Monday 22 May 2017

#2599
शादी समारोह वाले परिवारों को राहत देने पर विचार। सीज होने से बचे अवैध समारोह स्थल अब लूटने में लगे। अजमेर में धड़ल्लें से हो रही हैं होटल मेरवाड़ा एस्टेट में शादियां।
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अजमेर सहित राजस्थान भर में उन सैंकड़ों परिवारों को भारी परेशानी हो रही है, जिन्होंने शादी-समारोह के लिए अवैध समारोह स्थल बुक करवाए थे। भरतपुर दुखान्तिका के बाद राज्य सरकार के दिशा-निर्देंश पर प्रदेश के बड़े शहरों में अवैध समारोह स्थलों को सीज कर दिया गया है। समारोह स्थल सीज हो जाने से शादी वाले परिवार परेशान हो रहे हैं। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का भी ध्यान आकर्षित किया गया है। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार परेशान परिवारों को थोड़ी राहत दे सकती हैं। इसके अन्तर्गत समारोह स्थल संचालकों से एक शपथ पत्र लिया जा सकता है, जिसमें भविष्य में कोई बुकिंग नहीं करने का लिखित वायदा लिया जाए। सरकार की भी मंशा है कि जिन परिवारों ने बुकिंग करवा रखी है, उनके समारोह होने दिए जाएं। लेकिन ऐसी रियायत आगामी 15 अथवा 30 दिन की बुकिंग पर ही दी जाएगी। 
लूट भी शुरू :
स्थानीय निकायों ने अपने-अपने शहरों में मुश्किल से 25 प्रतिशत अवैध समारोह स्थलों को सीज किया है। यानि अभी भी 75 प्रतिशत अवैध समारोह स्थल चल रहे हैं। ऐसे अवैध समारोह स्थल वाले अब परेशान परिवारों से ऊंची कीमत वसूल रहे हैं। किसी भी अवैध समारोह स्थल के मालिक को यह डर नहीं है कि उनका भी समारोह स्थल सीज हो सकता है। असल में अधिकांश समारोह स्थल गली, कूचों अथवा कृषि भूमि पर बने हुए हैं। सरकार ने जो मापदण्ड निर्धारित किए हैं, उन्हें अधिकांश समारोह स्थल पूरा नहीं करते हैं। ऐसे में भरतपुर जैसी दुखान्तिका ऐसे समारोह स्थलों में हो सकती है। अजमेर शहर में ही ऐसे कई समारोह स्थल है जो गैरकानूनी तरीके से संचालित हो रहे हैं। 
होटल मेरवाड़ा एस्टेट में नहीं हो सकते शादी समारोह :
अजमेर के सुभाष बाग की पहाड़ी पर बने होटल मेरवाड़ा एस्टेट में शादी के बड़े समारोह नियमों के अन्तर्गत नहीं हो सकते हैं। होटल मालिक के पास समारोह स्थल का उचित लाइसेंस नहीं है और न ही यह होटल समारोह स्थल के मापदण्ड पर खरा उतरता हैं। जिला प्रशासन, नगर निगम, पुलिस विभाग आदि सभी जानते हैं कि इस होटल के परिसर में होने वाले शादी समारोह के वाहन नीचे आम रास्ते में खड़े होते हैं। गंभीर बात तो यह है कि होटल मालिक शादी वाले परिवार से कार पार्किंग शुल्क के नाम पर 31 हजार रुपए तक वसूलता है और वाहनों की पार्किंग सरकारी सड़क पर धड़ल्ले से ली जाती है। स्वभाविक है कि  31 हजार रुपए में से सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों तक नजराना पहुंचता है। यह सही है कि यदि कोई आम नागरिक इस होटल के नीचे अपना वाहन खड़ा कर देता है तो ट्रेफिक पुलिस की के्रन ऐसे वाहन को उठाकर ले जाती है। लेकिन यही ट्रेफिक पुलिस वाले शाम को होटल मालिक के अहसानों के तले दब जाते हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (22-05-17)
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