Thursday 5 May 2016

क्या बिना डिग्री के अजमेर डिस्कॉम में चीफ इंजीनियर का काम कर रहे हैं एस.एस.मीणा? अफसरों की मेहरबानी से सालाना करते हैं एक हजार करोड़ रुपए की खरीद।


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माना तो यही जाता है कि किसी भी इंजीनियर के पास बीई की डिग्री होनी ही चाहिए। लेकिन यदि किसी विद्यार्थी को यूनिवर्सिटी बीई के अंतिम वर्ष में फेल कर दे और फिर भी वह विद्यार्थी चीफ इंजीनियर बन जाए तो आश्चर्य होगा ही। ऐसा ही कुछ अजमेर विद्युत वितरण निगम (डिस्कॉम) में हुआ है। अजमेर डिस्कॉम में इस समय चीफ इंजीनियर के पद पर बैठकर सालाना एक हजार करोड़ रुपए की खरीद करने वाले एस.एस.मीणा का कहना है कि उन्होंने बीई विद्युत की डिग्री जोधपुर स्थित जयनारायण यूनिवर्सिटी से ली है। लेकिन वहीं इस यूनिवर्सिटी के कुलपति की जांच रिपोर्ट को माना जाए तो एस.एस.मीणा ने बीई की डिग्री ली ही नहीं है। अजमेर डिस्कॉम के रिकॉर्ड के अनुसार 21 अगस्त 2015 को जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी के कुल सचिव की एक जांच रिपोर्ट अजमेर डिस्कॉम के सचिव को प्राप्त हुई है। इस जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरेन्द्र सिंह मीणा नामक विद्यार्थी ने वर्ष 1986 में बीई विद्युत अंतिम वर्ष की परीक्षा दी थी। विद्यार्थी को तीन विषयों में पूरक परीक्षा के योग्य घोषित किया गया। विद्यार्थी ने पूरक परीक्षा दी तो यूनिवर्सिटी की गलती से एक पेपर में ग्रेस अंक देकर मीणा को द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण घोषित कर दिया, जबकि मीणा का परीक्षा परिणाम पूरक परीक्षा से घोषित किया जाना चाहिए था। 
जैसे ही इस गलती का पता चला तो कुलपति के आदेश से परिणाम को सुधारते हुए सुरेन्द्र सिंह मीणा का परीक्षा परिणाम द्वितीय श्रेणी के स्थान पर पूरक कर दिया गया। इसके साथ ही मीणा से कहा गया कि वह द्वितीय श्रेणी उत्तीर्ण वाली अंक तालिका वापस यूनिवर्सिटी में जमा कराए, ताकि उसे पूरक परीक्षा की संशोधित अंकतालिका जारी की जा सके। लेकिन मीणा ने ऐसा नहीं किया। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने वर्ष 1988 में 20 जनवरी, 26 फरवरी और 23 मार्च को मीणा को पत्र लिखे, लेकिन इसके बाद भी मीणा ने अंकतालिका जमा नहीं करवाई। नियमों के मुताबिक 12 मई 1988 को रजिस्टर्ड डाक के जरिए सुरेन्द्र सिंह मीणा को पत्र भेजा गया। यूनिवर्सिटी के पास इस बात का रिकॉर्ड है कि यह रजिस्टर्ड पत्र मीणा को मिल गया, लेकिन इसके बाद भी मीणा ने अंकतालिका नहीं लौटाई। इसके बाद मीणा के प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए 23 मार्च 1991 को यूनिवर्सिटी की सिंडिकेट की बैठक बुलाई गई। कुलपति की अध्यक्षता में हुई सिडकेट की बैठक में यह माना गया कि विद्यार्थी सुरेन्द्र सिंह मीणा को गलती से ग्रेस अंक की अंकतालिका दी गई है। इसलिए मीणा की उपाधि और अंकतालिका निरस्त की जाती है। 
होती रही पदोन्नति:
यानि मीणा ने गलत डिग्री से विद्युत निगम में जूनियर इंजीनियर की नौकरी हासिल की थी। इधर यूनिवर्सिटी बार-बार कहती रही कि मीणा की डिग्री दोषपूर्ण है, लेकिन उधर विद्युत निगम में मीणा बार-बार पदोन्नति पाते चले गए। दो वर्ष पहले मीणा की पदोन्नति अधीक्षण अभियंता के पद पर हुई थी और गत वर्ष डिस्कॉम के बड़े अफसरों ने मेहरबानी करते हुए मीणा को चीफ इंजीनियर का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया। चीफ इंजीनियर भी ऐसा जो सालाना एक हजार करोड़ रुपए की खरीद कर रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अजमेर डिस्कॉम में कितनी अंधेरगर्दी हो रही है। एक करोड़ 38 लाख रुपए की एक खरीद के प्रकरण में तो एसीबी भी मीणा के खिलाफ जांच कर रही है। हाईकोर्ट की शरण:
जो मीणा यूनिवर्सिटी के बार-बार पत्र के बाद भी अपनी दोषपूर्ण अंकतालिका और डिग्री जमा नहीं करा रहे थे, वो ही मीणा उस समय हाईकोर्ट चले गए जब सीडिकेट ने परीक्षा परिणाम को निरस्त कर दिया। अपनी याचिका में मीणा ने हाईकोर्ट से कहा कि उसे विद्युत विभाग में नौकरी करते हुए 25 वर्ष हो गए। ऐसे में अब यदि किसी कारण से नौकरी से हटाया जाता है या फिर यूनिवर्सिटी डिग्री को सही नहीं मानती है तो उसे भारी नुकसान होगा। साथ ही मानसिक स्थिति भी बिगड़ेगी। हालांकि हाईकोर्ट जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी के सिंडिकेट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन मीणा की याचिका को स्वीकार करते हुए यह कहा कि इतने वर्ष बाद मामले में कार्यवाही करने से पहले सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए। पूरे प्रकरण में मीणा के पास हाईकोर्ट का यह निर्णय ही एक मात्र बचाव का कारण है। वहीं यूनिवर्सिटी आज भी अपने इस फैसले पर कायम है कि सुरेन्द्र सिंह मीणा को बीई की जारी डिग्री को निरस्त किया गया है।
सरकार भी खामोश:
अजमेर डिस्कॉम के चीफ इंजीनियर मीणा के पास इंजीनियर की डिग्री नहीं होने की शिकायत राज्य सरकार से कई बार की गई, लेकिन हर शिकायत पर मीणा ने पानी फेर दिया। सरकार की खामोशी पर अजमेर डिस्कॉम में भी आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। छोटे अधिकारियो ंऔर कर्मचारियों को तब ताज्जुब होता है, जब उनके दस्तावेजों की जांच चीफ इंजीनियर की कुर्सी पर बैठकर मीणा करते हैं। 
मेरी डिग्री सही है-मीणा
वहीं दूसरी ओर एस.एस.मीणा ने कहा है कि जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी में जो डिग्री और अंकतालिका जारी की  है वह पूर्णत: सही है। इस मामले में हाईकोर्ट का भी निर्णय आ रखा है। हाईकोर्ट में भी मेरे पक्ष को स्वीकार किया गया है। उन्होंने कहा कि मेरे कुछ विरोधी मेरे खिलाफ षडय़ंत्र कर रहे हैं। जो मेरी पदोन्नति से खुश नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरी डिग्री और अंकतालिका के प्रकरण में यूनिवर्सिटी की कोई जांच रिपोर्ट अजमेर डिस्कॉम में आई है यह मेरी जानकारी में नहीं है। 

नोट- फोटोज मेरे ब्लॉग spmittal.blogspot.in तथा फेसबुक अकाउंट पर देखें। 
(एस.पी. मित्तल)  (05-05-2016)
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