Thursday 11 May 2017

#2561
मंत्री देवनानी के द्वारा ब्राह्मणों पर अपमानजनक टिप्पणी करने का मामला अदालत पहुंचा। 51 ब्राह्मण वकील करेंगे पैरवी। 
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राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी द्वारा ब्राह्मण समुदाय के लिए अपमानजनक टिप्पणी करने का मामला अब अदालत में पहुंच गया है। 11 मई को अजमेर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट धुकलराम कस्वा की अदालत में राजस्थान ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष सुदामा शर्मा ने देवनानी के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा प्रस्तुत किया। मुकदमे के वकालतनामे पर 51 ब्राह्मण वकीलों ने हस्ताक्षर किए हैं। इनमें भाजपा से जुड़े वकील भी शामिल हैं। इस मुकदमे की सुनवाई अब 26 मई को होगी। वकालतनामे पर हस्ताक्षर करने वालों में विवेक पाराशर, योगेन्द्र ओझा, अजय त्रिपाठी, के.जी. जोशी, सत्यनारायण शर्मा आदि शामिल हैं। सुदामा ने अपने वाद में कहा कि पिछले दिनों देवनानी ने जयपुर में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेंस में ब्राह्मण समुदाय के लिए अपमानजनक टिप्पणी की। देवनानी की यह टिप्पणी अखबारों में प्रकाशित हुई तथा सोशल मीडिया पर वीडियो भी चला। इस टिप्पणी से मुुझे मानसिक आघात लगा। समाज में भी मुझे बुरा-भला कहा गया। समाज के लोगों ने देवनानी से खेद प्रकट करने की बात कही, लेकिन एक माह गुजर जाने के बाद भी देवनानी ने आज तक भी खेद प्रकट नहीं किया है। 
यह थी टिप्पणी : 
देवनानी के द्वारा अपने नाम से पहले प्रोफेसर शब्द लगाए जाने का मामला जब हाईकोर्ट में दायर हुआ तो देवनानी ने जयपुर की प्रेस कान्फें्रस में कहा कि सभी ब्राह्मण अपने नाम से पहले पंडित शब्द का इस्तेमाल करते हैं जबकि पंडित विद्वता से सम्बन्ध रखता है। जब ब्राह्मण समाज के लोग अपने नाम से पहले पंडित लगा सकते हैं तो मैं भी प्रोफेसर शब्द लगा सकता हूं। हालांकि इस प्रेस कान्फ्रेंस में देवनानी ने यह स्वीकार किया था कि उनके पास प्रोफेसर की न तो डिग्री है और न ही शैक्षणिक  योग्यता। लेकिन राजनीति में होने की वजह से लोग उन्हें प्रोफेसर कहते हैं इसलिए अपने नाम से पहले उन्होंने प्रोफेसर शब्द का उपयोग कर लिया है। 
निम्बार्क पीठ के आचार्य ने भी की थी मध्यस्थता : 
अजमेर जिले के सलेमाबाद स्थित ख्याति प्राप्त निम्बार्क पीठ के आचार्य श्यामशरण महाराज ने भी देवनानी और ब्राह्मणों के विवाद को समाप्त करने के लिए मध्यस्थता की थी। इसके लिए दोनों ही पक्ष निम्बार्क पीठ पहुंचे थे। लेकिन आचार्य की मध्यस्थता के बाद भी विवाद का निपटारा नहीं हो पाया। इस वार्ता में शामिल ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों का कहना था कि आचार्य ने देवनानी को खेद प्रकट करने के लिए कहा था, लेकिन देवनानी ने आचार्य की भी बात नहीं मानी। 
एस.पी.मित्तल) (11-05-17)
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