Sunday 21 May 2017

#2598
पत्रकारिता में देवर्षि नारदजी का चरित्र आज भी प्रासंगिक है। 
अजमेर में हुआ सात पत्रकारों का सम्मान।
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुख पत्र पांचजन्य के प्रधान सम्पादक डॉ. हितेश शंकर ने कहा है देवर्षि नारदजी का चरित्र पत्रकारिता में आज भी प्रासंगिक है। जिस प्रकार सतयुग में नारदजी तीनों लोकों की जानकारी रखते थे, उसी प्रकार आज प्रिंट, इलैक्ट्रोनिक और सोशल मीडिया खबरों पर नजर रखे हुए हैं। 
21 मई को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सभागार में विश्व संवाद केन्द्र अजयमेरू द्वारा नारद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित संगोष्ठी और पत्रकार सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए डॉ. हितेश शंकर ने कहा कि खबरों का आदान-प्रदान करने के लिए जिस प्रकार नारदजी तुरन्त एक लोक से दूसरे लोक में पहुंच जाते थे, उसी प्रकार आज टीवी पर न्यूज चैनलों के माध्यम से दर्शक दुनिया भर में घटित हाने वाली घटनाओं को लाइव देखते हैं। अभी हाल ही में हमने देखा है कि पाक जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में जब नीदरलैण्ड की अदालत में सुनवाई हुई तो हमने भारत में बैठे-बैठे लाइव कार्यवाही देखी। शाम को अपने देश में हो रहे आईपीएल मैंचों का आनन्द लिया। इसलिए सनातन संस्कृति में नारदजी को पहला पत्रकार माना जाता है। अपनी वीणा के माध्यम से नारदजी संगीत का भी अहसास कराते थे, जिस प्रकार आज न्यूज के साथ-साथ मंनोरजन के चैनल भी चलते हैं। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कुछ लोगों ने नारदजी के चरित्र को गलत तरीके से पेश किया है। जबकि नारदजी की सूचनाओं पर जितना भरोसा देवताओं को था, उतना ही राक्षसों को। यह नारदजी की विश्सनीयता थी कि वे कभी भी सूचनाओ का गलत आदान-प्रदान नहीं करते थे और न ही कभी अपने स्वार्थ के खातिर सूचना देते थे। उन्होंने कहा कि आवाज नहीं बल्कि बात ऊंची होनी चाहिए। महात्मा गांधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल, डॉ. भीमराव अम्बेडकर आदि राष्ट्र नायकों ने अपने विचारों को आमजन तक पहुंचाने के लिए पत्रकारिता का ही सहारा लिया। कई बार नासमझ लोग राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राष्ट्रवाद पर सवाल खड़ा करते हैं। इंटरनेशनल कोर्ट में जब विख्यात वकील हरीश सालवे मात्र 1 रुपए की फीस पर भारतीय नागरिक जाधव की पैरवी करते हें तो यह संघ का राष्ट्रवाद ही है। देश के बदलते माहौल में गौमाता के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता को तो बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जाता है, लेकिन जब दिल्ली में संतों पर गोलियां चलाई जाती है तो मरने वालों की संख्या तक नहीं बताई जाती है। कश्मीर में आए दिन आतंकवादी हमारे सैनिकों पर गोलियां चलाई गईं हैं तो मानवाधिकार की आड़ में सेना को पैलेट गन का उपयोग नहीं करने दिया जाता है। लेकिन वहीं गुजरात दंगों की रिपोर्टिंग पिछले 12 सालों से लगातार हो रही है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कुछ मीडिया घराने अपना एजेण्डा लेकर देश में पत्राकरिता करने का दंभ भर रहे हैं। सच्ची और ईमानदार पत्रकारिता करने के लिए पत्रकारों को जड़ों से जुडऩा होगा। पत्रकारों को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता था, लेकिन आज यह चौथ स्तंभ अपने तीन स्तंभों को ही गिराने में लगा हुआ है।
देश हित में हो पत्रकारिता :
समारोह के मुख्य अतिथि और राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने कहा कि पत्रकारिता देशहित में होनी चाहिए। हम यदि कश्मीर में मानवाधिकारों की बात करते हैं तो हमें यह भी बताना चाहिए कि पंडितों को कश्मीर से पीट-पीट कर क्यों भगा दिया। देश के विभाजन के समय पाकिस्तान में हिन्दू आबादी 11 प्रतिशत थी, लेकिन आज मात्र 2 प्रतिशत है। अक्सर प्रेस की आजादी की बात की जाती है, लेकिन सवाल यह है कि आजादी किस की? अखबार मालिक की या पत्रकार की। लोकतंत्र स्तंभों की समीक्षा प्रेस द्वारा की जाती है, लेकिन इस चौथे स्तंभ की समीक्षा कौन करेगा। उन्होंने कहा कि बदलते हुए माहौल में पत्रकारिता देश और समाज के हित में होनी चाहिए। 
सकारात्मक सोच - चौधरी 
समारोह की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष बी.एल. चौधरी ने कहा कि जब पत्रकार स्वयं को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मानता है तो उसे सकारात्मक सोच रखकर पत्रकारिता करनी चाहिए। चौधरी ने नारदजी के जीवन के बारे में भी जानकारी दी। समारोह में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चित्तौड़ प्रांत के प्रचार प्रमुख नारायणलाल गुप्ता ने विश्व संवाद केन्द्र की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। गुप्ता ने कहा कि पत्रकारिता की सकारात्मक सोच को और बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष केन्द्र की ओर से पत्रकारों को सम्मान दिया जाता है। समारोह में अजयमेरू केन्द्र के सचिव निरंजन शर्मा ने अतिथियों और सम्मानित होने वाले पत्रकारों के जीवन पर प्रकाश डाला। समारोह में बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया। 
प्रिंट और इलैक्ट्रोनिक मीडिया के सामने सोशल मीडिया की चुनौती : 
समारोह में आभार प्रकट करते हुए मैंने कहा कि आज पिं्रट और इलैक्ट्रोनिक मीडिया के सामने सोशल मीउिया की जबरदस्त चुनौती है। जिस तेजी के साथ सोशल मीडिया मोबाइल के जरिए आमजन तक पहुंच रहा है, उससे प्रिंट और इलैक्ट्रोनिक मीडिया को जवाबदेही के साथ काम करना चाहिए। आज श्रृंखलाबद्व  निकलने वाले अखबारों में खबरों की बजाय विज्ञापनों का महत्व बढ़ गया है। लेकिन अखबार मालिकों को यह समझना चाहिए कि पाठक खबरों के लिए ही अखबार खरीदता है। भले ही पूरे पृष्ठ पर चार खबर हों। पाठक इन खबरों के साथ ही विज्ञापन देखता है। 
पत्रकारों का सम्मान :
समारोह में दैनिक भास्कर के गिरीश दाधीच, राजस्थान पत्रिका के सुनील जैन, दैनिक नवज्योति के विक्रम चौधरी, ईटीवी के अभिजीत दवे, मरू प्रहार के सम्पादक गोपाल लबाना, वरिष्ठ पत्रकार गिरधर तेजवानी तथा स्वामी न्यूज के रूपेन्द्र शर्मा का सम्मान किया गया। सम्मानित होने वाले पत्रकारों को प्रशस्ति पत्र के साथ-साथ स्मृति चिन्ह, श्रीफल और शाल औंढ़ाया गया। कार्यक्रम का संचालन अनिल दाधीच ने किया। 
(एस.पी.मित्तल) (21-05-17)
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