उन पर भरोसा नहीं रहा है? सईद यह अच्छी तरह समझ लें कि आतंकवादियों का मकसद सिर्फ कश्मीर को आजाद कराना नहीं है। आतंकवादियों का मकसद कश्मीर को लेकर पूरे भारत में अशांति फैलाना है। कश्मरी में जब आतंकी हमला होता है तो कश्मीरी भी मरते हैं। यानि आतंकवादियों की सहानुभुति कश्मीरी मुसलमानों के साथ भी नहीं है। अच्छा हो कि सईद आतंकवादियों का समर्थन करने के बजाए आतंकवाद से शक्ति के साथ निपटे। कश्मीर के लोगों को आज जो सुख सुविधा मिल रही है, वह आजाद होने पर शायद ही मिले। आज हम पड़ौसी देश पाकिस्तान के हालात देख रहे हैं। पाकिस्तान में जिस तरह आए दिन आतंकवादी वारदातें हो रही है, उससे पूरा पाकिस्तान गृहयुद्ध की स्थिति में आ गया है। क्या सईद कश्मीर के हालात भी पाकिस्तान जैसे करना चाहते हैं। अब तो भाजपा की केन्द्रीय सरकार ने भी स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर से धारा 370 नहीं हटाई जाएगी। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्रीय सरकार कश्मीर की दिल खोलकर मदद भी कर रही है। आतंकवादियों का खुलेआम समर्थन करने पर भी भाजपा कश्मीर में सईद के नेतृत्व वाली सरकार को चला रही है।

काश ऐसा संभव हो

19 मार्च को वल्र्डकप के अंतर्गत भारत और बांग्लादेश के बीच जो क्रिकेट मैच हुआ उसमें बांग्लादेश के केन्द्रीय मंत्री और आईसीसी के अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि मैच को खिलाने वाले पाकिस्तानी अम्पायरों ने निर्णय देने में भेदभाव किया। पाकिस्तान के अम्पायरों ने भारतीय खिलाडिय़ों की मदद की। इसलिए बांग्लादेश की टीम मैच हार गई। यानि पाकिस्तान के अम्पायरों ने मुस्लिम देश बांग्लादेश के बजाए भारत की मदद की। हालांकि यह आरोप सरकार झूठा है, लेकिन काश ऐसा संभव हो जाए। यानि पाकिस्तान के लोग भारत का समर्थन करने लगे। आज सीमा पर सबसे ज्यादा खतरा भारत को पाकिस्तान से ही है। अरबों रुपए पाकिस्तान की सीमा पर सुरक्षा के लिए खर्च किए जाते हैं। यदि बांग्लादेश के केन्द्रीय मंत्री के बयान के मद्देनजर पाकिस्तान के लोग भारत का समर्थन करने लगे तो दोनों देशों में शांतिपूर्ण माहौल हो सकता है। भारत और पाकिसतान के लोगों के बीच जिस तरह सामाजिक जुड़ाव है, उससे तो दोनों देशों के नागरिकों को एक होकर रहना ही चाहिए।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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