Wednesday 17 May 2017

#2585
भदेल को स्कूल में बुलाया इसलिए अब देवनानी का शिक्षा विभाग हाईकोर्ट के आदेश भी नहीं मान रहा। प्रधानाचार्य बूंदवाल दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर। 
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अजमेर के माखुपुरा स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य बिजेन्द्र कुमार बूंदवाल उस दिन को कोस रहे हैं जब उन्होंने क्षेत्र की भाजपा विधायक और प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिता भदेल को स्कूल के एक समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बुला लिया। इसके बाद बूंदवाल तथाकथित लापरवाही के आरोप में निलंबित हुए और अब मुख्यालय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। अजमेर शहर के ही दूसरे भाजपा विधायक और प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी का विभाग अब हाईकोर्ट के आदेश भी नहीं मान रहा है। बेवजह के अपने निलंबन और निलंबन काल में मुख्यालय को लेकर बूंदवाल ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। जस्टिस वी.एस. सिराधना ने 3 मई को अपने अंंतरिम आदेश में कहा कि शिक्षा विभाग ने जिन कारणों से निलंबन किया है, वे समझ से परे है। ऐसे में पीडि़त बूंदवाल को निर्देंश दिए जाते हैं कि वे अपनी रिव्यू याचिका शिक्षा विभाग के सचिव के समक्ष प्रस्तुत करे और सचिव इस पर 29 मई तक निर्णय दे। साथ ही जस्टिस सिराधना ने अजमेर संभाग के उप निदेशक के उस आदेश को अपास्त घोषित कर दिया, जिसमें बूंदवाल को निलंबन में भीलवाड़ा के जिला शिक्षा अधिकारी के कार्याल्य में उपस्थिति दर्ज करवाने के लिये कहा गया था। गंभीर बात यह है कि बूंदवाल ने जब हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर दी थी तब देवनानी के विभाग ने द्वेषतावश बूंदवाल को अजमेर की बजाय भीलवाड़ा में उपस्थिति दर्ज करवाने के आदेश दिए। आम तौर पर कोई विवाद हाईकोर्ट में विचाराधीन होता है तो संबंधित विभाग का अधिकारी निर्णय लेने की जोखिम नहीं उठाता, लेकिन इसे देवनानी के विभाग के अधिकारियों की दिलेरी ही कहा जाएगा कि उन्होंने हाईकोर्ट की भी परवाह नहीं की। बूंदवाल ने हाईकोर्ट का आदेश 7 मई को ही अजमेर के उप निदेशक के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था। कायदे से अधिकारियों को 7 मई को ही आदेश की पालना कर देनी चाहिए थी, लेकिन 17 मई तक हाईकोर्ट के आदेश की पालना नहीं हुई है। उप निदेशक कार्यालय के विधि अधिकारी ने भी यह लिख कर दे दिया कि बूंदवाल को अजमेर में ही रखा जाए। लेकिन उप निदेशक सीताराम गर्ग में इतनी हिम्मत नहीं कि वे उपस्थिति रजिस्टर में बूंदवाल के हस्ताक्षर करवा लें। अब गर्ग ने मार्गदर्शन के लिए फाईल को बीकानेर स्थित निदेशालय में भेज दिया है। विभाग के निदेशक नटवर डिंडेल के आदेशों का अब इंतजार हो रहा है। यानि हाईकोर्ट से भी बड़ा है देवनानी का शिक्षा विभाग। भदेल को अपने स्कूल में बुलाने की कितनी सजा बूंदवाल को मिल रही है, इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि बूंदवाल को जो चार्जशीट दी गई है, उसका जांच अधिकारी भरतपुर के जिला शिक्षा अधिकारी को बनाया गया है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि बूंदवाल अजमेर, भरतपुर के बीच ही धक्के खाते रहें। जस्टिस सिराधना ने इस चार्जशीट का निपटारा भी 6 माह माह में करने के आदेश दिए हैं।  बूंदवाल की सेवानिवृत्ति में मात्र 1 वर्ष रह गया है। ऐसे में उन्हें चिंता है कि देवनानी का विभाग कहीं उनकी पेंशन में रोड़े नहीं अटका दे। अब देखना है कि 29 मई को जब हाईकोर्ट में सुनवाई होती है तो देवनानी के विभाग का क्या जवाब रहता है।
(एस.पी.मित्तल) (17-05-17)
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