Tuesday 9 May 2017

#2551
आप के नेताओं से कम नहीं है सुप्रीम कोर्ट के जजों और जस्टिस कर्णन का तमाशा। कर्णन आखिर कैसे जाएंगे जेल?
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9 मई को भी आम आदमी पार्टी के नेताओं के तमाशे को दिन भर टीवी चैनलों पर देखा गया। इसी दौरान सुप्रीम कोई ने भी कोलकाता हाईकोर्ट के विवादित जस्टिस सी.एस. कर्णन को 6 माह के लिए जेल भेजने के आदेश दिए। इन दिनों जिस प्रकार आप पार्टी में घमासान मचा हुआ है, उसी प्रकार जस्टिस कर्णन और सुप्रीम कोर्ट के जजों के बीच तलवारें खींची हुई है। 8 मई को जस्टिस कर्णन ने अपने घर की अदालत में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे.एस. खेहर सहित सात जजों को कठोर सजा सुनाई तो 9 मई को चीफ जस्टिस खेहर ने जस्टिस कर्णन को जेल भेजने के आदेश दिए। पता नहीं आप का तमाशा कहा जाकर रूकेगा, लेकिन इतना जरूर है कि जस्टिस कर्णन की गतिविधियों से देश की न्यायिक प्रणाली की जगहंसाई हो रही है। न्यायिक इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब हाईकोर्ट के एक सीटिंग जज ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 20 जजों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। यदि ऐसे आरोप कोई अन्य व्यक्ति लगा देता तो सुप्रीम कोर्ट अब तक उसे जेल में डाल देता। हमारे देश की न्याय प्रणाली में हाईकोर्ट के जज को कितनी ताकत मिली हुई है, इसका अंदाजा जस्टिस कर्णन की गतिविधियों से लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के हाईकोर्ट परिसर में जाने पर रोक लगाई तो कर्णन ने अपने घर को ही अदालत घोषित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कर्णन के मेंटल हेल्थ की जांच के आदेश दिए तो जस्टिस कर्णन ने सीजेआई खेहर सहित सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों को सजा सुना दी। सवाल उठता है कि जो जस्टिस कर्णन देश की सर्वोच्च अदालत को चुनौती दे रहे हैं, क्या वे चुपचाप जेल चले जाएंगे? देश के न्याय क्षेत्र में तमाशों की शुरूआत तब हुई थी जब जस्टिस कर्णन ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर 20 जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। जस्टिस कर्णन के इस पत्र को गैर जिम्मेदाराना मानते हुए केन्द्र सरकार ने सीजेआई को भेज दिया। तभी से न्यायिक व्यवस्था में तमाशा देखने को मिल रहा है। 
विधानसभा में तमाशा : 
9 मई को दिल्ली विधानसभा में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की ओर से जोरदार तमाशा किया गया। उम्मीद थी कि सीएम केजरीवाल और अन्य नेताओं पर जो आरोप लगे हैं, उसका जवाब दिया जाएगा। लेकिन आप के विधायक भारद्वाज ने कथित ईवीएम मशीन से यह बताने की कोशिश की कि भाजपा ईवीएम में गड़बड़ी करवा कर चुनाव जीत रही है। हालांकि ईवीएम के इस प्रदर्शन को चुनाव आयोग के पूर्व सलाहकार के.जे. राव ने खारिज कर दिया। राव का कहना था कि जिस मशीन का प्रदर्शन किया गया, वह चुनाव आयोग की ईवीएम नहीं है। उन्होंने दावा किया कि आयोग की ईवीएम से छेड़छाड़ हो ही नहीं सकती। 
क्या हुआ कुमार विश्वास के दावे का : 
विगत दिनों आप के नेता कुमार विश्वास ने टीवी चैनलों को दिए गए इंटरव्यू में कहा था कि एमसीडी चुनाव में जनता ने पार्टी को वोट ही नहीं दिए, ऐसे में जीत कैसे होती? कुमार ने तब यह भी कहा कि वह ऐसा इंटरव्यू केजरीवाल की सहमति से दे रहे हैं। लेकिन 9 मई को विधानसभा में केजरीवाल ने एक बार फिर साफ कर दिया कि वह हार को ईवीएम की गड़बड़ी ही मानते हैं। सवाल उठता है कि कुमार विश्वास ने जो दावा किया, उसका क्या हुआ। 
(एस.पी.मित्तल) (09-05-17)
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