Sunday 15 May 2016

भारतीय संस्कृति के अनुरूप जीवन यापन कर पर्यावरण को बचाया जा सकता है। ब्यावर में पर्यावरण कैसे बचे विषय पर संगोष्ठी।

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15 मई को अजमेर जिले के ब्यावर शहर में पर्यावरण कैसे बचे विषय पर एक संगोष्ठी हुई। इस संगोष्ठी में केन्द्र सरकार के सुक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के सदस्य प्रो. राजेश शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति के अनुरूप जीवन यापन करने से ही पर्यावरण को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि असल में हमने उपभोक्तावादी संस्कृति को अपना लिया है और आज उन सब वस्तुओं का उपभोग कर रहे हैं, जिसकी वजह से देश दुनिया का पर्यावरण बिगड़ रहा है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि हर काम के लिए अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल पूछे जाते हैं। गलती हम करते हंै और जवाब मोदी से मांगा जाता है। 14 मई को ही उज्जैन में महाकुंभ के अवसर पर मोदी ने आम लोगों को पर्यावरण से जुडऩे की अपील की है। उन्होंने कहा क लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए रियायती दरों पर आसान तरीके से लोन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री  ने विश्व में भारत का मान बढ़ाया है। संगोष्ठी में ब्यवर से प्रकाशित दैनिक निरंतर के सम्पादक राम प्रसाद कुमावत ने कहा कि पर्यावरण के लिए पंच तत्वों का होना जरूरी है, लेकिन हम इन पंचतत्वों का दोहन कर रहे हंै, इसलिए पर्यावरण बिगड़ता जा रहा है। आज स्वच्छता अभियान के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय बनाए जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पीने का पानी ही उपलब्ध नहीं है तो फिर इन शौचालयों को स्वच्छ कैसे रखा जाएगा? उन्होंने कहा कि राजस्थान जैसे प्रदेश में सौर ऊर्जा का उपयोग दैनिक जीवन में होना चाहिए। संगोष्ठी में भाजपा आईटी सेल के प्रदेश संयोजक वीरेन्द्र शर्मा ने कहा कि पहले औद्योगिक और फिर हरित क्रांति से ही पर्यावरण बिगड़ा है। विश्व में 70 नदियां लुप्त हो गई हंै। इधर लगातार आबादी बढ़ रही है। उधर भूमिगत जल स्तर खत्म होने के बाद समुद्र भी घट रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व में जब ब्यावर में श्रीसीमेंट की फैक्ट्री लगी थी तो युवाओं को रोजगार की उम्मीद थी, लेकिन मशीनीकरण के कारण नाम मात्र के व्यक्ति ही कार्यरत है। उल्टे इस फैक्ट्री के लगने से ब्यावर में बेरोजगारी बढ़ी। संगोष्ठी के मुख्यवक्ता के तौर पर बोलते हुए मैंने कहा कि पर्यावरण को सरकार और आम लोगों ही बचा सकते हैं। सरकार को अपनी आय का लालच छोड़कर प्राकृतिक संसाधनों को बचाना होगा। 
वैध खनन के मुकाबले अवैध खनन कई गुना ज्यादा हो रहा है। इस खनन की वजह से ही पर्यावरण बिगड़ रहा है।हालात इतने खराब है कि दिल्ली में वाहनों को चलाने से रोका जा रहा है तो बोतलों में हवा भकर बेची जा रही है। संगोष्ठी के आयोजक नेशनल एंटी कारप्शन ट्रस्ट ऑफ इंडिया के चेयरमैन महेन्द्र मेघवंशी ने कहा कि संगोष्ठी का उद्देश्य सरकार का ध्यान आकर्षित करना है। संगोष्ठी का संचालन संजय सिंह गहलोत और सुमित सारस्वत ने किया। जबकि संगोष्ठी को सफल बनाने में संजय नाहर, कैलाश मूंदड़ा, अभिमन्यु सिंह चौहान, फजल खान, गणेश सिंह रावत, रमेश जलवानिया, भागचंद शास्त्री, गंगाराम जाटोलिया, अशोक सारस्वत, रोशन सिंह मेहरात, अरविंद सिंह, शंकर आहूजा, राजू भाई काठात आदि की सराहनीय भूमि रही। 
शौर्य वीर चक्र विजेता का सम्मान
संगोष्ठी में ब्यावर निवासी शौर्यवीर चक्र विजेता मांगीलाल काठात का भी सम्मान किया गया। काठात ने जल सेना में रहते हुए 1971 के भारत पाक युद्ध में भाग लिया था। काठात की दिलेरी की वजह से ही पाकिस्तान की पनडुब्बी को समुद्रतल में समा दिया गया। काठात तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के सुरक्षा गार्ड भी थे। 
नोट- फोटोज मेरे ब्लॉग spmittal.blogspot.in तथा फेसबुक अकाउंट पर देखें। 

(एस.पी. मित्तल)  (15-05-2016)
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