Monday 16 March 2015

पीडब्ल्यूडी और ठेकेदार के बीच फंसी अस्पताल की सफाई

पीडब्ल्यूडी और ठेकेदार के बीच फंसी अस्पताल की सफाई
'हम लोगÓ संस्था के कार्यकर्ताओं ने किया निरीक्षण
अस्पताल प्रशासन ने भी जताई लाचारी
अजमेर: संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल की सफाई व्यवस्था पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों और सफाई ठेकेदार के बीच उलझ कर रह गई है। अस्पताल प्रशासन लाचार और बेबस है। रविवार को शहर की जागरुक संस्था हम लोग के कार्यकर्ताओं ने अस्पताल के कार्डोलॉजी, यूरोलॉजी और टीबी विभागों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान अस्पताल अधीक्षक डॉ.पी.सी.वर्मा और उपअधीक्षक डॉ.विक्रम आदि भी साथ थे। पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश की वजह से अस्पताल के इन तीनों विभागों के वार्डो और संपूर्ण परिसर का बुरा हाल देखा गया। बरसात की वजह से मुख्य द्वार पर पानी भर गया, जिसकी वजह से मरीजों को आने-जाने में बेहद परेशानी हो रही थी। अस्पताल परिसर में इधर-उधर सूअर को घूमते देखा गया।
अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों ने इस बात को स्वीकार किया कि अस्पताल की सफाई व्यवस्था पीडब्ल्यूडी  के इंजीनियरों और सफाई ठेकदार के बीच उलझी हुई है। जब सफाई ठेकेदार से अस्पताल की नालियों को साफ करने के लिए कहा जाता है तो उसका कहना होता है कि ड्रेनेज सिस्टम बंद पड़ा है। वार्डो से निकलने वाले जहरीले और प्रदूषित पानी को नाले तक ले जाने की कोई व्यवस्था नहीं है। यही वजह है कि इन विभागों की संपूर्ण इमारतों का पानी आसपास ही जमा रहता है। ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने के लिए जिला प्रशासन पीडब्ल्यूडी के संबंधित इंजीनियरों का कई बार ध्यान आकर्षित किया गया है। टीबी अस्पताल के एक वार्ड के शौचालयों को तो पूरी तरह बंद कर दिया गया है। मरीजों को वार्ड से बाहर बने शौचालय में जाना पड़ता है। इस संबंध में जन प्रतिनिधियों का भी ध्यान आकर्षित किया गया है, लेकिन अपेक्षित मदद नहीं मिल पाई है। अस्पताल परिसर में घूमने वाले सूअरों के संबंध में कई बार नगर निगम का ध्यान आकर्षित किया गया है। कभी-कभार इन सूअरों को पकड़ कर ले जाया गया,लेकिन समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो पा रहा है। कई बार मरीजों के वाहन इन सूअरों से टकरा भी जाते है। सूअरों की वजह से भी इधर-उधर गंदगी हो जाती है। इतना ही नहीं कॉर्डियोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग के बीच कुछ निजी मकान भी बने हुए है। इन मकानों का गंदा पानी भी अस्पताल में ही भरता है। गंभीर बात तो यह है कि गंदगी के इस माहौल में ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने एक मेडिकल स्टोर का भी लाइसेंस दे दिया है। इसी स्थान पर एक केंटीन भी चल रही है। एक ओर जहां मरीजों को राज्य सरकार की ओर से नि:शुल्क दवाएं दी जाती है वहीं अस्पताल में चल रहे मेडिकल स्टोर में खुले आम दवाई बेची जाती है।
अस्पताल प्रशासन ने कहा कि यह जांच का विषय है कि अस्पताल परिसर में मेडिकल स्टोर का लाइसेंस किस प्रकार से दे दिया गया है। एक ओर जहां पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर ड्रेनेज सिस्टम सही नहीं कर पा रहे है, वहीं दूसरी ओर सफाई के काम में भी अस्पताल प्रशासन को अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। प्रतिमाह संबंधित ठेकेदार को 3 लाख 65 हजार का भुगतान किया जाता है,लेकिन इसके बावजूद भी अस्पताल परिसर में अपेक्षित सफाई नहीं हो पाती है। पिछले दिनों राज्य सरकार को संपूर्ण अस्पताल परिसर वार्ड, उपकरण आदि की सफाई का प्रस्ताव भेजा गया है। इस प्रस्ताव को भेजने से पहले सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप ई-टेंडर किया गया था। इसमें 12 लाख तक के टेंडर प्राप्त हुए है। उम्मीद थी कि इस नई व्यवस्था से अस्पताल के हालात सुधरेंगे, लेकिन सरकार ने पूर्व टेंडर को स्थगित करते हुए राज्य स्तर पर टेंडर करने का निर्णय लिया है।  सरकार जब नए टेंडर करेगी, तब संभव है प्रभावी तरीके से कोई बड़ी कंपनी सफाई की व्यवस्था करेगी। विगत दिनों सफाई के कार्य में सुधार के लिए एक कोशिश की गई थी, लेकिन सफाई कर्मियों और ठेकेदार के द्वारा विवाद खड़ा कर दिए जाने के कारण प्रयासों को सफलता नहीं मिली। असमाजिक तत्वों ने पाइपों में प्लास्टिक की थैलियां फंसा दी जिसकी वजह से वार्डो में गंदा पानी भर गया। अब आगामी व्यवस्था तक एक नए ठेकेदार को सफाई का काम सौंपा गया है फिर भी सरकार के दिशा निर्देशों का इंतजार किया जा रहा है। कार्डियोलॉजी, यूरोलॉजी, टीबी आदि के वार्डो में जो वाटर कूलर, बैंच, पलंग, पंखे, कूलर आदि की सामग्री स्वयंसेवी संस्थाओं ने दी है वह भी टूटी-फूटी पड़ी है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इन सब सामग्रियों के रखरखाव का कोई फंड नहीं है। वैसे भी इन सब की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की ही है। उपकरणों के खराब होने पर पीडब्ल्यूडी को पत्र लिखा जाता है, लेकिन मरम्मत का काम नहीं हो पाता। अस्पताल प्रशासन का मानना है कि यदि अस्पताल के ड्रेनेज सिस्टम को ठीक कर दिया जाए तो अनेक समस्याओं का समाधान हो सकता है। रविवार के दिन हम लोग संस्था की ओर से सुरेश माथुर एडवोकेट, एस.पी.गांधी, अनंत भटनागर,डॉ.अशोक मित्तल, गिरीश भासानी आदि शामिल थे। रविवार के निरीक्षण के दौरान अस्पताल के जो हालात देखने को मिले उस पर एक रिपोर्ट बना कर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ को भेजी जाएगी। (spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment