Monday 16 May 2016

अजमेर के अस्पताल में तीन और बच्चों की मौत। वसुंधरा सरकार की किरकिरी। कार्यवाही की तो हो सकती है हड़ताल।

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16 मई को अजमेर के जेएलएन अस्पताल में तीन और नवजात बच्चों की मौत हो गई। 15 मई को पहले ही पांच बच्चों की मौत हो चुकी है, लेकिन इन आठ बच्चों की मौत में डॉक्टरों ने अपनी कोई लापरवाही मानने से साफ इंकार कर दिया है। चिकित्सकों ने सरकार को इशारा कर दिया है कि यदि कोई कार्यवाही की गई तो सम्पूर्ण राजस्थान में सरकारी अस्पतालों में हड़ताल हो जाएगी। यही वजह है कि सरकार के किसी भी प्रतिनिधि की हिम्मत डॉक्टरों के खिलाफ बोलने की नहीं हो रही है। 16 मई को तीन और बच्चों की मौत के बाद अस्पताल के शिशु रोग विभाग के आचार्य और अध्यक्ष डॉ. वी.एस.करनावट छुट्टी पर चले गए। जब मीडिया कर्मियों ने सहायक आचार्य पुखराज गर्ग से सवाल किए तो डॉ. गर्ग ने कैमरे के सामने कहा कि बच्चों की मौत तो होती रहेगी, दो चार दिन के बच्चों के जब शरीर के अंग फेल हो जाएंगे तो कोई भी चिकित्सा पद्धति मौत को नहीं रोक सकती। अजमेर के अस्पताल में जो बच्चे आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से रैफर होकर आ रहे हैं, उन्हें बचाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। अब तक आठों मौत प्राकृतिक हंै, इसमें किसी भी चिकित्साकर्मी की लापरवाही नहीं है। जानकार सूत्रों के अनुसार अजमेर के अस्पताल में लगातार हो रही बच्चों की मौत और डॉक्टरों के कड़े रुख को देखते हुए वसुंधरा राजे सरकार असमंजस की स्थिति में है। सरकार के यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इस मामले से कैसे निपटा जाए। इन दिनों प्रदेशभर में सरकारी अस्पताल में गर्मी की वजह से पहले ही मरीजों की संख्या बड़ी हुई है। ऐसे में यदि किसी चिकित्सा कर्मी के खिलाफ कार्यवाही की जाती है तो प्रदेश भर में हड़ताल हो सकती है। सरकार को यह तथ्य भी पता है कि अजमेर के मुद्दे पर डॉक्टर,नर्सिंग स्टाफ और तकनीकी स्टाफ एकजुट हैं। सरकार को उम्मीद थी कि 15 मई को हुई पांच मौतों का मामला एक दो दिन में शांत हो जाएगा। लेकिन 16 मई को जिस तरह तीन और बच्चों की मौत हो गई, उसे देखते हुए माना जा रहा है कि भीषण गर्मी की वजह से मौत का सिलसिला जारी रह सकता है। अभी तक सिर्फ अजमेर के अस्पताल में हो रही मौतों की खबरें ही आ रही हंै, हो सकता है कि आने वाले दिनों में जोधपुर, उदयपुर, जयपुर, बीकानेर, कोटा और भरतपुर के संभाग मुख्यालयों के अस्पतालों में भी होने वाली बच्चों की मौतों की खबर सामने आए। ऐसे में सरकार अजमेर के मामले में फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है। अजमेर के जिला कलेक्टर गौरव गोयल भी ऐसा कोई बयान नहीं दे रहे हैं, जिसकी वजह से हालत बिगड़ें। 16 मई को जब शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. करनावट के अचानक अवकाश पर चले जाने को लेकर पत्रकारों ने कलेक्टर से सवाल किया तो उनका कहना रहा कि पहले यह पता लगाएंगे कि डॉ. करनावट को वर्तमान परिस्थितियों में अवकश लेना कितना जरूरी था। डॉ. करनावट के अचानक अवकश पर चले जाने को लेकर मीडिया तीखे सवाल कर रहा था, लेकिन कलेक्टर ने जवाब सोच समझ कर दिया। कलेक्टर को भी पता है कि यदि एक शब्द भी डॉक्टरों के खिलाफ बोला तो हालात बिगड़ जाएंगे। जब स्वयं चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ ही डरे और सहमे हुए हैं तो फिर एक कलेक्टर की तो स्थिति ही क्या है। वैसे भी सरकार की बुराइयों का ठिकरा कलेक्टर गोयल अपने सिर पर क्यों फोड़ें? इसलिए छोटी-छोटी घटना पर कलेक्टर सरकार से दिशा निर्देश ले रहे हैं। 
(एस.पी. मित्तल)  (16-05-2016)
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